संबंधित खबरें
‘कुछ लोग खुश है तो…’, महाराष्ट्र में विभागों के बंटवारें के बाद अजित पवार ने कह दी ये बड़ी बात, आखिर किस नेता पर है इनका इशारा?
कांग्रेस को झटका देने की तैयारी में हैं उमर अब्दुल्ला? पिछले कुछ समय से मिल रहे संकेत, पूरा मामला जान अपना सिर नोंचने लगेंगे राहुल गांधी
खतरा! अगर आपको भी आया है E-Pan Card डाउनलोड करने वाला ईमेल? तो गलती से ना करें क्लिक वरना…
मिल गया जयपुर गैस टैंकर हादसे का हैवान? जांच में हुआ चौंकाने वाला खुलासा, पुलिस रह गई हैरान
भारत बनाने जा रहा ऐसा हथियार, धूल फांकता नजर आएगा चीन-पाकिस्तान, PM Modi के इस मास्टर स्ट्रोक से थर-थर कांपने लगे Yunus
‘जर्सी नंबर 99 की कमी खलेगी…’, अश्विन के सन्यास से चौंक गए PM Modi, कह दी ये बड़ी बात, क्रिकेट प्रशसंक भी रह गए हैरान
India news(इंडिया न्यूज़)Independence Decided:भारत की आजादी से जुड़े कई कहानी इतिहास में दर्ज है। डोमिनिक लैपीयर और लैरी कॉलिन्स ने अपने किताब फ्रीडम एट मिडनाइट’ में लिखा है। भारत के वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन 3 जून 1947 को औपचारिक रुप से भारत की आजादी और बटबारे का ऐलान करने वाले थे। वायसराय की घोषणा से एक रात पहले ही कांग्रेस और मुस्लिम लीग के नेताओं ने उनसे मुलाकात की थी। उन्होंने अपने लेखनी में इस बात का जिक्र किया है कि 2 जून को सात भारतीय नेता लॉर्ड माउंटबेटन के आवास पर गए थे। इन नेताओं में कांग्रेस पार्टी की ओर से पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल, और आचार्य कृपलानी का नाम शामिल है। और मुस्लिम लीग की तरफ से अलि जिन्ना, लियाकत अलि थे। वहां सिखों के नेता बलदेव सिंह भी इस बैठक में शामिल थे, लेकिन महात्मा गांधी इस बैठक में शिमिल नहीं थे। वायसराय ने एक -एक करके अपनी योजना के बारे में सभी नेताओं को बताया।
अगले बैठक में शामिल थे गांधी
लैपीयर और कॉलिन्स ने अपने किताब में लिखा है कि वायसराय ने आधी रात को सभी नेताओं से अपनी- अपनी बात रखने के लिए कहा, उसे विश्वास था कि भारतीय नेताओं का पक्ष एक समान होगा। पर तिनों दल के नेता वायसराय के योजना पर एक विचार नहीं रख पाय।इसके बाद एक और बैठक का ओयोजन किया गया जिसमें महात्मा गांधी भी शामिल हुए। बैठक में माउंटबेटन ने गांधीजी से अपनी योजना समझाई।
वायसराय के योजना से सहमत नही थे जिन्ना
लैपीयर और कॉलिन्स अपने किताब में लिखते है कि काग्रेस और सिख वायसराय के बातों से सहमत हो गए। लेकिन जिन्ना मानने को तैयार नहीं थे। वायसराय ने जिन्ना को बहुत मनाने की कोशिश किया लेकिन वे नहीं माने तो माउंटबेटन ने उससे कहा ठीक है मैं कल की होने वाली बैठक में कहुंगा की कांग्रेस और सिख मान गए है। फिर वायसराय और जिन्ना में काफी देर तक बात हुई और जिन्ना भी मान गए। लॉर्ड माउंटबेटन ने भारतीय नेताओं से स्वीकृति लेकर 3 जून, 1947 को दो अलग देश बनाने पर अपनी सहमति दे दी।
पत्रकार वार्ता में तय हुआ आजादी के दिन
लैपियर और कॉलिन्स ने लिखा एक पत्रकार वार्ता में लार्ड माउंटबेटन से पुछा गया था की, क्या आपने भारत का सत्ता सौपने के लिए कोई तारीख तय किया है। फिर उन्होंने कहा मैंने सत्ता सौपने के लिए तारीख तय कर दिया है। 15 अगस्त 1947 को भारत की सत्ता सौंप दी जाएगी। इसी तरह भारत और पाकिस्तान दो देश बनकर तैयार हुआ।
यह भी पढ़े।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.