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आखिर कैसे हर साल 2 मिमी बढ़ रही है माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई, स्टडी से सामने आया नदी संग कनेक्शन का बड़ा खुलासा?

PUBLISHED BY: Prachi Jain • LAST UPDATED : October 1, 2024, 4:30 pm IST
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आखिर कैसे हर साल 2 मिमी बढ़ रही है माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई, स्टडी से सामने आया नदी संग कनेक्शन का बड़ा खुलासा?

Height Of Mount Everest: शोधकर्ताओं ने बताया है कि जीपीएस उपकरणों की मदद से एवरेस्ट की ऊंचाई को मापा जा रहा है, और हर साल इसकी ऊंचाई में लगभग 2 मिलीमीटर की वृद्धि दर्ज की गई है।

India News (इंडिया न्यूज), Height Of Mount Everest: माउंट एवरेस्ट, दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी, हर साल लगभग 2 मिलीमीटर की दर से बढ़ रही है। हाल ही में एक अध्ययन से पता चला है कि यह वृद्धि प्लेट टेक्टोनिक्स और आइसोस्टेटिक रीबाउंड जैसी भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं के कारण हो रही है। आइए समझते हैं कि यह कैसे संभव है:

प्लेट टेक्टोनिक्स और हिमालय का निर्माण

लगभग 4 से 5 करोड़ साल पहले, भारतीय और यूरेशियन प्लेटों के टकराव से हिमालय पर्वत श्रृंखला का निर्माण हुआ। यह टकराव आज भी जारी है, जिससे हिमालय की पर्वत चोटियों की ऊंचाई बढ़ रही है। प्लेट टेक्टोनिक्स की यह प्रक्रिया पृथ्वी की पपड़ी में दबाव बनाती है, जिसके चलते पर्वत धीरे-धीरे ऊपर उठते रहते हैं। माउंट एवरेस्ट, जो इस श्रृंखला का हिस्सा है, इसी प्रक्रिया के कारण हर साल थोड़ा और ऊंचा हो रहा है।

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अरुण नदी का प्रभाव

नए शोध में यह बताया गया है कि अरुण नदी, जो हिमालय से होकर बहती है, एवरेस्ट के आधार पर स्थित चट्टानों और मिट्टी को काट रही है। इस कटाव से पपड़ी पर दबाव कम होता है, जिससे पपड़ी लचीली हो जाती है और ऊपर की ओर तैरने लगती है। यह प्रक्रिया आइसोस्टेटिक रीबाउंड कहलाती है, जिसमें दबाव कम होने के बाद पपड़ी और पर्वत ऊपर उठते हैं। अरुण नदी का यह नेटवर्क एवरेस्ट के साथ-साथ लोत्से और मकालू जैसी अन्य ऊंची चोटियों को भी प्रभावित कर रहा है।

आइसोस्टेटिक रीबाउंड

आइसोस्टेटिक रीबाउंड एक भूवैज्ञानिक प्रक्रिया है, जिसमें पृथ्वी की पपड़ी पर दबाव कम होने पर वह ऊपर की ओर उठती है, जैसे एक जहाज जब हल्का हो जाता है, तो पानी में थोड़ा ऊपर तैरने लगता है। इसी प्रकार, अरुण नदी के कटाव से पपड़ी का भार कम होता है, जिससे एवरेस्ट और उसके आसपास की चोटियां ऊपर उठती हैं।

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वैज्ञानिक माप और सिद्धांत

शोधकर्ताओं ने बताया है कि जीपीएस उपकरणों की मदद से एवरेस्ट की ऊंचाई को मापा जा रहा है, और हर साल इसकी ऊंचाई में लगभग 2 मिलीमीटर की वृद्धि दर्ज की गई है। इस अध्ययन के सह-लेखक एडम स्मिथ और डॉ. मैथ्यू फॉक्स ने कहा है कि यह प्रक्रिया वैज्ञानिक रूप से विश्वसनीय है, हालांकि इसमें अभी भी और अनुसंधान की आवश्यकता है।

अन्य पर्वत चोटियों पर प्रभाव

इस अध्ययन में यह भी कहा गया है कि माउंट एवरेस्ट के साथ-साथ दुनिया की चौथी और पांचवीं सबसे ऊंची चोटियां, लोत्से और मकालू, भी इसी प्रक्रिया के चलते ऊपर की ओर बढ़ रही हैं। आइसोस्टेटिक रीबाउंड के कारण इन पर्वतों की ऊंचाई में भी हर साल वृद्धि हो रही है।

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माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई का बढ़ना भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं का एक अद्भुत उदाहरण है। प्लेट टेक्टोनिक्स, नदी कटाव, और आइसोस्टेटिक रीबाउंड जैसी प्रक्रियाएं इस पर्वत की ऊंचाई को हर साल थोड़ा और बढ़ा रही हैं। हालांकि इस पर अभी और शोध की आवश्यकता है, लेकिन यह सिद्धांत वैज्ञानिक रूप से विश्वसनीय माना जा रहा है।

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