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देश के महान इंजीनियर Doctor M Visvesvaraya की जयंती पर मनाया जाता है Engineers Day
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :
Engineers Day : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने Engineers Day (अभियंता दिवस) पर बुधवार को देश के इंजीनियरों को बधाई दी है। देश में हर साल 15 सितंबर को इंजीनियर्स डे मनाया जाता है। ये दिन भारत के सबसे महान इंजीनियर M Visvesvaraya के जन्मदिन के दिन ही मनाया जाता है। Visvesvaraya ने इंजीनियरिंग के क्षेत्र कई ऐसी उपलब्धियां हासिल कीं, जो इतिहास में अमर है। वह भारतीय सिविल इंजीनियर के साथ-साथ विद्वान और राजनेता भी थे। सरकार ने साल 1955 में इन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया था। पीएम ने इंजीनियरों को बधाई देते कहा, देश को बेहतर और तकनीकी रूप से उन्नत बनाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस दिन की उनको बधाई। इसके अलावा उन्होंने एम. विश्वेश्वरय्या को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि भी अर्पित की।
डॉक्टर M Visvesvaraya का पूरा नाम मोक्षगुंडम Visvesvaraya है। उन्हें सर एमवी के नाम से भी जाना जाता है। विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सितंबर 1861 को कर्नाटक में मैसूर के कोलार जिले में स्थित क्काबल्लापुर तालुक में एक तेलुगु परिवार में जन्म हुआ था। Visvesvaraya ने अपनी शुरुआती पढ़ाई अपने जन्मस्थान से ही की। आगे की पढ़ाके के लिए वे बेंगलुरू के सेंट्रल कॉलेज चले गए। इसके बाद वे इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए पूना के साइंस कॉलेज में एडमिशन लिया। पढ़ाई के बाद उन्होंने नासिक में सहायक इंजीनियर के तौर पर काम करना शुरू कर दिया। उनके कामों को देखते हुए साल 1955 में सरकार ने उन्हें सर्वोच्च भारतीय सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
मैसूर के 19वें दीवान भी रहे थे Visvesvaraya
साल 1912 से 1918 तक डॉ Visvesvaraya मैसूर के 19वें दीवान थे। उन्होंने मांड्या जिÞले में बने कृष्णराज सागर बांध के निर्माण का मुख्य योगदान दिया था। डॉ. मोक्षगुंडम को कर्नाटक का भागीरथ भी कहा जाता है। 32 साल की उम्र में उन्होंने सिंधु नदी से सुक्कुर कस्बे तक पानी पहुंचाने के लिए एक प्लान बनाया। उन्होंने बांध से पानी के बहाव को रोकने वाले स्टील के दरवाजे बनवाए, जिसकी तारीफ ब्रिटिश अधिकारियों ने भी की। 12 अप्रैल 1962 को 102 साल की उम्र में डॉ. मोक्षगुंडम का निधन हुआ। बताया जाता है कि अंतिम समय तक वे एक्टिव रहते थे। जब उनसे कोई पूछता कि इस उम्र में कैसे फिट हैं तो वे कहते कि जब बुढ़ापा मेरा दरवाजा खटखटाता है तो मैं जवाब देता हूं कि Visvesvaraya घर पर नहीं है। फिर वह निराश होकर लौट जाता है।
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