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हितेश चतुर्वेदी, सिरसा:
Dera Sacha Sauda First Controversy start from 1998 : डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को पंचकूला स्थित सीबीआई अदालत ने सोमवार को रणजीत सिंह हत्याकांड मामले में उम्रकैद की सजा सुना दी। इससे पहले डेरा मुखी को पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड मामले सीबीआई कोर्ट द्वारा अंतिम सांस तक जेल में रहने की सजा सुनाई जा चुकी है।
अगस्त 2017 को पंचकूला सीबीआई कोर्ट ने दो साध्वियों से बलात्कार करने के मामले में डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को 20 साल कैद की सजा सुनाई थी। तीनों संगीन मामलों में सजा होने के बाद अब डेरा प्रमुख का जेल से बाहर आने का रास्ता बिलकुल बंद हो गया है। इससे पहले भी कई ऐसे मामले है जिन पर नजर डालेंगे तो पता चलेगा कि डेरा सच्चा सौदा का विवादों से पुराना नाता रहा है।
10 जुलाई 2002 को डेरा सच्चा सौदा की प्रबंधन समिति के सदस्य रहे कुरुक्षेत्र के रणजीत का मर्डर हुआ। आरोप डेरा सच्चा सौदा पर लगे। पुलिस जांच से असंतुष्ट रणजीत के पिता ने जनवरी 2003 में हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआई जांच की मांग की। 24 सितंबर 2002 को हाईकोर्ट ने साध्वी यौन शोषण मामले में गुमनाम पत्र का संज्ञान लेते हुए डेरा सच्चा सौदा की सीबीआई जांच के आदेश दिए। सीबीआई ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी।
24 अक्टूबर 2002 को सिरसा के सांध्य दैनिक पूरा सच के संपादक रामचन्द्र छत्रपति को गोलियां मार दी गई। आरोप डेरा समर्थकों पर लगा। 25 अक्टूबर 2002 को घटना के विरोध में सिरसा शहर बंद रहा। डेरा सच्चा सौदा के विरुद्ध उत्तर भारत के मीडियाकर्मियों में रोष फैल गया। मीडियाकर्मियों ने जगह-जगह धरने प्रदर्शन किए। 16 नवंबर 2002 को सिरसा में मीडिया की महापंचायत बुलाई गई और डेरा सच्चा सौदा का बाईकाट करने का प्रण लिया।
21 नवंबर 2002 को सिरसा के पत्रकार रामचन्द्र छत्रपति की दिल्ली के अपोलो अस्पताल में मृत्यु हुई। दिसंबर 2002 को छत्रपति परिवार ने पुलिस जांच से असंतुष्ट होकर मुख्यमंत्री से मामले की जांच सीबीआई से करवाने की मांग की,लेकिन तत्कालीन चौटाला सरकार ने ऐसा नहीं किया। जनवरी 2003 में पत्रकार छत्रपति के पुत्र अंशुल छत्रपति ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर छत्रपति प्रकरण की सीबीआई जांच करवाए जाने की मांग की और याचिका में डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह पर हत्या किए जाने का आरोप लगाया गया।
उच्च न्यायालय ने पत्रकार छत्रपति व रणजीत हत्या मामलों की सुनवाई इकठी करते हुए 10 नवंबर 2003 को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने सीबीआई को एफआईआर दर्ज कर जांच के आदेश जारी किए। दिसंबर 2003 में सीबीआई ने छत्रपति व रणजीत हत्याकांड में जांच शुरू कर दी। दिसंबर 2003 में डेरा के लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआई जांच पर रोक लगाने की मांग की। सुप्रीम कोर्ट ने उक्त याचिका पर जांच को स्टे कर दिया। Dera Sacha Sauda First Controversy start from 1998
नवंबर 2004 में दूसरे पक्ष की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने डेरा की याचिका को खारिज कर दिया और सीबीआई जांच जारी रखने के आदेश दिए। सीबीआई ने पुन: उक्त मामलों में जांच शुरू कर डेरा प्रमुख सहित कई अन्य लोगों को आरोपी बनाया।
मई 2007 में डेरा सलाबतपरा ( बठिंडा , पंजाब ) में डेरा प्रमुख गरमीत सिंह ने सिख गुरु गोबिंद सिंह जी जैसी वेशभूषा धारण कर फोटो खिंचवाए और उन्हें अखबारों में प्रकाशित करवाया। 3 मई 2007 को सिखों ने गुरु गोबिंद सिंह की नकल किए जाने के विरोध स्वरूप बठिंडा में डेरा प्रमुख का पुतला फूंका। प्रदर्शनकारी सिखों पर डेरा प्रेमियों ने हमला बोल दिया, जिसके बाद 14 मई 2007 को पूरे उत्तर भारत में हिंसक घटनाएं हुई। सिखों व डेरा प्रेमियों के बीच जगह -जगह टकराव हुए। Dera Sacha Sauda First Controversy start from 1998
17 मई 2007 को प्रदर्शन कर रहे सिखों पर सुनाम में डेरा प्रेमी ने गोली चलाई, जिसमें सिख युवक कोमल सिंह की मौत हो गई, जिसके बाद सिख जत्थेबंदियों ने डेरा प्रमुख की गिरफ्तारी को लेकर आंदोलन किया। पंजाब में डेरा प्रमुख के जाने पर पाबंदी लग गई। 18 जून 2007 को बठिंडा की अदालत ने राजेन्द्र सिंह सिद्धू की याचिका पर डेरा प्रमुख के गैर जमानती वारंट जारी कर दिए।
31 जुलाई 2007 को सीबीआई ने हत्या मामलों व साध्वी यौन शोषण मामले में जांच पूरी कर चालान न्यायालय में दाखिल कर दिया। सीबीआई ने तीनों मामलों में डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह को मुख्य आरोपी बनाया। तीनों मामले पंचकूला स्थित सीबीआई की विशेष अदालत में विचाराधीन थे।
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