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Economic Crisis In Sri Lanka : जानिए, क्यों आर्थिक संकट से जूझ रहा है श्रीलंका?

PUBLISHED BY: Suman Tiwari • LAST UPDATED : March 27, 2022, 2:33 pm IST
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Economic Crisis In Sri Lanka : जानिए, क्यों आर्थिक संकट से जूझ रहा है श्रीलंका?

Economic Crisis In Sri Lanka

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Economic Crisis In Sri Lanka: श्रीलंका दक्षिण एशिया में हिन्द महासागर के उत्तरी भाग में स्थित एक द्वीपीय देश है। कहते हैं श्रीलंका कि दूरी भारत से मात्र 31 किलोमीटर है। आज वही हमारा पड़ोसी देश श्रीलंका आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। क्योंकि वहां पर खाने पीने की चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं। (food crisis in Sri Lank) साथ चीन के कर्ज के जाल में फंसा श्रीलंका दिवालिया होने के कगार पर भी है।

बता दें कि 1972 तक (श्रीलंका) का पुराना नाम सीलोन था, जिसे 1972 में बदलकर लंका तथा 1978 में इसके आगे सम्मानसूचक शब्द ‘श्री’ जोड़कर श्रीलंका कर दिया गया। श्रीलंका को जयवर्धनेपुरा के नाम से भी जाना जाता है। यह श्रीलंका का एक प्रशासनीय केंद्र है जयवर्धनेपुरा। श्रीलंका की वाणिज्यिक राजधानी कोलंबो के पूर्वी भाग में स्थित एक शहर है। 4 फरवरी सन् 1948 को श्रीलंका की आजादी के बाद भी कोलंबो ही श्रीलंका की राजधानी बनी रही। (Record Sri Lanka Inflation)

सन् 1978 में श्रीलंका के सरकार ने अपनी प्राचीन राजधानी को फिर से स्थापित करने की घोषणा की। और इस तरह श्रीलंका कि राजधानी कोलंबो से फिर श्री जयवर्धनेपुरा कोट्टे हो गया। श्रीलंका में (वेदास) जनजाति पायी जाती है। पाक जलसंधि भारत-श्रीलंका के मध्य में ही है। बता दें कि श्रीलंका और भारत के बीच राम सेतु भी मौजूद है। तो चलिए जानते हैं क्यों है श्रीलंका में आर्थिक तंगी। इसका फॉरेन करेंसी से लेना-देना क्या है और भारत में क्या असर डालेगा। (sri lanka financial crisis india)

श्रीलंका में आर्थिक बदहाली कब से हुई?

आज हमारा पड़ोसी देश श्रीलंका भूख से तड़प रहा है। क्योंकि वहां एक किलो चीनी 290 रुपए में, एक किलो चावल 500 रुपए और 400 ग्राम मिल्क पाउडर 790 रुपए में मिल रहा है। साथ ही पेट्रोल के दाम 50 रुपए और डीजल के दाम 75 रुपए तक बढ़ चुके हैं। बताया जाता है कि 1948 में आजाद होने के बाद से श्रीलंका आर्थिक बदहाली से गुजर रहा है। (Sri Lanka Financial crisis)

श्रीलंका में आर्थिक तंगी का कारण क्या? 

