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FATF Vs Pakistan: अगर पाकिस्तान होता है ब्लैक लिस्ट, तो क्या होगा असर?

Suman Tiwari • LAST UPDATED : February 21, 2022, 1:36 pm IST
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FATF Vs Pakistan: अगर पाकिस्तान होता है ब्लैक लिस्ट, तो क्या होगा असर?

FATF Vs Pakistan

FATF Vs Pakistan: अगर पाकिस्तान होता है ब्लैक लिस्ट, तो क्या होगा असर?

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
आज से फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की प्लेनरी सेशन की बैठक शुरू हो रही है। (FATF meeting in paris) इस बैठक के दौरान दुनियाभर की निगाहें पाकस्तिान के ब्लैक लिस्ट होने पर रहेगी। (FATF Black List & Pakistan) क्योंकि पाकस्तिान अभी एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में शामिल है।

बताया जा रहा पाक पर यूनाइटेड नेशन की ओर से घोषित आतंकियों पर कोई भी कार्रवाई नहीं करने व टेरर फंडिंग का आरोप लगा है। (Pakistan Terror Funding) एफएटीएफ द्वारा ब्लैक लिस्ट होने पर पाक की अर्थव्यवस्था तबाही के कगार पर पहुंच सकती है। तो चलिए जानते हैं कि क्या होती है फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स। ग्रे लिस्ट क्या है, और ब्लैक लिस्ट का पाक पर कितना पड़ेगा असर।

What is FATF, how many countries are involved in it

  • फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) एक अंतर-सरकारी निकाय है जिसे फ्रांस की राजधानी पेरिस में जी7 समूह के देशों की ओर से 1989 में स्थापित किया गया था। इसका काम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग), सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार और आतंकवाद के वित्तपोषण पर निगाह रखना है।
  • इसके कुल 39 सदस्य देश और क्षेत्रीय संगठन हैं। सदस्य देशों में भारत, अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और चीन भी शामिल हैं। 2006 में भारत आब्जर्वर के रूप में एफएटीएफ में शामिल हुआ। इसके बाद से यह पूर्ण सदस्यता की दिशा में काम कर रहा था। 25 जून 2010 को भारत को एफएटीएफ के 34वें सदस्य देश के रूप में शामिल किया गया।

एफएटीएफ काम कैसे करता है? (FATF Vs Pakistan)

  • एफएटीएफ मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग पर नजर रखने वाली संस्था है। दूसरे शब्दों में कहें तो यह आतंकियों को पालने-पोसने के लिए पैसा मुहैया कराने वालों पर नजर रखने वाली एजेंसी है। अंतरराष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था को साफ-सुथरा बनाए रखना इस एजेंसी का मकसद है। यह अपने सदस्य देशों को टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग जैसी गतिविधियों में शामिल होने से रोकता है।
  • अमेरिका में 9/11 के आतंकी हमलों के बाद टेरर फंडिंग से निपटने में एफएटीएफ की भूमिका प्रमुख हो गई। 2001 में इसने अपनी नीतियों में टेरर फंडिंग को भी शामिल किया। टेरर फंडिंग में आतंकियों को पैसा या फाइनेंशियल सपोर्ट पहुंचाना शामिल है। एफएटीएफ के निर्णय लेने वाले निकाय को एफएटीएफ प्लेनरी कहा जाता है। इसकी बैठक एक साल में तीन बार आयोजित की जाती है। एफएटीएफ अपनी सिफारिशों को लागू करने में देशों की प्रगति की निगरानी करता है।

टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर एफएटीएफ कैसे कार्रवाई करता? (FATF Vs Pakistan)

  • कहा जाता है कि जब किसी देश को निगरानी सूची में रखा जाता है तो इसका मतलब है कि वह देश तय समय सीमा के अंदर पहचानी गई कमियों को तेजी से हल करने के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही वह देश अतिरिक्त जांच के दायरे में है। एफएटीएफ में टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में दो तरह की कार्रवाई करता है। पहले के तहत वह देशों को ग्रे लिस्ट में डालता है। साथ ही कोई कार्रवाई नहीं कर पाने पर उस देश को ब्लैक लिस्ट कर दिया जाता है।
  • ग्रे लिस्ट क्या है: ग्रे लिस्ट में शामिल देश वो होते हैं जहां टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग का जोखिम सबसे ज्यादा होता है। हालांकि, ये देश इसे रोकने के लिए एफएटीएफ के साथ मिलकर काम करने को तैयार होते हैं। एफएटीएफ से जुड़ी एजेंसी एशिया पैसिफिक ग्रुप इस मामले में एशिया से संबंधित देश पर नजर रखती है।
  • एशिया पैसिफिक ग्रुप यह पता लगाती है कि ये देश आतंकवाद को मिलने वाली फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग को खत्म करने को लेकर कितने गंभीर हैं। अगर कोई देश इसे रोकने में नाकाम रहता है तो उसे ब्लैक लिस्ट करने की चेतावनी दी जाती है। एशिया पैसिफिक ग्रुप की तरह ही यूरोप, दक्षिण अमेरिका और दूसरे क्षेत्रों में एफएटीएफ से जुड़ी एजेंसियां हैं।

