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पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय के साथ बद्दी की कंपनी करेगी शोध
इंडिया न्यूज, मंडी:
जिले के मलाणा में उगने वाली भांग पर रिसर्च शुरू होने वाली है। सोलन जिले में औद्योगिक क्षेत्र बद्दी की ग्रीन लाइफ कंपनी कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के साथ मिलकर यहां पर उगने वाले भांग के पौधों पर रिसर्च करेगी। कंपनी का कृषि विश्वविद्यालय के साथ एमओयू साइन हुआ है। वैज्ञानिक इसके नशे के तत्वों को दूर करके इसके मेडिसिन तत्व को प्रमोट कर नई ब्रीड देंगे। सरकार से भी जल्द ही इस रिसर्च को लेकर हरी झंडी मिलने वाली है। जैसे ही हरी झंडी मिलेगी, रिसर्च का काम शुरू हो जाएगा। हिमाचल में इस तरह का ये पहला रिसर्च है, जिसमें भांग के पौधों पर रिसर्च किया जाएगा।
बताया जाता है कि भांग में कई ऐसे कंपाउंड पाए जाते हैं जो दवाइयों में इस्तेमाल किए जाते हैं। भांग पर विदेशों में भी रिसर्च हो रही है, लेकिन भारत में पाए जाने वाले भांग के पौधों पर कहीं भी रिसर्च नहीं हो रहीै। ऐसे में हिमाचल में पहली बार इस तरह की रिसर्च हो रही है। ग्रीन लैब कंपनी जोकि इस पर रिसर्च करेगी, वह न्यूजीलैंड की कंपनी है और बद्दी में इसकी ब्रांच है। गौरतलब है कि भांग का प्रयोग लकवे की दवाई के लिए किया जाता है, लेकिन लोग इसका ज्यादातर प्रयोग नशे के लिए करते हैं। ऐसे में इस रिसर्च के बाद अगर कंपनी भांग के पौधों से नशे के तत्वों को दूर करने में कामयाब हो जाती है तो हिमाचल के मलाणा में उगने वाली भांग की मांग विदेशों में बढ़ जाएगी। गौरतलब है कि कुल्लू के मलाणा में जो भांग के पौधे पाए जाते हैं, वह प्राकृतिक तत्वों से भरपूर हैं, क्योंकि यहां पर बर्फ भी पड़ती है और अभी तक मलाणा देश दुनिया की चकाचौंध से काफी दूर है। ऐसे में यहां की जलवायु पूरी तरह से साफ है। प्रदूषण नहीं है, लेकिन अभी तक मलाणा में उगने वाली भांग का इस्तेमाल अवैध तरीके से नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए किया जाता है। रिसर्च में अगर मेडिसन तत्वों का पता लगता है तो लोग इसकी खेती करना शुरू कर देंगे, लेकिन अभी तक इस क्षेत्र में फसल को केवल नष्ट ही किया जाता है। कोरोना के चलते रिसर्च का काम थोड़ी देरी से शुरू हो रहा है।
बताया जाता है कि मलाणा में नशे के लिए तैयार की जाने वाली भांग पूरी देश और दुनिया में फेमस है। यहां की भांग मलाणा क्रीम के नाम से बाजार में बिकती है और काफी महंगी भी होती है।
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