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अडानी मुद्दे पर सरकार को घेरते-घरते विपक्ष ही बिखर गया, सबके निकले अलग-अलग सुर

Monu Kumar • LAST UPDATED : February 7, 2023, 2:00 pm IST

नई दिल्ली।(Hindenburg Report)  हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद से ही विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार के खिलाफ संसद से सड़क तक विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। विपक्ष द्वारा देश के कई हिस्सों में अडानी मुद्दे को लेकर विरोध दर्ज कराया जा रहा है। कांग्रेस के नेता व लोकसभा सांसद अधीर रंजन चौधरी ने मंगलवार को अडानी के मामले को लेकर टीएमसी प्रमुख और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर करारा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी का भी अडानी के साथ अच्छा संबंध है। यही कराण है कि ममता बनर्जी पीएम मोदी और अडानी के खिलाफ कुछ भी नहीं बोलना चाहती हैं।

उद्योगपति गौतम अडानी पर पिछले सप्ताह आई हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर विपक्ष सरकार से जवाब मांग रहा है लेकिन इसी बीच सभी विपक्षी पार्टियों के सुर अब अलग-अलग नजर आ रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस ने संसद में हंगामे को लेकर कांग्रेस को कसूरवार ठहराया है। जबकि, कांग्रेस ने इसका जिम्मेदार केजरीवाल की आप और तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव की पार्टी बीआरएस को बताया है।

विपक्षी दलों के अपने सुर, आए दो बड़े बयान

 अधीर रंजन चौधरी, नेता कांग्रेस- गौतम अडानी मुद्दे पर ममता बनर्जी को चुप्प रहने के निर्देश मिले होंगे। दीदी शायद ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहेंगी, जिससे अडानी समूह के हितों को नुकसान पहुंचे क्योंकि अडानी के पास ताजपुर बंदरगाह परियोजना का ठेका है।

डेरेक ओ ब्रायन, नेता टीएमसी- एकता के लिबास के नीचे भरोसे की कमी है। यहां एक पार्टी में श्रेष्ठता का दंभ है। किसी मुद्दे पर रणनीति तय करने का अधिकार सभी पार्टी के पास है। तृणमूल कांग्रेस संसद में चर्चा चाहती है, जिसे कांग्रेस नहीं होने दे रही है।

विपक्ष के अलग-अलग सुर का क्या होगा,असर?

9 राज्यों के चुनाव पर साफ होगा असर- बता दें कि इस साल 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। जिनमें कर्नाटक, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना  प्रमुख तौर पर हैं। अडानी मामले पर आप और बीआरएस ने कांग्रेस की रणनीति से खुद को अब अलग कर लिया है। ऐसे में गुजरात की तरह ही पार्टी आने वाले समय में मध्य प्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस के लिए मुश्किलें बढ़ा सकती है। इन दोनों राज्यों में बीजेपी और कांग्रेस के बीच आमने-सामने का मुकाबला है। वहीं अगर तेलंगाना की बात करें तो यहां बीआरएस और कांग्रेस के बीच लड़ाई होनी है।

2024 लोकसभा चुनाव को देखते विपक्षी एकता को धक्का – अडानी मुद्दे पर जिस तरह विपक्षी अलग-अलग खेमों में बंटे हुए दिख रहे हैं। उससे 2024 लोकसभा चुनाव की रणनीति पर भी जोरदार झटका लगता हुआ दिख रहा है। इससे पहले, भारत जोड़ो यात्रा के बाद से माना जा रहा था कि कांग्रेस 2024  चुनाव को देखते सभी पार्टियों को एकजुट कर लीड करेगी। इसके लिए कांग्रेस पार्टी की मदद बिहार के दो दल नीतीश कुमार की जेडीयू और लालू यादव की आरजेडी कर रही थी। लेकिन अब टीएमसी आप और बीआरएस ने जिस तरह से कांग्रेस से दूरी बनाने का फैसला किया है उससे साफ नज़र आ रहा है कि विपक्ष का महागठबंधन शायद ही अब बन भी पाए। सबसे बड़ी बात इन तीनों पार्टियों का करीब लोकसभा की 80 सीटों पर पकड़ है।

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