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India News (इंडिया न्यूज), Gorkha Regiment: भारत में सेना कई प्रकार की होती है। इसमें अलग-अलग रेजिमेंट होती हैं, जो अपनी-अपनी खूबियों की वजह से खास पहचान रखती हैं। इन्हीं में से एक है गोरखा रेजिमेंट, जिसे सबसे खतरनाक माना जाता है। देश की इस सबसे सुशोभित सेना रेजिमेंट का इतिहास 210 सालों से भी ज्यादा पुराना है। गोरखा रेजिमेंट सबसे पहले ब्रिटिश राज के दौरान अस्तित्व में आई थी। भारतीय सेना के जिस अधिकारी सैम होर्मुसजी फ्रेमजी जमशेदजी मानेकशॉ को सबसे पहले फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नत किया गया था, वह भी गोरखा रेजिमेंट से ही थे।
सैम मानेकशॉ ने इस रेजिमेंट के बारे में बताते हुए कहा था, ‘अगर कोई आपसे कहे कि वह कभी नहीं डरता, तो वह या तो झूठा है या फिर गोरखा है।’ हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, गोरखा रेजिमेंट की बहादुरी के आगे दुश्मन थर-थर कांपते थें। बताते चलें कि, कई मौकों पर इनकी बहादुरी की मिसाल देखने को मिली है। कारगिल युद्ध के दौरान गोरखा सैनिकों के गोला-बारूद खत्म हो गए थे। इस रेजिमेंट का आदर्श वाक्य है- काफ़र भंडा मरनु रामरो, है। इसका मतलब है कि कायर की तरह जीने से बहादुरी से मरना बेहतर है। इनका युद्धघोष है- जय महा काली आयो गोरखाली।
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हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, गोरखा प्रशिक्षण केंद्र शिलांग, मेघालय में स्थित है। यह रेजिमेंट मुख्य रूप से उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, दार्जिलिंग और सिक्किम से भर्ती करती है। गोरखा रेजिमेंट में भर्ती होने के लिए उम्मीदवार को कई मानदंडों को पूरा करना होता है। जैसे उसे कम से कम 12वीं पास होना चाहिए। उसकी न्यूनतम ऊंचाई 157.5 सेमी (असमिया, गोरखा, गढ़वाली के लिए 152 सेमी) होनी चाहिए।
आवेदन फॉर्म भरने के बाद उम्मीदवारों को पात्रता के आधार पर शॉर्टलिस्ट किया जाता है। इसके बाद उन्हें शारीरिक, मेडिकल और लिखित परीक्षा से गुजरना पड़ता है। सबसे अच्छे उम्मीदवारों को जगह दी जाती है और फिर उन्हें प्रशिक्षित किया जाता है। इसमें पास होने वालों को देश की सबसे मशहूर और खूंखार रेजिमेंट का हिस्सा बनने का मौका मिलता है।
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