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Fali S Nariman: कौन थे फली एस नरीमन? जानें प्रख्यात न्यायविद् के बारे में 10 रोचक तथ्य

Reepu kumari • LAST UPDATED : February 21, 2024, 11:34 am IST

India News (इंडिया न्यूज), Fali S Nariman Death: देश के प्रसिद्ध न्यायविद् और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील फली एस नरीमन का बुधवार को नई दिल्ली में निधन हो गया। फली एस नरीमन ने नवंबर 1950 में बॉम्बे हाई कोर्ट में एक वकील के रूप में प्रैक्टिस शुरू की और 1961 में उन्हें वरिष्ठ वकील नामित किया गया। उन्होंने 70 से अधिक वर्षों तक कानून का अभ्यास किया।

शुरुआत में उन्होंने अपने कानूनी ज्ञान का उपयोग बॉम्बे उच्च न्यायालय और फिर साल 1972 से उच्चतम न्यायालय में प्रमुख मामलों की जिरह करने के लिए किया।  उनके निधन के साथ, प्रतिष्ठित भारतीय न्यायपालिका के एक युग का आज अंत हो गया। भारत के कानूनी परिदृश्य में एक महान हस्ती नरीमन ने न केवल देश में बल्कि वैश्विक मंच पर भी ख्याति अर्जित की। खैर वो तो आज हम सबते बीच नहीं रहे लेकिन उन्होनें देश के लिए जो किया है उसके बारे में सबकों जानना चाहिए। उनसे जुड़े 10 ऐसे तथ्य जिसके बारे में आज हर जगह चर्चा हो रही है।

फली एस नरीमन से जुड़े 10 रोचक तथ्य 

  1. फली सैम नरीमन, जिनका जन्म 10 जनवरी 1929 को हुआ था, 1971 से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील थे।
  2. मई 1972 में उन्हें भारत का अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया गया।
  3. नरीमन को महत्वपूर्ण मुद्दों पर स्टैंड लेने के लिए जाना जाता था। उन्होंने तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी द्वारा घोषित आपातकाल के विरोध में भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के पद से इस्तीफा दे दिया।
  4. नरीमन की कानूनी यात्रा तब शुरू हुई जब वह नवंबर 1950 में बॉम्बे हाई कोर्ट के वकील के रूप में नामांकित हुए।
  5. उन्होंने अपनी 7 दशक की सेवा के दौरान जबरदस्त प्रतिष्ठा हासिल की। भारत के सर्वोच्च न्यायालय में प्रैक्टिस करने के लिए 1972 में नई दिल्ली जाने से पहले उन्होंने शुरुआत में बॉम्बे उच्च न्यायालय में कानून का अभ्यास किया
  6. उन्हें जनवरी 1991 में पद्म भूषण और 2007 में पद्म विभूषण सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।
  7. नरीमन ने कई ऐतिहासिक मामले उठाए जिससे भारतीय न्यायपालिका को आकार देने में मदद मिली।
  8. उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों पर बहस की, जिनमें प्रसिद्ध राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी), एससी एओआर एसोसिएशन मामला (जिसके कारण कॉलेजियम प्रणाली का जन्म हुआ), टीएमए पाई मामला आदि शामिल हैं।
  9. उनकी प्रसिद्धि भारत की सीमाओं से परे तक फैली, क्योंकि उन्होंने 1991 से 2010 तक बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और 1989 से 2005 तक आईसीसी (इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स) पेरिस के इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन के उपाध्यक्ष जैसे सम्मानित पदों पर कार्य किया।
  10. उन्होंने इंटरनेशनल काउंसिल फॉर कमर्शियल आर्बिट्रेशन के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया और 1995 से 1997 तक इंटरनेशनल कमीशन ऑफ ज्यूरिस्ट्स, जिनेवा की कार्यकारी समिति की अध्यक्षता की।

त्कृष्ट लेखक 

बता दें कि, नरीमन को जनवरी 1991 में पद्म भूषण और 2007 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। कानून पर पकड़ रखने के अलावा, उन्हें एक उत्कृष्ट लेखक भी कहा जाता है, जिनकी ‘द स्टेट ऑफ नेशन’, ‘गॉड सेव द ऑनरेबल सुप्रीम कोर्ट’ जैसी किताबें हैं और उनकी आत्मकथा, ‘बिफोर मेमोरी फ़ेड्स’ लोकप्रिय हुई, जिसे व्यापक रूप से पढ़ा गया।

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