Economic Crisis In Sri Lanka

  • कुछ एक्सपर्ट्सों का मामना है कि चीन के कर्ज में फंसने की वजह से श्रीलंका की यह हालत हुई है। श्रीलंका ने चीन से कुल पांच बिलियन डॉलर का कर्ज ले रखा है। इसके साथ ही श्रीलंका ने भारत और जापान से भी कर्ज लिया है। बताया जाता है कि श्रीलंका ने 2021 में भी चीन से एक बिलियन डॉलर का और कर्ज लिया था। हाल ही में श्रीलंका के राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे ने जब चीन से कर्ज की शर्तों को आसान करने के लिए कहा तो उसने मना कर दिया।
  • दरअसल, श्रीलंका के राष्ट्रपति ने चीन से काफी कर्जा लिया हुआ है। यहां तक की हंबनतोता पोर्ट को लगभग एक हजार करोड़ रुपए में चीन को लीज पर दे रखा है। श्रीलंका काफी हद तक टूरिज्म पर निर्भर है। श्रीलंका की आबादी लगभग 2.19 करोड़ है और लगभग 25 फीसदी आबादी टूरिज्म से जुड़ी है। 2019 में सीरियल बम ब्लास्ट होने और कोरोना काल में प्रतिबंधों के चलते श्रीलंका का टूरिज्म सेक्टर प्रभावित हुआ है।
  • श्रीलंका की जीडीपी में पर्यटन का हिस्सा अब 15 से घटकर पांच फीसदी रह गया है। वहीं फॉरेन करेंसी की कमी के चलते कनाडा सहित कई देशों ने अपने नागरिकों को श्रीलंका नहीं जाने की एडवाइजरी जारी की है। इस तरह की एडवाइजरी से भी टूरिज्म सेक्टर को नुकसान हुआ है। वहीं जिस सेक्टर से सबसे ज्यादा फॉरेन करेंसी आ रही थी, वह तबाह हो गई। इसमें कमी आने से इम्पोर्ट भी काफी प्रभावित हुआ है।
  • यह संकट बढ़ने की एक वजह फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (एफडीआई) में कमी आना है। श्रीलंका में जहां 2019 में 1.6 बिलियन डॉलर का एफडीआई आया था। 2019 में यह घटकर 793 मिलियन डॉलर हो गया है। जबकि 2020 में यह काफी कम होकर 548 मिलियन डॉलर हो गया। इसका सीधा मतलब खजाने में फॉरेन करेंसी की कमी होना। देश में केमिकल फर्टिलाइजर से खेती बंद करने के आदेश का घातक असर हुआ। कहा जा रहा है कि इससे फसल उत्पादन में खासी गिरावट आई।
  • श्रीलंका के राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे के सत्ता में आने के बाद से फॉरेक्स रिजर्व में कमी शुरू हुई थी। बताया जाता है कि 2019 में गोतबाया जब सत्ता में आए थे तो उस समय श्रीलंका के पास 7.5 बिलियन डॉलर का फॉरेक्स रिजर्व था, जबकि जुलाई 2021 में यह घटकर 2.8 बिलियन डॉलर हो गया।
  • इसका सीधा मतलब श्रीलंका में फॉरेन करेंसी की कमी हो गई है। इसके चलते सरकार के पास जरूरी वस्तुओं को खरीदने के लिए भी रुपये नहीं हैं। इसके चलते श्रीलंका में पेट्रोल-डीजल और खाने सामानों की कमी हो गई है। इससे यहां बेतहाशा तरीके से मंहगाई बढ़ी है। जिसका सीधा असर श्रीलंका की जनता पर पड़ रहा है।

श्रीलंका आर्थिक तंगी से निकलने के लिए किससे मांग रहा मदद?

Economic Crisis In Sri Lanka

  • आर्थिक तंगी से निकलने के लिए श्रीलंका भारत और चीन से मदद मांग रहा है। चीन अभी श्रीलंका को 2.5 बिलियन डॉलर का कर्ज देने पर विचार कर रहा है। यह 2.8 बिलियन डॉलर की सहायता के अलावा जिसे चीन ने कोरोना महामारी के बाद से श्रीलंका को दिया है।
  • श्रीलंका इस संकट से निकलने के लिए आईएमएफ से भी मदद मांग रहा है। बेसिल राजपक्षे इस पर चर्चा करने के लिए अगले माह वॉशिंगटन जा सकते हैं। वहीं श्रीलंका को भारत ने आश्वासन दिया कि भारत अपनी नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी का सम्मान करेगा और श्रीलंका को इस स्थिति से निकालने में मदद भी करेगा।
  • बता दें कि हाल ही में श्रीलंका के वित्त मंत्री बेसिल राजपक्षे ने जब दिल्ली का दौरा किया था तो उस दौरान भारतीय स्टेट बैंक और श्रीलंका सरकार के बीच एक समझौता हुआ था। भारत ने इस दौरान श्रीलंका को एक बिलियन डॉलर की क्रेडिट सुविधा देने पर सहमति जताई थी। इन पैसों के जरिए लोगों के लिए खाना, दवाएं और अन्य आवश्यक वस्तुओं की खरीद हो सकेगी।

श्रीलंका में जरूरी वस्तुओं की कीमत क्या?

