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Effect Of Global Warming : तेजी से पिघल रहे हिमालय के ग्लेशियर, गहरा सकता है जल संकट

इंडिया न्यूज, चंडीगढ़:
Effect Of Global Warming: हिमालय के ग्लेशियर असाधारण तौर पर पहले के मुकाबले 10 गुना ज्यादा तेजी से पिघल रहे हैं, जिसके चलते भारत समेत एशिया के कई देशों में जल संकट और गहरा सकता है। यह जानकारी लीड्स विश्वविद्यालय की ओर से किए गए अध्ययन में सामने आई है, जोकि जर्नल साइंटिफिक रिपोर्टस में प्रकाशित है।

अनुमान लगाया जा रहा है कि जिस तेजी से यह ग्लेशियर पिघल रहे हैं उसके चलते गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु नदी के लिए संकट गहरा सकता है। इस कारण इन नदियों पर निर्भर करोड़ों लोगों की समस्याएं पहले के मुकाबले ज्यादा बढ़ सकती हैं

शोध के मुताबिक, तीसरा ध्रुव’ नाम से जाना जाने वाला हिमालय अंटार्कटिका और आर्कटिक के बाद ग्लेशियर बर्फ का तीसरा सबसे बड़ा सोर्स है। पर ग्लोबल वार्मिंग की वजह से इसके ग्लेशियर असाधारण गति से पिघल रहे हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि 400 से 700 साल पहले के मुकाबले पिछले कुछ दशकों में हिमालय के ग्लेशियर 10 गुना तेजी से पिघले हैं। यह गतिविधि साल 2000 के बाद ज्यादा बढ़ी है।

ब्रिटेन शोधकतार्ओं के अनुसार, हिमालय से बर्फ के पिघलने की गति ‘लिटल आइस एज’ के समय से औसतन 10 गुना ज्यादा है। लिटल आइस एज का काल 16वीं से 19वीं सदी के बीच का था। इस दौरान बड़े पहाड़ी ग्लेशियर का विस्तार हुआ था।

ऐसे हुई रिसर्च (Effect Of Global Warming)

वैज्ञानिकों की टीम ने लिटल आइस एज के दौरान हिमालय की स्थिति का पुनर्निर्माण किया। उन्होंने 14,798 ग्लेशियर की बर्फ की सतहों और आकार को सैटिलाइट की तस्वीरों से जांचा। इससे पता चला कि आज हिमालय के ग्लेशियर अपना 40 फीसदी हिस्सा खो चुके हैं। इनका दायरा 28,000 वर्ग किलोमीटर से घटकर 19,600 वर्ग किलोमीटर पहुंच गया है।

विश्वभर में बढ़ा समुद्र का जलस्तर ( Rising sea level around the world)

रिसर्च में पाया गया कि अब तक हिमालय में 390 से 580 वर्ग किलोमीटर बर्फ पिघल चुकी है। इस कारण समुद्र का जलस्तर 0.03 से 0.05 इंच तक बढ़ गया है। बर्फ हिमालय के पूर्वी इलाकों की तरफ ज्यादा तेजी से पिघल रही है। यह क्षेत्र पूर्वी नेपाल से भूटान के उत्तर तक फैला हुआ है।

बूंद-बूंद को तरसेंगे लोग (Effect Of Global Warming)

शोध में वैज्ञानिकों ने माना है कि हिमालय के ग्लेशियर पिघलने का कारण मानव प्रेरित क्लाइमेट चेंज है। इससे जहां समुद्र में पानी बढ़ रहा है, वहीं इंसानों के इस्तेमाल में आने वाला पानी कम होता जा रहा है। आने वाले समय में करोड़ों लोगों को पानी, खाना और ऊर्जा की कमी हो सकती है। इसका खतरा उनको ज्यादा है जो एशिया में गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु नदी के किनारे रहते हैं।

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Suman Tiwari

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