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India News(इंडिया न्यूज), Economic Survey: आर्थिक सर्वेक्षण सरकार द्वारा केंद्रीय बजट से पहले अर्थव्यवस्था की स्थिति को सभी के सामने प्रस्तुत किया जाने वाला एक वार्षिक दस्तावेज है। यह दस्तावेज अर्थव्यवस्था के बीच में छोटे समय से लेकर मध्यम अवधि की संभावनाओं की भी देख भाल करता है। हाल ही में जारी आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) से पता चला है कि भारत में कुल बीमारियों का 54 प्रतिशत हिस्सा अस्वास्थ्यकर आहार के कारण है, हमे द हिंदू की एक रिपोर्ट से पता चला की मोटापे की बढ़ती दरों और चीनी और वसा से भरपूर खाने की चीजों में बढ़ती मांग पर भी चिंता जताई है।
22 जुलाई को संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत सर्वेक्षण में कहा गया है, “भारत की वयस्क आबादी के बीच मोटापा एक गंभीर चिंता का विषय बन रहा है।” सर्वेक्षण में इस बात पर भी जोर दिया गया कि अपने जनसांख्यिकीय लाभांश से पूरी तरह से लाभ उठाने के लिए, भारत को अपनी आबादी को संतुलित और विविध आहार की ओर ले जाना जरूरी है।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए, सर्वेक्षण ने इस बात पर प्रकाश डाला कि चीनी और वसा से भरपूर खाने की बढ़ती मांग, शारीरिक गतिविधि में कमी और आलग आळग खाने की चीजों तक सीमित पहुंच के कारण सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी और अधिक वजन की समस्याएँ बढ़ जाती हैं।
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सर्वेक्षण ने यह भी संकेत दिया कि, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में मोटापे की घटना काफी अधिक है। शहरी भारत में 29.8 प्रतिशत पुरुष मोटे हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह 19.3 प्रतिशत है। एक और चिंताजनक प्रवृत्ति में, 18-69 आयु वर्ग में मोटे पुरुषों का प्रतिशत एनएफएचएस-4 में 18.9 प्रतिशत से बढ़कर एनएफएचएस-5 में 22.9 प्रतिशत हो गया है। महिलाओं के लिए, यह दर 20.6 प्रतिशत (एनएफएचएस-4) से बढ़कर 24 प्रतिशत (एनएफएचएस-5) हो गई है। सर्वेक्षण में कहा गया है, “कुछ राज्यों में बढ़ती उम्र की आबादी के साथ मोटापा एक चिंताजनक स्थिति प्रस्तुत करता है। नागरिकों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने में सक्षम बनाने के लिए निवारक उपाय किए जाने चाहिए।”
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