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India News (इंडिया न्यूज़),Delhi Service Bill: दिल्ली: दिल्ली अध्यादेश बिल पर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav ने अपने बयान में कहा कि बेरोजगारी बढ़ रही है, महंगाई बढ़ रही है और महंगाई सरकार द्वारा प्रायोजित है…किसी ने कभी नहीं सोचा था कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में यह सब होगा और सरकार ऐसा होते देखेगी…इस सरकार के पास कोई जवाब नहीं है जनता तैयार है और 2024 (चुनाव) में बीजेपी को हटा दिया जाएगा… अगर बीजेपी दिल्ली में सत्ता में होती तो क्या वे यह कानून लाते? क्या बीजेपी उनकी (दिल्ली सरकार) शक्तियां छीन लेती? राज्यसभा ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) विधेयक, 2023 को सोमवार को पारित कर दिया। राज्यसभा ने ‘हां-131, ना-102’ के साथ दिल्ली सेवा विधेयक पारित किया।हाल ही में इस बिल को लोकसभा में पारित किया गया था।
#WATCH | "Unemployment is increasing, inflation is increasing and the inflation is sponsored by the government… Nobody had ever expected that this all would happen in a democratic setup and the government would see that happening…This government doesn't have an answer. The… pic.twitter.com/MDcjtRYnTe
— ANI (@ANI) August 8, 2023
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा,”मैं जो भी करता हूं दिल्ली की जनता उसमें मेरा समर्थन करती है और उन्होंने मुझे चुनाव में जीत दिलाकर अपना समर्थन दिखाया है। भाजपा सिर्फ हमारे अच्छे काम को रोकने की कोशिश कर रही है। वे विकास कार्य में बाधा डाल रहे हैं। वे मुझे काम करने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं। इस बार जनता उन्हें कोई भी सीट नहीं जीतने देगी।”
गौरतलब है 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर फैसला देकर ये साफ कर दिया कि दिल्ली की नौकरशाही पर चुनी हुई सरकार का ही कंट्रोल है और अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग पर भी अधिकार भी उसी का है। प्रशासनिक सेवाओं के नियंत्रण और अधिकार से जुड़े मामले पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, दिल्ली की पुलिस, जमीन और पब्लिक ऑर्डर पर केंद्र का अधिकार है, लेकिन बाकी सभी मामलों पर चुनी हुई सरकार का ही अधिकार होगा। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी साफ कर दिया था कि पुलिस, जमीन और पब्लिक ऑर्डर को छोड़कर बाकी सभी दूसरे मसलों पर उपराज्यपाल को दिल्ली सरकार की सलाह माननी होगी।ऐसे में केंद्र सरकार एक अध्यादेश लेकर आई , जिसके तहत अफसरों की ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार उपराज्यपाल को वापस मिल गया।
ऐसे में इस अध्यादेश को बिल बनाने के लिए विपक्ष के विरोध के बावजूद सबसे पहले इसे लोकसभा में और फिर राज्यसभा में पारित हो गया। अब यह बिल राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद कानून की शक्ल ले लेगा। इस बिल में दिल्ली सरकार के अधिकारों को सीमित किया गया है जिसके AAP समेत तमाम विपक्षी दल लगातार विरोध कर रहे हैं।
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