ग्रे लिस्ट में रहने का नुकसान क्या?  (What are the disadvantages of being on the gray list)

  • ग्रे लिस्ट वाले देशों को किसी भी इंटरनेशनल मॉनेटरी बॉडी यानी आईएमएफ, एडीबी, वर्ल्ड बैंक से कर्ज लेने के पहले बेहद सख्त शर्तों को पूरा करना पड़ता है। ज्यादातर संस्थाएं कर्ज देने में आनाकानी करती हैं। ट्रेड में दिक्कत होती है।
  • कहते हैं कि एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में रहने से पाकस्तिान को हर साल 74 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। 2008 में पाकस्तिान को पहली बार ग्रे लिस्ट में डाला गया था। 2009 में वह इस लिस्ट से बाहर हो गया था।
  • 2012 में फिर पाक एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में डाला गया। 2015 में फिर बाहर निकलने में कामयाब रहा। जून 2018 में एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में फिर शामिल हुआ। अप्रैल 2021 में हुए रिव्यू में राहत नहीं मिली थी।

ब्लैक लिस्ट क्या है?

  • जहां ग्रे लिस्ट में शामिल देश एफएटीएफ के साथ मिलकर काम करने को इच्छुक होते हैं। वहीं ब्लैक लिस्ट में उन देशों को डाला जाता है जो यह साबित करने की कोशिश नहीं करते हैं कि उन पर टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप बेबुनियाद हैं। ये देश टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग की गतिविधियों का समर्थन करते हैं। साथ ही ये देश इन आरोपों से बाहर निकलने की भी कोशिश नहीं करते हैं।
  • एफएटीएफ ने 2019 में टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग का सपोर्ट करने पर ईरान और नार्थ कोरिया को ब्लैक लिस्ट कर दिया था। हालांकि, एफएटीएफ समय-समय पर ब्लैक लिस्ट को रिवाइज करता है और इसमें कई नामों को हटाता और जोड़ता है।
  • ब्लैक लिस्ट में आने का नुकसान: आईएमएफ, एडीबी, वर्ल्ड बैंक या कोई भी फाइनेंशियल बॉडी आर्थिक मदद नहीं देती। मल्टी नेशनल कंपनियां कारोबार समेट लेती हैं। रेटिंग एजेंसीज निगेटिव लिस्ट में डाल देती हैं। कुल मिलाकर अर्थव्यवस्था तबाही के कगार पर पहुंच जाती है।

पाकिस्तान क्यों डर रहा बैठक से? (FATF Vs Pakistan)

  • 2008 में पाकिस्तान को पहली बार एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में डाला गया था। इसके तहत उसे टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर कार्रवाई करनी थी। 2009 में वह इस लिस्ट से बाहर हो गया था। 2012 में पाकिस्तान को एक बार फिर एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में डाला गया था। हालांकि, 2015 में फिर वह बाहर निकलने में कामयाब रहा था।
  • पाकिस्तान जून 2018 में एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में शामिल हुआ था। अक्टूबर 2018, 2019, 2020 और अप्रैल 2021 में हुए रिव्यू में भी पाकिस्तान को राहत नहीं मिली थी। पाकिस्तान इस दौरान एफएटीएफ की सिफारिशों पर काम करने में विफल रहा है। इस दौरान पाकिस्तान में आतंकी संगठनों को विदेशों से और घरेलू स्तर पर आर्थिक मदद मिलनी जारी है।

क्या पाकस्तिान की अर्थव्यवस्था डगमगाएगी?

  • अगर एफएटीएफ पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट करता है तो पहले से ही खराब चल रही अर्थव्यवस्था पर खतरा और बढ़ जाएगा। इससे पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक मदद नहीं मिल पाएगी। यानी आईएमएफ, एडीबी, वर्ल्ड बैंक या कोई भी फाइनेंशियल बॉडी आर्थिक मदद नहीं करेगी।
  • आयात निर्यात पर कई तरह की पाबंदियों के साथ साथ दूसरे संगठनों से आर्थिक मदद लेने में दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। दूसरे देशों में काम करने वालों द्वारा भेजी गई रकम (रेमिटेन्स) पर प्रभाव पर सकता है।
  • क्रेडिट रेटिंग एजेंसी जैसे मूडीज और दूसरी संस्थाओं द्वारा पाकिस्तान को निगेटिव लिस्ट में डाल दिया जाएगा। इससे पाकिस्तान में निवेश आने बंद हो जाएंगे। 21.4 लाख करोड़ भारतीय रुपए के बराबर का कर्ज है पाकिस्तान के ऊपर इस समय।

FATF Vs Pakistan

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