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Galwan to Arunachal : चीन का दुस्साहस भारतीय सेना ने सात बार किया फेल

PUBLISHED BY: Sameer Saini • LAST UPDATED : October 8, 2021, 9:42 am IST
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Galwan to Arunachal : चीन का दुस्साहस भारतीय सेना ने सात बार किया फेल

Galwan to Arunachal

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:

Galwan to Arunachal : एक अर्से से चीन भारत की सीमा पर विवाद बढ़ा देता रहा है। गत दो वर्षों में ऐसी घटनाएं सामने आती रहीं हैं। कभी लद्दाख में, कभी सिक्किम में तो अब अरुणाचल प्रदेश के तवांग से। कोरोनाकाल में जहां पूरा देश संक्रमण से संघर्ष कर रहा था, वहीं चीन भी अपनी पैरासाइट जैसी हरकतों से बाज नहीं आ रहा था। पिछले साल 5 मई को चीन के सैनिकों ने लद्दाख के पैंगॉन्ग लेक पर भारतीय जवानों से झड़प की. उसके बाद से यह सिलसिला चलता रहा है। आइए जानते हैं कि कब-कब चीन ने भारतीय सीमा को पार करने की कोशिश की और भारतीय जवानों ने उसे फेल किया…

पैंगॉन्ग लेक

5 मई 2020 को लद्दाख के पैंगॉन्ग लेक पर चीनी सैनिकों और भारतीय जवानों के बीच संघर्ष हुआ। वीडियो सामने आया जिसमें झड़प होते दिख रहा था. 10 और 11 मई को फिर एक झड़प हुई. खबरें आईं कि इन दोनों घटनाओं में करीब 72 भारतीय सैनिक जख्मी हुए। द डेली टेलीग्राफ के मुताबिक मई और जून के महीने में चीन ने इस झील के आसपास 60 वर्ग किमी का भारतीय इलाका कैप्चर कर लिया. इसके बाद खबरें आईं कि 27 जून तक चीन ने पैंगॉन्ग लेक के उत्तरी और दक्षिणी किनारों पर फिंगर-4 और 5 के पास अपनी सैन्य शक्ति बढ़ा दी है। लेकिन कई राजनीतिक, कूटनीतिक और सैन्य बातचीत के बाद चीनी सैनिकों को पीछे हटना पड़ा।

सिक्किम

सिक्किम के मुगुथांग और नाकू ला पर चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच छोटी झड़प हुई। दोनों तरफ से पत्थरबाजी की खबरें आईं। जिसमें दोनों तरफ के सैनिक घायल भी हुए। फिर भारतीय सेना के पूर्वी कमांड की तरफ से यह जानकारी सार्वजनिक की गई कि स्थानीय स्तर पर बातचीत करके मामले को सुलझा लिया गया है। हालांकि, चीन ने इस संबंध में किसी भी तरह की जानकारी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साझा नहीं की, न ही उनके रक्षा मंत्रालय की तरफ से इस पर कोई बयान आया।

गलवान घाटी

21 मई 2020 को गलवान घाटी में चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की। उन्होंने भारतीय इलाके में बन रही सड़क का विरोध किया। यह सड़क डारबुक-श्योक डीबीओ रोड के नाम से जानी जाती है। इसके बाद चीनी सैनिकों ने गलवान घाटी के पास 70-80 टेंट लगा दिए। भारी वाहन तैनात कर दिए. सैनिकों की संख्या बढ़ा दी और निगरानी संबंधी यंत्रों को तैनात कर दिया। इसके बाद 14 मई को रिपोर्ट आई कि चीनी सैनिकों ने हॉट स्प्रिंग्स, पेट्रोल प्वाइंट 14 और 15 पर एलएसी पार करके 2-3 किमी अंदर अपना कब्जा जमा लिया। इसके बाद भारतीय सैनिकों ने इन चीनी सैनिकों से 300 से 500 मीटर दूरी पर अपनी मौजूदगी बढ़ा दी।

