इंडिया न्यूज, पणजी, (Goa Politics): गोवा कांग्रेस के 11 में से आठ विधायकों ने बुधवार को पार्टी छोड़ दी और बीजेपी में शामिल हो गए। यह प्रदेश कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिगंबर कामत और विपक्ष के नेता माइकल लोबो कांग्रेस के उन आठ विधायकों में शामिल हैं जिन्होंने पार्टी को अलविदा कह दिया है। पार्टी छोड़ने वाले सभी विधायक राज्य के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के पास विधानसभा पहुंचे और उन्होंने अध्यक्ष रमेश तावड़कर को अलग होने की चिट्ठी सौंपी।
कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले इन विधायकों में दिगंबर कामत व माइकल लोबो के अलावा राजेश फलदेसाई, केदार नायक, रुडॉल्फ फर्नांडिस, संकल्प अमोलकर, देलिया लोबो और अलेक्सो सिकेरा शामिल हैं। बागी विधायकों की संख्या 2 तिहाई से ज्यादा होने के कारण इन विधायकों पर दल-बदल कानून लागू नहीं होगा।
गोवा बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सदानंद तनवड़े ने सभी विधायकों को पार्टी की सदस्यता दिलाई। बता दें कि माइकल लोबो ने बुधवार को ही कांग्रेस विधायक दल की एक अहम बैठक की थी। बैठक में विधायक दल का बीजेपी में विलय करने का निर्णय लिया गया था। इस साल 10 मार्च को गोवा में हुए विधानसभा चुनावों परिणाम आया था, जिसमें कांग्रेस को 40 में से 11 सीटें मिली, लेकिन 7 महीने के भीतर ही पार्टी टूट गई। विधानसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी ने कांग्रेस के सभी उम्मीदवारों को 5 साल तक पार्टी नहीं छोड़ने की शपथ दिलाई थी। विधायकों ने भी वादा किया था कि वे पांच साल तक पार्टी ने छोड़ेंगे।
गोवा विधानसभा की 40 सीटें हैं और भाजपा के पास विधायकों की संख्या पहले ही 20 थी। कांग्रेस के पास 11 सीटें थीं। इसके अलावा महाराष्ट्रवादी गोमांतक के पास दो और गोवा फॉरवर्ड पार्टी के पास एक सीट है। अन्य के खाते में छह सीटें हैं। आठ कांग्रेस विधायकों के बीजेपी में शामिल होने से कांग्रेस के पास विधानसभा में अब केवल तीन सीटें बची हैं। वहीं बीजेपी की सीटों की संख्या बढ़कर 28 हो गई। 2019 में कांग्रेस के 15 में से 10 विधायक बीजेपी में शामिल हुए थे। इसमें नेता विपक्ष चंद्रकांत कावलेकर भी शामिल थे।
पार्टी में टूट की वजह कांग्रेस की 3 बड़ी गलतियां मानी जा रही हैं। चुनाव परिणाम आने के बाद कांग्रेस ने बाहर से आने वाले माइकल लोबो को नेता प्रतिपक्ष बनाया। लोबो चुनाव से पहले ही पार्टी में शामिल हुए थे। नेता प्रतिपक्ष की रेस में शामिल पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत कांग्रेस हाईकमान के इस फैसले के खिलाफ थे। उनकी नाराजगी को देखकर तय माना जा रहा था कि कांग्रेस में टूट होगी।
दूसरी गलती यह कि गोवा में हार के बाद कांग्रेस आलाकमान ने प्रदेश अध्यक्ष गिरीश चोडनकर से इस्तीफा ले लिया, लेकिन प्रदेश प्रभारी दिनेश गुंडूराव पर कोई कार्रवाई नहीं की। गुंडूराव से पार्टी के कई सीनियर चुनाव के पहले से नाराज चल रहे थे। इसी वजह से पार्टी ने पी चिदंबरम को कांग्रेस का आब्जर्वर बनाकर भेजा था।
तीसरी बड़ी गलती कांग्रेस की यह रही कि गोवा कांग्रेस के नए अध्यक्ष अमित पाटकर को लेकर भी पार्टी में गुटबाजी तेज हुई थी, जिसका असर राष्ट्रपति चुनाव में दिखा। पार्टी के 4 विधायकों ने उस वक्त क्रॉस वोटिंग की थी। कांग्रेस ने इस पर भी डैमेज कंट्रोल का कदम नहीं उठाया।
बता दें कि इसी जुलाई में कांग्रेस ने पार्टी विरोधी साजिश में शामिल होने का आरोप लगाकर दिगंबर कामत व माइकल लोबो पर कार्रवाई की थी। उस वक्त कांग्रेस ने टूट से बचने के लिए अपने पांच विधायकों को तमिलनाडू की राजधानी चेन्नई शिफ्ट कर दिया था।
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गोवा कांग्रेस में टूट के बाद पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने बीजेपी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, बीजेपी भारत जोड़ो यात्रा से डर गई है और इस कारण वह आॅपरेशन कीचड़ करने में जुटी है। पवन खेड़ा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखकर यह भी कहा कि बीजेपी केवल तोड़ सकती है। इसी के साथ कांग्रेस प्रभारी दिनेश गुंडूराव ने कहा कि पैसे और सत्ता के दम पर लोकतांत्रिक सिद्धांतों की धज्जियां उड़ाई जा रही है।
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