इंडिया न्यूज:
Hanuman Jayanti Ram Navami Violence: पिछले 15 दिनों के अंदर देश में कई जगह पर हिंसा के मामले सामने आए हैं। जैसे कि नवसंवत्सर पर राजस्थान के करौली में, रामनवमी पर मध्य प्रदेश के खरगोन शहर और हनुमान जयंती पर दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में उपद्रव हुए हैं उससे सारे सिस्टम पर उंगलियां उठ रही हैं। ( Rajasthan Karauli, Madhya Pradesh Khargone, Delhi Jahangirpuri Violence) कि आखिर पुलिस से क्या चूक हुई है जो हर पर्व पर इस तरह की घटनाएं हुई हैं।
मध्य प्रदेश के खरगोन शहर में रामनवमी के जुलूस में पथराव और आगजनी के बाद पूरे शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया था। हिंसा का सच सीसीटीवी फुटेज में सामने आया कि नकाबपोश उपद्रवियों ने किस तरह शहर में उत्पात मचाया। 300-400 लोगों की भीड़ ने शीतला माता मंदिर और आसपास के घरों पर हमला बोल दिया। पत्थरबाजी की, खिड़कियों और दरवाजों पर लात मारी। इस घटना में भी पुलिस इंटेलिजेंस फेल रही। यहां तक कि उपद्रवियों ने पेट्रोल बम भी फेंके।
बताया जा रहा है कि रामनवमी के दिन गुजरात के साबरकांठा के हिम्मतनगर में दो समुदायों के बीच पथराव हुआ। पेट्रोल बम भी फेंके गए। पुलिस ने चार उपद्रवियों को पकड़ा। खंभात शहर में भी हिंसक झड़प हुई। हथियार के तौर पर पत्थर, कांच की बोतलें और लाठियां इस्तेमाल की गईं। इमामबाड़ा चौक, अशरफनगर कस्बा, छपरिया में भी हिंसा की घटनाएं दर्ज की गईं।
हनुमान जयंती के मौके पर दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में निकाली जा रही शोभायात्रा मस्जिद के करीब पहुंचने पर हिंसा भड़की। चश्मदीदों ने बताया कि उपद्रवियों ने पहले से पत्थर, बोतल और चोट पहुंचानेवाली चीजें जमा कर रखी थीं। पुलिस के मुताबिक मस्जिद के पास दो पक्षों में बहस हुई, जिसके बाद मस्जिद से पथराव शुरू हो गया। फिर हिंसा भड़क गई। फायरिंग तक हुई। नकाबपोश आए। शोभा यात्रा के पीछे से अचानक हजारों की संख्या में भीड़ आई।
बता दें कि रुड़की के भगवानपुर इलाके के डाडा जलालपुर में भी शनिवार रात हनुमान जयंती पर निकली शोभायात्रा पर पथराव हुआ। इसमें काफी लोग घायल हुए। पुलिस ने 12 लोगों को नामजद करते हुए 40 अन्य पर केस दर्ज किया है। पुलिस के मुताबिक एक समुदाय विशेष ने पहले से ईंट-पत्थर जुटा कर रखे थे। लोगों का कहना है कि ये सीधे-सीधे पुलिस की विफलता है।
यूपी के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने हुई हिंसाओं पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि 15 दिनों के अंदर कई जगह सांप्रदायिक हिंसा के मामले सामने आए। पुलिस को पहले से सावधानी बरतनी चाहिए। शरारती तत्वों को पाबंद करना चाहिए। हथियारों को कब्जे में ले लेना चाहिए। शोभायात्रा या जुलूस के आगे, पीछे और बीच में अच्छी संख्या में फोर्स लगानी चाहिए। छतों पर पुलिस की मॉनिटरिंग होनी चाहिए। टेक्नोलॉजी का यूज करना चाहिए। जहां-जहां दंगे हुए, वहां ये सारी चीजें मिसिंग थीं। उन्होंने कहा कि सभी मामले में पुलिस- प्रशासन फेल साबित हुआ है।
रैली का रूट डाइवर्ट नहीं किया: करौली शहर में पहले भी दोनों पक्षों में विवाद हुआ था। ऐसे में रैली की परमिशन देते समय पुलिस रैली का रूट डाइवर्ट कर उपद्रव को रोक सकती थी।
ड्रोन से निगरानी नहीं कराई : सुरक्षा के लिहाज से पुलिस ने ड्रोन से निगरानी नहीं कराई। ऐसा कराते तो छत पर रखे टनों पत्थरों और दर्जनों लाठी-सरियों के बारे में पहले पता चल जाता और उपद्रव को रोका जा सकता था।
सिर्फ 30 पुलिसकर्मियों की ड्यूटी : विवाद भड़कने की आशंका के बावजूद अधिकारियों ने रैली के लिए महज 30 पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई। नतीजा-जब उपद्रव बढ़ा तो पुलिस रोक नहीं पाई।
मौके पर पहुंचकर भी उपद्रव नहीं रोक पाए : उपद्रव के महज आधे घंटे बाद पुलिस मौके पर पहुंच गई। इसके बावजूद उनके सामने ही उपद्रवी पथराव करते रहे और दुकानों में आग लगाते रहे।
Hanuman Jayanti Ram Navami Violence
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