फतेहाबाद जिले में 3 विधानसभा सीटें हैं। यहां भी डेरा का प्रभाव है, लेकिन भाजपा जिले की तीनों सीटों पर जीत हासिल नहीं कर सकी। फतेहाबाद से चुनाव लड़े दुड़ाराम के समर्थन में डेरा के लोगों ने खुलकर मैदान में ताल ठोंकी।हालांकि दुड़ाराम समेत जिले की सभी सीटें भाजपा हार गई। फतेहाबाद की तीनों सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। फतेहाबाद में सिख समुदाय के मतदाताओं का दबदबा है।2019 में फतेहाबाद की 3 में से 2 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी। एक सीट रतिया में जेजेपी ने जीती थी।
हिसार की आदमपुर सीट से डेरा ने कुलदीप बिश्नोई के बेटे और भाजपा प्रत्याशी भव्य बिश्नोई का समर्थन किया था। भव्य यह चुनाव कांग्रेस के चंद्र प्रकाश जंगा से हार गए थे। आदमपुर सीट से पहली बार बिश्नोई परिवार का कोई सदस्य हारा है।अंबाला में भी डेरा समर्थकों का दबदबा माना जाता है। हालांकि, यहां भी कांग्रेस ने बड़ी जीत दर्ज की। अंबाला जिले की 4 में से 3 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की। सिर्फ एक सीट अंबाला कैंट से भाजपा के अनिल विज को जीत मिली।
डेरा सच्चा सौदा एक सामाजिक-आध्यात्मिक संगठन है, जिसकी स्थापना वर्ष 1948 में मस्ताना बलूचिस्तानी ने की थी। राम रहीम डेरा के प्रमुख हैं। उन्हें 1990 में डेरा की कमान मिली थी। डेरा प्रमुख को उनके समर्थक पिता भी कहते हैं। डेरा के मुताबिक हरियाणा में उनके करीब 35 लाख अनुयायी हैं।
पहले डेरा के भीतर एक राजनीतिक विंग थी, लेकिन 2017 में इसे भंग कर दिया गया। डेरा ने राजनीतिक समर्थन का खेल 1998 के चुनाव से शुरू किया। 1998 के चुनाव में डेरा ने पंजाब में पहली बार शिरोमणि अकाली दल का समर्थन किया।बाद में डेरा का झुकाव कांग्रेस की ओर हो गया और राम रहीम खुलकर भाजपा के पक्ष में बोलने लगे।
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