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Farmers Protest News: आखिर एक बार फिर सड़कों पर क्यों उतरे किसान? जानें क्या है डिमांड 

Mudit Goswami • LAST UPDATED : February 13, 2024, 1:52 pm IST
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Farmers Protest News: आखिर एक बार फिर सड़कों पर क्यों उतरे किसान? जानें क्या है डिमांड 

Farmers Protest

India News (इंडिया न्यूज़) Farmers Protest News: किसान आंदोलन 2.0 आज से शुरू हो रहा है। करीब 2 साल पहले किसान संघों ने 16 महीने से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन किया था। जिसके बाद केंन्द्र सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया था।  उन्हीं किसान गठबंधनों ने नए बदलावों और संयोजनों के साथ अब अपनी शेष मांगों को लेकर आज यानि 13 फरवरी को एक और “दिल्ली चलो” मार्च का आह्वान किया है।

बता दें कि इस ‘दिल्ली चलो’ (Delhi Chalo) आंदोलन में 150 से ज्यादा संगठन शामिल हैं। दो साल पहले जब किसानों ने आंदोलन किया था उस समय उनको इजाजत मिल गई थी, लेकिन इस बार सरकार ने पहले से सख्ती दिखाई है। इस बार धारा 144 लगा दी गई है। इस बार दिल्ली आने वाली सभी सीमाएं सील कर दी गई हैं। इस बार आंदोलन के चेहरे भी बदल गए हैं।

ये है किसानों की मांग

इस बार किसानों की सबसे मुख्य मांग एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर है। जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी दी जाए और सभी फसलों को एमएसपी के दायरे में लाया जाए। इसके अलावा न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम कीमत पर फसलों की खरीद को अपराध घोषित किया जाना चाहिए।

क्या है एमएसपी? 

न्यूनतम समर्थन मूल्य वह दर है जिसमे सरकार किसानों से उनके फसल को लेती है या खरीदती है। यह न्यूनतम समर्थन मूल्य किसानों की उत्पादन लागत से कम से दो गुना ज्यादा दिया जाता है। अगर आपको सरल भाषा में बताए तो अगर किसी फसल का एमएसपी 20 रुपये तय किया गया है और अगर वह फसल बाजार में 15 रुपये में भी बिक रही है तो सरकार किसानों से वह फसल 20 रुपये में ही खरीदेगी।

आपको बता दे, केंद्र सरकार सभी फसलों की MSP नहीं देती। वर्तमान में कुल 23 फसलों पर MSP दी जाती है। ये सभी ‘अधिदिष्ट फसल’ (Mandated Crops) की कैटेगरी में रखी गई है। जिसमें दो वाणिज्यिक फसलें, 6 रबी फसलें और 14 खरीफ की फसलें शामिल हैं। इन फसलों से साथ – साथ गन्ने के लिये उचित (FRP) की सिफारिश भी की जाती है।

जानें किन किसानों को मिल रहा है इसका लाभ?

भले ही एमएसपी केंद्र सरकार तय करती है, लेकिन इसका लाभ देश के सभी किसानों को नहीं मिलता है। 2014 में बनी शांता कुमार कमेटी के मुताबिक देश के सिर्फ 6 फीसदी किसानों को ही एमएसपी का फायदा मिला है। इसके अलावा बिहार जैसे कई राज्यों में एमएसपी व्यवस्था लागू नहीं है। बिहार में अनाज की खरीद PACS (प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों) के माध्यम से की जाती है।

आखिर अब से शुरू हुई MSP?

एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पहली बार केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 1966-67 में शुरू किया गया था। ऐसा तब हुआ जब आज़ादी के समय भारत को अनाज उत्पादन में भारी घाटे का सामना करना पड़ा था। तब से एमएसपी व्यवस्था लगातार चल रही है। 60 के दशक में सरकार ने सबसे पहले गेहूं पर एमएसपी लागू किया ताकि वह किसानों से गेहूं खरीद सके और इसे अपनी पीडीएस योजना या राशन के तहत गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों में वितरित कर सके।

आखिर कौन तय करता है MSP?

कृषि मंत्रालय के अधीन ‘कृषि लागत एवं मूल्य आयोग’ और अन्य संगठन एमएसपी से संबंधित सुझाव देते हैं। एमएसपी लागू करना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) निर्धारित करते समय आयोग द्वारा खेती की लागत सहित विभिन्न कारकों पर भी विचार किया जाता है।

 

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