Economic Crisis In Sri Lanka

  • श्रीलंका आयल, फूड, पेपर, चीनी, दाल, दवा और ट्रांसपोर्टेशन से जुड़े इक्विपमेंट के इम्पोर्ट पर निर्भर है। श्रीलंका के पास इन जरूरी वस्तुओं को सिर्फ 15 दिन तक ही इम्पोर्ट करने का डॉलर बचा है। मार्च में देश के पास सिर्फ 2.36 बिलियन डॉलर ही बचा है। इस समय श्रीलंका की हालात ऐसी है कि वहां कि सरकार के पास एग्जाम के पेपर छापने के लिए कागज और इंक तक नहीं है। (Food Prices in Sri Lanka)

Economic Crisis In Sri Lanka

  • डीजल-पेट्रोल और गैस के मामले में स्थिति कुछ ज्यादा गंभीर हो चुकी है। दो सप्ताह पहले ही यहां पर पेट्रोल के दाम 50 रुपए और डीजल के दाम 75 रुपए तक बढ़ाए गए थे। यहां पर एक लीटर पेट्रोल 254 श्रीलंकाई रुपए में मिल रहा है, जबकि डीजल 176 रुपए में मिल रहा है। श्रीलंका में पेट्रोल-डीजल खरीदने के चक्कर में कुछ लोगों की मौत भी हो चुकी है। हालात इस कदर बिगड़ चुके हैं कि श्रीलंका की सरकार ने पेट्रोल पंपों ओर गैस स्टेशनों पर सेना तैनात करने का फैसला किया है।
  • श्रीलंका में अभी भी 20 फीसदी परिवार खाना बनाने के लिए केरोसिन पर निर्भर हैं। इसके बावजूद अब केरोसिन भी लोगों को नहीं मिल रहा है। श्रीलंका में केरोसिन की सप्लाई भी पंपों से ही होती है। महंगाई का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं आपकी सुबह की एक कप चाय की कीमत 100 रुपए हो गई है। वहीं एक किलो चीनी 290 रुपए, एक किलो चावल 500 रुपए और 400 ग्राम मिल्क पाउडर 790 रुपए में मिल रहा है।
  • श्रीलंका में स्थिति इतनी गंभीर है कि क्रूड आॅयल का स्टॉक नहीं होने के चलते सरकार को अपनी एकमात्र आॅयल रिफाइनरी को बंद करना पड़ा है। इसके साथ ही 12.5 किलो वाले घरेलू सिलेंडर के दाम 1359 रुपए तक बढ़ गए हैं। अब सिलेंडर का दाम 4119 रुपए हो गया है। श्रीलंका में फूड इन्फ्लेशन बढ़कर 25.7 फीसदी हो गया है। इस वजह से दूध, ब्रेड जैसी जरूरी वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे हैं।

भारत पर क्या असर डालेगी श्रीलंका की आर्थिक तंगी?

  • श्रीलंका में आर्थिक संकट का असर अब भारत में भी महसूस किया जा रहा है। श्रीलंका में रिकॉर्ड तोड़ महंगाई के चलते श्रीलंका के लोग देश छोड़कर भागने लगे हैं। इस मामले में एक्सपर्ट्स का कहना है कि आर्थिक संकट से बचने के लिए अब और अधिक संख्या में श्रीलंकाई लोग अवैध तरीके से भारत आएंगे। आने वाले हफ्तों में नॉर्थ श्रीलंका में तमिल बहुल क्षेत्रों से और अधिक रिफ्यूजियों के भारत आने की उम्मीद है।
  • कई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यह संख्या 2 हजार तक हो सकती है। वहीं जाफना और मन्नार क्षेत्रों से 16 रिफ्यूजी हाल ही में तमिलनाडु पहुंचे। इनमें 8 बच्चे भी थे। इनमें से पहले 6 रिफ्यूजी रामेश्वरम के पास एक आईलैंड में फंसे हुए थे। इंडियन कोस्ट गार्ड के ने इन लोगों को वहां से निकाला। इसके अलावा 10 रिफ्यूजी देर रात पहुंचे थे। ये सभी रिफ्यूजी तमिल मूल के हैं।

श्रीलंका किन देशों में करता है इंपोर्ट?

श्रीलंका खाने का तेल, फूड, पेपर, शक्कर और दाल का सबसे अधिक इंपोर्ट करता है। यह चीन को 31 हजार करोड़ रुपये, यूएई को आठ हजार करोड़ रूपये, भारत को 32 हजार करोड़ रुपये, सिंगापुर को 9 हजार करोड़ रुपये और मलेशिाया को छह हजार करोड़ रुपये तक का समाना इंपोर्ट करता है।  Economic Crisis In Sri Lanka

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