Intangible heritage list 2025: भारत का प्रमुख त्यौहार दीपावली अब यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची में शामिल हो गया है. यह मान्यता 2025 में लाल किले पर आयोजित 20वें अंतर सरकारी समिति सत्र में दी गई, जो भारत की सांस्कृतिक विविधता को वैश्विक पटल पर मजबूत करती है.
यह भारत की 16वीं अमूर्त विरासत है जिसे यूनेस्को की वैश्विक जीवन्त परम्पराओं की सूची में स्थान मिला है.
अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची क्या है?
यूनेस्को की यह सूची जीवंत परंपराओं, कौशलों और अभिव्यक्तियों को संरक्षित करती है, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होती हैं. इसमें मौखिक परंपराएं, प्रदर्शन कला, सामाजिक रीति-रिवाज, प्रकृति ज्ञान और पारंपरिक शिल्प शामिल हैं, जैसे भारत का कुंभ मेला, गरबा नृत्य या योग. यह भौतिक धरोहरों से अलग है, जो पहचान और विविधता को मजबूत करती है. वैश्वीकरण के दौर में ये परंपराएं संकट में हैं, इसलिए इनका संरक्षण आवश्यक है.
भारत में यूनेस्को कार्यालय के निदेशक टिम कर्टिस ने दीपावली को इस सूची में शामिल किए जाने की घोषणा होने पर बधाई देते हुए कहा, “दीपावली केवल एक त्योहार नहीं है. यह भारत की सांस्कृतिक आत्मा की एक जीवन्त अभिव्यक्ति है. यह उत्सव समुदायों, परिवारों और लोगों को एक साथ जोड़ता है, और इसे जीवित रखने वाले सभी लोग इसके वास्तविक संरक्षक हैं.”
दीपावली का चयन कैसे हुआ?
दीपावली को समावेशी, प्रतिनिधि और समुदाय-आधारित साबित करने के लिए संगीत नाटक अकादमी ने नामांकन तैयार किया, जिसमें कुम्हार, कारीगर, किसान, मिठाई विक्रेता, पुजारी और प्रवासी समुदायों से परामर्श लिया गया. यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश, अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है, जो सामाजिक एकता, नवीनीकरण और समृद्धि को प्रदर्शित करता है. संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इसे जन-चालित बताया, जो सामुदायिक बंधनों को मजबूत करता है
UNESCO की अमूर्त धरोहर श्रेणी में शामिल भारत की अन्य धरोहरें
भारत के पास अब 16 अमूर्त धरोहर हैं, जिनमें रामलीला, वेदपाठ, दुर्गा पूजा (कोलकाता), गुजरात का गरबा आदि शामिल हैं. इस सूची में 140 देशों के 700 अमूर्त धरोहर शामिल हैं, जो सतत विकास लक्ष्यों जैसे आजीविका, लैंगिक समानता और सांस्कृतिक शिक्षा को बढ़ावा देती हैं. पीएम मोदी ने इसे सभ्यतागत घटना कहा, जो बहुलवाद और सद्भाव का संदेश देती है.
महत्व और प्रभाव
यह मान्यता सभी भारतीयों के लिए गर्व का विषय होने के साथ पर्यटन, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और कारीगरों की आजीविका भी बढ़ाएगी. प्रवासी भारतीयों के माध्यम से इस उत्सव का वैश्विक प्रसार हुआ है, जिससे दुनिया के लगभग सभी हिस्सों में लोग इस त्यौहार के बारे में जानने लगे हैं. UNESCO की अमूर्त धरोहर श्रेणी में शामिल होने के बाद लोगों में इस त्योहार को देखने और जानने की उत्सुकता बढ़ेगी जिससे पर्यटन क्षेत्र को विशेष लाभ होगा.