Ghazwa-e-Hind: देश के सबसे बड़े इस्लामिक मदरसों में से एक दारुल उलूम देवबंद ने कथित तौर पर गजवा-ए-हिंद के विचार को सही करार करते हुए फतवा जारी किया है। मदरसा ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है कि ग़ज़वा-ए-हिंद”इस्लामिक दृष्टिकोण से वैध” बताया हैहै। इसमें आगे कहा गया कि गजवा-ए-हिंद में शहीद हुए लोग महान सर्वोच्च शहीद होंगे।
बता दें कि गजवा-ए-हिंद का अर्थ भारत पर आक्रमण से संबंधित है। वहीं दारुल उलूम देवबंद देश में कई मदरसे चलाने वाली सबसे बड़ी इस्लामी संस्था है। इस मदरसे से जुड़े मदरसे भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में चल रहे हैं, जहां लाखों छात्र नामांकित हैं।
वहीं, फतवे में कहा गया है कि पैगंबर मोहम्मद के करीबी रहे हजरत अबू हुरैरा के हवाले से एक हदीस सुनाई गई है। इसमें उन्होंने गजवा-ए-हिंद की बात करते हुए कहा, ”मैं इसके लिए लड़ूंगा और अपनी सारी संपत्ति इसके लिए कुर्बान कर दूंगा. अगर मैं मर जाऊं तो बहुत बड़ा बलिदानी बनूंगा. अगर मैं जिंदा रहा तो मुझे ‘गाजी’ (एक मुस्लिम योद्धा) कहा जाएगा।
इस विषय में मांगी थी जानकारी
जानकारी के मुताबिक,एक नेटीजन ने गजवा-ए-हिंद के संबंध में दारुल उलूम से ऑनलाइन जानकारी मांगी थी। इस शख्स ने मदरसे से पूछा कि क्या हदीस में इसका कोई जिक्र है। जिसके जवाब में, दारुल उलूम देवबंद ने ‘कुतुब अल-सित्ता’ (छह प्रमुख हदीस संग्रह) में से एक, ‘सुनान अन-नसाई’ का हवाला दिया। इसमें कहा गया कि इसमें गजवा-ए-हिंद को लेकर एक पूरा चैप्टर है.
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