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India News (इंडिया न्यूज), Facts On Bangladesh Vijay Diwas For Yunus Govt: शेख हसीना को खदेड़ने के बाद से बांग्लादेश के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। वहां की अंतरिम सरकार जिस थाली में खा रही है, उसी में छेद करने पर तुली है। मोहम्मद यूनुस, भारत को नाराज करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। अब बांग्लादेश ने पीएम मोदी (PM Modi) के ट्वीट पर भी बदसलूकी कर डाली है। ये ट्वीट विजय दिवस पर किया गया था, जिसे लेकर बांग्लादेश के आलाकमानों का आधा ज्ञान खतरनाक साबित हुआ है। यूनुस के मंत्री ने पीएम मोदी के ट्वीट पर भड़ास निकाली है लेकिन फैक्ट गलत कर गए हैं।
बांग्लादेश की नींव रखने में भारत की सबसे अहम भूमिका है…इस फैक्ट को बांग्लादेश की अधज्ञानी सरकार ने झूठलाने की हिमाकत की है। 16 दिसंबर 1971 के युद्ध में भारत के सामने 90 हजार पाकिस्तानी सैनिक घुटने टेकने को मजबूर हो गए थे और तब जाकर बांग्लादेश एक अलग देश बन पाया था। अगर भारतीय सैनिकों ने कुर्बानियां नहीं दी होतीं तो आज बांग्लादेश सिर्फ एक सपना ही होता। ये बात बांग्लादेश की नई सरकार भूल गई है। युनुस सरकार की कमजोर याददाश्त का सबूत तब मिला जब 16 दिसंबर को पीएम मोदी ने ट्विटर पर विजय दिवस को लेकर पोस्ट किया।
प्रधानमंत्री ने उस दिन को याद करते हुए लिखा ‘आज विजय दिवस पर हम 1971 में भारत की ऐतिहासिक जीत में योगदान देने वाले बहादुर सैनिकों के बलिदान और साहस को सलाम करते हैं’। बांग्लादेश को पीएम का ये पोस्ट देखकर मिर्ची लग गई और अंतरिम सरकार में कानून मंत्री आसिफ नजरुल ने आधे ज्ञान का सबूत दे डाला। उन्होंने पीएम मोदी के पोस्ट का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए लिखा ‘1971 की जीत बांग्लादेश की जीत है, भारत इसमें महज एक सहयोगी भर ही था’।
विदेश मंत्रालय ने भारत की भूमिका पर सवाल उठाते हुए एक बड़ी गलती कर दी है। बांग्लादेश ने भारत के पूर्व सचिव जेएन दीक्षित की किताब ‘लिबरेशन एंड बियॉन्ड: इंडो-बांग्लादेश रिलेंशस’ को क्रेडिट देते हुए कह डाला कि भारत ने जानबूझकर पाकिस्तानी सैनिकों के आत्मसमर्पण समारोह से बांग्लादेश के संयुक्त कमान के कमांडर जनरल एमएजी उस्मानी को दूर रखा था, उन्हें रोका गया था।
हालांकि, बांग्लादेश पूरी किताब पढ़ना भूल गया क्योंकि इसी किताब में उस्मानी आत्मसमर्पण समारोह में ना पहुंच पाने बात जरूर लिखी है लेकिन आगे इसके पीछे की वजह भी बताई गई है। असल में समारोह से पहले उस्मानी का हेलीकॉप्टर ढाका नहीं पहुंच पाया था, कहीं और ही भटक गया था, जिसकी वजह से भारतीय सैनिकों ने सरेंडर के कागजात पर साइन करवाने की जिम्मेदारी उठाई थी। अब यूनुस सरकार किताब पढ़ना भूल गई या जानबूझ कर फैक्ट छुपा रही है, ये अभी भी पहेली बना हुआ है।
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