गलवान घाटी संघर्ष

15 जून को गलवान घाटी में पेट्रोल प्वाइंट 14 पर चीनी सैनिकों ने भारतीय जवानों के साथ छह घंटे तक झड़प की। इसी झड़प में कर्नल संतोष बाबू शहीद हुए लेकिन उन्होंने और उनके जवानों ने चीनी सैनिकों के टेंट उड़ा दिए। चीनी सैनिकों ने भारतीय जवानों पर कंटीलें तारों से लिपटे बल्ले से हमला किया। हाथापाई हुई. इस झड़प में करीब 600 लोग शामिल थे।

चीनी सैनिकों ने भारतीय जवानों पर लोहे के रॉड आदि से हमला किया था। इस झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हुए। खबर आई कि चीन के 43 सैनिक इस झड़प में मारे गए। लेकिन चीन की तरफ से इसकी पुष्टि कभी नहीं की गई। चीन ने कहा कि सैनिक मारे गए हैं लेकिन उनकी सरकार ने कभी भी संख्या का खुलासा नहीं किया।

चुशुल सेक्टर

पैंगॉन्ग लेक के दक्षिणी किनारे पर स्थित चुशुल सेक्टर पर चीन की अवैध गतिविधियां देखी गईं। भारतीय सेना ने कहा कि चीनी सैनिकों ने उकसाने वाला काम किया है। लेकिन इससे पहले की चीन के सैनिक कोई मजबूती दिखाते, भारतीय सैनिकों ने ऊंचाई वाले हिस्सों से मोर्चा संभाल लिया। इन मोर्चों पर भारतीय सैनिकों ने कई दिनों तक मौजूदगी बनाए रखी ताकि चीनी घुसपैठ करने की कोशिश न कर सकें।

हालांकि चीन ने ऐसे किसी घुसपैठ से मना कर दिया। 3 सिंतबर 2020 को मीडिया में खबरें आईं कि भारतीय सैनिकों ने रेजांग ला, रेकिन ला, ब्लैक टॉप, हनान, हेलमेट, गुरुंग हिल, गोरखा हिल और मगर हिल पर कब्जा बना लिया है। इनमें से कुछ प्वाइंट्स ऐसे थे जो सीधे चीनी कैंप पर नजर रखने के लिए माकूल थे।

बारहोती, उत्तराखंड

द डिप्लोमैट की रिपोर्ट के अनुसार चीन के पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (ढछअ) के 100 सैनिक उत्तराखंड के बारहोती में एलएसी पार करके भारतीय सीमा में आए. खबरें आईं कि ये सैनिक पांच किलोमीटर अंदर तक आ गए थे. यहां तीन घंटे तक रहे. कुछ नुकसान पहुंचाया. हालांकि इस बारे में भारत की तरफ से किसी तरह का बयान जारी नहीं किया गया. बाद में सुरक्षा एजेंसियों ने इस खबर को खारिज कर दिया था.

अरुणाचल प्रदेश के यांगत्से के करीब तवांग सेक्टर में पिछले हफ्ते भारतीय सैनिकों ने चीन के करीब दो सौ सैनिकों को रोक दिया था. भारतीय सैनिकों की परसेप्शन के मुताबिक ये चीनी सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा पार कर भारतीय सीमा में घुस आए थे. रक्षा मंत्रालय से जुड़े सूत्रों ने बताया कि भारत-चीन सीमा का औपचारिक रूप से सीमांकन नहीं किया गया है। दोनों देशों की सीमा रेखा परसेप्शन पर आधारित है और इसमें अंतर भी है।

दोनों देश अपनी-अपनी धारणा के मुताबिक गश्ती करते हैं। दोनों देशों के बीच किसी तरह की असहमति या टकराव का प्रोटोकॉल के मुताबिक शांतिपूर्ण समाधान निकाला निकाला जाता है। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक घटना पिछले हफ्ते की है। सीमा पर शांति व्यवस्था कायम है।

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