India News (इंडिया न्यूज़), Delhi President Rule: खतरे की खाई में गिरती ही जा रही है आम आदमी पार्टी। 21 मार्च को दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल को ईडी ने हिरासत में ले लिया था जिसके बाद से दिल्ली सरकार के सामने एक के बाद एक चुनौतियां आती जा रही है। दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना और दिल्‍ली की चुनी हुई सरकार के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है, सोमवार को एलजी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर शिकायत कर दी था, उन्होंने शिकायत करते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार के मंत्री बुलाने पर भी बैठक में नहीं आते हैं। एलजी ने सौरभ भारद्वाज, गोपाल राय, कैलाश गहलोत और आतिशी का नाम इसमें शामिल किया।

आप के नेताओं ने भी उन्हें चुनौती देते हुए कहा कि ‘हिम्मत  है तो दिल्‍ली में राष्‍ट्रपति शासन लगा कर दिखाएं। मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद से ही, दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगने की अटकलें तेज हैं, एलजी की ताजा चिट्ठी के बाद AAP की घबराहट और ज्यादा बढ़ गई है। आइए आपको इश खबर में बताते हैं कि क्या दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लग सकता है?

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एलजी के चिट्ठी लिखने की वजह

दिल्‍ली में एलजी और AAP सरकार के बीच तनातनी कोई नई बात नहीं है, ये तनाव इनके बीच देखने को पहले भी मिला है। केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद टकराव और बढ़ता नजर आया है। सीएम के जेल जाने के बाद, एलजी ने रुके हुए विकास कार्यों को रफ्तार देने के लिए एक बैठक बुलाई थी, AAP के मंत्रियों ने एलजी से मिलने और बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया था। एलजी ने केंद्रीय गृह सचिव को लिखे पत्र में मंत्रियों के इस रवैये की आलोचना की और पत्र में एलजी वीके सक्सेना ने लिखा कि मंत्रियों ने आचार संहिता लागू होने की वज‍ह बताते हुए बैठक में आने से मना कर दिया। पत्रकारों के साथ बातचीत से और सूत्रों से ये पता लगता है कि ये पत्र गंभीरता के साथ लिखा गया है।

एलजी की चिट्ठी के जवाब में दिल्ली सरकार ने कहा कि वे बहाने बना रहे हैं, एक बयान में दिल्‍ली सरकार ने कहा, कि ‘चुनी हुई सरकार ने उन अधिकारियों के कार्यों की बार-बार शीघ्र जांच की मांग की है जो दिल्ली के नागरिकों के हितों के विरुद्ध कार्य कर रहे हैं, लेकिन एलजी ऑफिस से केवल तुच्छ बहाने ही मिले हैं।

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हमेशा बिगड़े रहे संबंध

दिल्‍ली सरकार और एलजी के बीच टकराव काफी समय से है, पिछले आठ सालों में तीन एलजी रहे, तमाम अदालती आदेश आए लेकिन विवाद नहीं थम पाया। AAP सरकार से टकराव की शुरुआत नजीब जंग के एलजी रहते हुई थी, फिर एलजी बने अनिल बैजल के साथ भी तनाव जारी रहा और अब वीके सक्सेना के एलजी रहते टकराव में और इजाफा ही हुआ है, ये पिछली बार से काफी अधिक स्तर पर पहुंच चुका है।

दिल्‍ली सरकार और एलजी के बीच टकराव का सबसे बड़ा मुद्दा शक्तियों के विभाजन का है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी गया, एलजी ने ही आबकारी नीति मामले में कथित घोटाले की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। इसी मामले में आप के मुख्य़ चेहरे केजरीवाल, मनीष सिसोदिया समेत AAP के टॉप नेताओं की गिरफ्तारी हुई थी। AAP सरकार ने एलजी पर ‘बीजेपी के हाथों की कठपुतली’ होने के आरोप लगाए हैं। आम आदमी पार्टी का विरोध करने वाले हर एजेंसी और व्यक्ति को आप के नेता बीजेपी की कठपुतली ही बताते हैं।