India News (इंडिया न्यूज़), CWC in Hyderabad, हैदराबाद: सोनिया गांधी ने हैदराबाद में कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक के पहले दिन भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (इंडिया) को लेकर कहा कि 2024 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ जीत के लिए एकजुट होकर चुनाव लड़ना जरूरी है। सोनिया गांधी गठबंधन की ताकत को अच्छे से समझती है।
लेकिन जब यूपीए का गठन किया गया था तब और आज के समय में काफी अंतर है। तब कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी थी और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) जैसे क्षेत्रीय दल कांग्रेस के तहत काम करके खुश थे। लेकिन आज टीएमसी और डीएमके की महत्वाकांक्षाएं बढ़ गई हैं। हालांकि कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चिंता आम आदमी पार्टी (आप) की बढ़ती ताकत है। जब संसद में दिल्ली सेवा बिल आय़ा तो कांग्रेस की दिल्ली ईकाई बिल का समर्थन करना चाहता है पर केंद्रीय नेतृत्व ने बिल के खिलाफ खड़ा होना का फैसला किया।
आप पर कांग्रेस में चिंता क्यों?
कांग्रेस कार्य समिति की हैदारबाद में इसलिए भी बुलाया गया क्योंकि कांग्रेस को यकीन है कि वह भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) और उसकी राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा को हरा सकती है। लेकिन सीडब्ल्यूसी, कांग्रेस की महत्वाकांक्षा के साथ-साथ भारत गठबंधन की प्रतिबद्धता के बावजूद, असहमति की आवाज को नियंत्रित नहीं कर सकी।
नेताओं ने मुद्दा उठाया
सूत्रों के अनुसार पंजाब और दिल्ली के कुछ नेताओं ने यह मुद्दा उठाया और कहा कि आप पर भरोसा नहीं किया जा सकता। आप के साथ किसी भी गठबंधन के खिलाफ पुरजोर वकालत करने वाले अजय माकन और पंजाब कांग्रेस विधानसभा के नेता प्रताप बाजवा ने पूछा: अगर ‘आप’ पर भरोसा किया जा सकता है, तो वह उन राज्यों में प्रचार क्यों कर रही है जहां सीधी भाजपा बनाम कांग्रेस लड़ाई है? क्या इससे भाजपा को मदद नहीं मिलती?”
राज्यों में प्रचार किया
बीते दिनों दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में प्रचार किया गया था। सच तो यह है कि दिल्ली और पंजाब दोनों जगह कांग्रेस को आप से नुकसान हुआ है, इसलिए राज्य के नेता पार्टी से सावधान हैं।
अध्यक्ष ने दिया आश्वासन
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने उनकी चिंताओं को स्वीकार कर लिया। लेकिन उन्होंने उन्हें यह भी आश्वासन दिया कि आगे कोई भी निर्णय राज्य इकाई से परामर्श के बाद ही लिया जाएगा। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि भोपाल बैठक में सीटों के बंटवारे को अंतिम रूप दिया जाएगा और कांग्रेस इन क्षेत्रों में ‘आप’ को कोई जगह नहीं देना चाहती।
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