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India News (इंडिया न्यूज़), Festival Of Ideas, दिल्ली: ITV नेटवर्क की तरफ से 24 और 25 अगस्त, 2023 को देश की राजधानी दिल्ली में फेस्टिवल ऑफ आइडियाज (Festival Of Ideas) कॉन्क्लेव का आजोयन किया जा रहा है। इस कॉन्क्लेव में देश के तमाम क्षेत्रों के दिग्गज लोग (Festival Of Ideas) अपने विचारों को देश की जनता के साथ साझा करे रहे हैं। इश कड़ी में कांग्रेस के दिग्गज नेता और भारत सरकार में भूतपूर्व विदेश मंत्री रहे सलमान खुर्शीद ने महागठबंधन और राजनीति को लेकर अपने वचार सांझा किए।
इसी क्रम में क्या धर्म एग्रेसिव हो गया है? के जवाब पर कांग्रेस नेता और धर्म गुरू आचार्य प्रमोद ने धर्म का उद्देश्य बताते हुए कहा कि धर्म और राजनीति का उद्देश्य एक है। क्योंकि दोनो का उद्देश्य सेवा था, अब सत्ता बन गई। धर्म और राजनीति का उद्देश्य जन कल्याण हैं। नदी, धरती और सूर्य का कोई धर्म नहीं ऐसे ही परमात्मा सबका है। क्या परमात्मा हिंदूओं का है या अल्लहा मुस्लमानों का है? मुझे लगता है परमात्मा एक है। प्रधानमंत्री ने विश्व को परिवार कहा है क्योंकि हमारे शास्त्रों ने कहा कि वसुधैव कुटुंबकम।
उन्होंने कहा कि प्रॉब्लम शुरु हुई जब हम भाषा, पहनावे, पूजा पद्ति और वेश भूषा को धर्म समझ बैठें। दुनिया के किसी भी धर्म में ये नहीं लिखा की परमात्मा एक नहीं है। परमात्मा के अलावा कोई धर्म नहीं है।
Exciting insights shared by Spiritual Guru Acharya Pramod Krishnan(@AcharyaPramodk) and Astrologer Pawan Sinha (@ShriguruPawanji) during the discussion on "What's In The Cards for 2024." Their perspectives added depth to the conversation at Festival Of Ideas.@FoundationPK… pic.twitter.com/BKvhHz8j8G
— NewsX World (@NewsX) August 25, 2023
उन्होंने कहा कि धर्म का विकृत स्वरुप का धर्म के कारण नहीं है, वो एक राजनीति की विकृत की परछाई ने धर्म के स्वरुप को विकृत कर दिया है। धर्म के नाम पर अमेरिका, रुस और भारत में भी लड़ाई हुई है, लेकिन ये धर्म का विकृत स्वरुप है। महाभारत में एक ही धर्म था तब भी लड़ाई हुई। उन्होंने कहा कि ये एक सत्ता की जंग है और सियासत का खेल है जिसने ये धर्म का वस्त्र पहन लिया है और इसी वजह से ये समस्या आ रही है। उन्होंने कहा कि इससे लड़ने के लिए हमे अपनी सोच को विराट करना होगा।
2024 के चुनाव में धर्म की भुमिका और मथूरा, वारणसी पर आचार्य प्रमोद ने कहा कि हिंदूत्व में सॉफ्ट हिंदुत्व और हॉर्ड हिंदुत्व नहीं होता है। हिंदुत्व का मतलब ही सॉफ्ट है। क्षमा, त्याग, प्रेम, दया का नाम हिंदूत्व है। जोड़ने का नाम हिंदुत्व है, तोड़ने का नाम हिंदूत्व नहीं है। धर्म के लिए सभी की पूजा विधि को अलग- अलग हैं, लेकिन धर्म अलग-अलग नहीं है। उन्होंने कहा कि जो धर्म का मकसद है उसमें धर्म होना चाहिए और राजनीति का जो मकसद है उसमें राजनीति होनी चाहिए। धर्म की परिभाषा जो लोगों तक पहुंच रही है उसे सही करने का काम धर्म गुरुओं को करना चाहिए।
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