India News (इंडिया न्यूज़), (अजीत कुमार श्रीवास्तव) Delhi: उत्तर प्रदेश में राजनीतिक बयानबाजियों का दौर लगातार जारी है। एक तरफ समेकित विपक्ष या यूं कहें कि विपक्ष का एक मात्र चेहरा बनने की कोशिश करते अखिलेश दिख रहे हैं। वहीं, मायावती अपनी रणनीति के जरिए विपक्षी वोट बैंक में बड़ा डेंट लगाती दिख रही हैं। ऐसे में समाजवादी पार्टी नेताओं के निशाने पर मायावती आ गई हैं। उन्हें भाजपा के पाले का घोषित कर विपक्ष अपनी राह को आसान बनाने की कोशिश में है। मणिपुर की घटना इन दिनों विपक्षी नेताओं के लिए बड़ा मुद्दा बना है। ऐसे में मायावती का बयान आया तो इसमें समाजवादी नेताओं की प्रतिक्रिया भी सामने आने लगी। राजनीतिक बयानबाजी तेज हुई। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव और सांसद प्रो. राम गोपाल यादव का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने बसपा सुप्रीमो को सलाह दे दी है कि वे भाजपा में शामिल हो जाएं।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने मणिपुर के मुद्दे पर सभी दलों को राजनीति नहीं करने की बात कही थी। साथ ही, उन्होंने इस मामले में संसद में सार्थक चर्चा की बात कही। मायावती के इस बयान पर सपा नेता राम गोपाल यादव हमलावर हो गए हैं। उन्होंने कहा कि बसपा सुप्रीमो को अब भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के बयानों के जरिए वे भाजपा की मदद ही कर रही हैं। उन्होंने कहा कि क्या ये ऐसा मामला है जिस पर राजनेता अपना मुंह बंद करके बैठ जाएं? क्या ऐसा हो सकता है?
राम गोपाल यादव ने कहा कि पूरा मणिपुर इस समय अशांत है। पूरे नॉर्थ ईस्ट पर इसका असर दिख सकता है। ऐसी घटनाओं पर विपक्ष मौन कैसे रह सकता है? सपा नेता दावा किया कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप नहीं किया होता, तो अब तक कोई कार्रवाई भी नहीं होती। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कहा था कि सरकार इस पर कार्रवाई करे नहीं तो हम कार्रवाई करेंगे।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव ने मणिपुर की स्थिति का जिक्र करते हुए वहां राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है। सपा नेता ने कहा कि केंद्र सरकार मणिपुर विधानसभा को भंग करे। वहां छह महीने के लिए राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाए। केंद्र दोनों पक्षों के साथ सीधी बातचीत करे। इसके बाद ही स्थिति को बेहतर बनाने की दिशा में कोई हल निकल सकता है। राम गोपाल ने कहा कि नॉर्थ ईस्ट बहुत ही संवेदनशील इलाका है। बड़ी मुश्किल से मिजोरम, नागालैंड और असम शांत हो पाया है। ऐसे में मणिपुर अशांत हो गया तो इसका असर पड़ोसी राज्यों पर भी पड़ सकता है। म्यांमार में किस प्रकार की सरकार है, यह सबको पता है। ऐसे में संवेदनशीलता को समझने की जरूरत है।
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