संबंधित खबरें
‘किस हद तक गिरोगे कुमार विश्वास’ सोनाक्षी सिन्हा पर भद्दा कमेंट करके बुरा फंसे ‘युगकवि’! सुप्रिया श्रीनेत ने लताड़ा
PM Modi ने 71 हजार युवाओं को बांटें Appointment Letters, जानें, किन सरकारी विभागों में हुई बंपर भर्ती ?
18 साल की उम्र में उठा ली AK-47… जाने कैसे मिली यूपी पुलिस को तीनों आतंकियों की खबर, क्या थे ऑपरेशन के मुख्य पॉइंट्स?
चैन की नींद सो रहे थे मासूम और…रात के अंधेरे में मौत ने कर दिया तांडव, वीडियो देख कांप जाएगी रूह
अतुल सुभाष जैसा मामला आया सामने, पत्नी और ससुराल वालो से परेशान था शख्स, हाईकोर्ट ने मामले को बताया पति के साथ 'क्रूरता'
पहले सीएम पद फिर विभाग और अब…महायुति में नहीं थम रही खींचतान, जाने अब किसको लेकर आमने-सामने खड़े हुए सहयोगी
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली, (For Pak Army)। पाक सेना के लिए गुलाम कश्मीर और बलूचिस्तान में चीनी सेना ढांचागत निर्माण कर रही है। चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरीडोर परियोजना को लेकर पाकिस्तान की आवाम के बढ़ते विरोध के बाद चीन अब पाकिस्तानी सेना के जनरलों को खुश कर सीपीईसी को बनाए रखने की रणनीति में जोर-शोर से जुट गया है।
इस रणनीति के तहत चीनी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी बलूचिस्तान से लेकर गुलाम कश्मीर के इलाके में पाकिस्तानी सेना के सैन्य ढांचों का निर्माण कर रही है। चीनी सेना की रणनीति सीपीईसी के सहारे ग्वादर बंदरगाह तक चीन की सीधी पहुंच सुनिश्चित करना है। ग्वादर बंदरगाह तक का निर्बाध रास्ता बनाकर चीन स्पष्ट रूप से पाकिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों का अपने आर्थिक फायदे के लिए भरपूर दोहन करने की तैयारी कर चुका है।
सुरक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार सीमा पार की गतिविधियों से जुड़े कई ऐसे नए सबूत सामने आए हैं जो स्पष्ट रूप से इशारा करते हैं कि पाकिस्तानी सेना की पूरी सहमति से चीनी पीएलए बलूचिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में पाक सेना के लिए महत्वपूर्ण रक्षा परियोजनाओं का निर्माण कर रही है।
पाकिस्तान के लोग अपने मुल्क पर चीन के लगातार बढ़ते कर्ज के बोझ की गहराती चिंता के चलते सीपीईसी का विरोध करते रहे हैं और इसी वजह से यह परियोजना ठप हुई है। मगर चीन के अपने रणनीतिक व आर्थिक हित हैं। इसलिए वह पाकिस्तान को अपने अधिकार क्षेत्र में रखना चाहता है और पाकिस्तानी सेना के जरिए इसे साधने की रणनीति पर काम कर रहा है।
पाकिस्तानी सेना के लिए पीएलए के निर्माण से जुड़े कई नए सबूत भारत को मिले हैं। इसमें सिंध के रानीकोट में गुफा नुमा भंडारण सुविधाओं का निर्माण चीनी सैनिक कर रहे हैं। इसी तरह सहवान-हैदराबाद हाइवे के निकट नवाबशाह और सिंध से करीब 50 किलोमीटर दक्षिण खुजदार के पास निर्माण किए जा रहे हैं।
इन स्थानों का इस्तेमाल बलूचिस्तान में तैनात पाकिस्तानी सेना की खुजदार मिसाइल रेजिमेंट द्वारा किए जाने की सूचना है। इसी तरह पीओके के शारदा में 10 से 12 पीएलए सैनिक पाकिस्तान सेना के शिविर (40 फ्रंटियर फोर्स) में भूमिगत बंकरों के निर्माण कार्य में लगे देखे गए। फुलवई (केल से 12 किमी दक्षिण पूर्व) में पाक आर्मी कैंप लोकेशन पर भी 10-15 चीनी इंजीनियर और कर्मचारी भूमिगत बंकरों का निर्माण करते देखे गए।
दरअसल, सीपीईसी से जुड़ी परियोजनाओं को पूरा करने और बकाया देनदारी में लंबी देरी के चलते चीन के शिनजियांग प्रांत से बलूचिस्तान में ग्वादर तक का चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा अब लगभग बेकार हो गया है। सीपीईसी से जुड़े कर्ज की उच्च ब्याज दरों, बढ़ती लागत, कमजोर परियोजनाओं और चीनी कंपनियों द्वारा आपूर्ति में कटौती के कारण पैदा हुए ऊर्जा संकट के चलते पाकिस्तान में असंतोष पैदा हुआ जिसकी वजह से सीपीईसी प्राधिकरण ध्वस्त हो गया।
सूत्रों के अनुसार की माने तो अब चीन ने पीएलए के जरिए पाकिस्तान सेना के जनरलों को खुश करने की रणनीति अपनायी है। पाकिस्तान में सेना हमेशा वहां की सरकार से ज्यादा ताकतवर रही है और आवाम भी सेना के फैसलों पर बहुत सवाल नहीं उठाती है।
वैसे सीपीईसी को लेकर चीन की जो मंशा थी उसमें इसका सफेद हाथी परियोजना बनना पहले से तय था। पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति कभी भी ‘चीनी ऋण कूटनीति’ से उबरने की स्थिति में नहीं थी। इसे चीन को ग्वादर बंदरगाह तक पहुंच प्रदान करने और पाकिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के एकमात्र उद्देश्य के साथ शुरू किया गया था, जबकि उस पर भारी कर्ज बढ़ गया था।
हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे !
ये भी पढ़े : शादी के छह साल बाद पहले बच्चे की उम्मीद कर रहे हैं बिपाशा बसु और करण सिंह ग्रोवर
ये भी पढ़े : टीनू वर्मा ने जब सैफ अली खान को मारा थप्पड, गैर-पेशेवर होने पर कही ये बात
Connect With Us : Twitter | Facebook | Youtube
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.