संबंधित खबरें
‘कुछ लोग खुश है तो…’, महाराष्ट्र में विभागों के बंटवारें के बाद अजित पवार ने कह दी ये बड़ी बात, आखिर किस नेता पर है इनका इशारा?
कांग्रेस को झटका देने की तैयारी में हैं उमर अब्दुल्ला? पिछले कुछ समय से मिल रहे संकेत, पूरा मामला जान अपना सिर नोंचने लगेंगे राहुल गांधी
खतरा! अगर आपको भी आया है E-Pan Card डाउनलोड करने वाला ईमेल? तो गलती से ना करें क्लिक वरना…
मिल गया जयपुर गैस टैंकर हादसे का हैवान? जांच में हुआ चौंकाने वाला खुलासा, पुलिस रह गई हैरान
भारत बनाने जा रहा ऐसा हथियार, धूल फांकता नजर आएगा चीन-पाकिस्तान, PM Modi के इस मास्टर स्ट्रोक से थर-थर कांपने लगे Yunus
‘जर्सी नंबर 99 की कमी खलेगी…’, अश्विन के सन्यास से चौंक गए PM Modi, कह दी ये बड़ी बात, क्रिकेट प्रशसंक भी रह गए हैरान
India News (इंडिया न्यूज़), Marriages In Police Station: हिंदू धर्म में विवाह संस्कार की कई पद्धतियां हैं। इन्हीं के आधार पर विवाह को मान्यता मिलती है। लेकिन, अब लोग इसके कई शॉर्टकट्स अपनाएं जा रहे हैं। ऐसा ही एक शॉर्टकट है पुलिस स्टेशन में शादी कर लेने का है। इस पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक दंपत्ति के मामले में सुनवाई करते हुए कहा है कि बिना सप्तपदी की प्रक्रिया के किसी भी शादी को वैदिक नहीं माना जाता है, इसलिए इस तरह की शादियों को मान्यता नहीं दी जा सकती है। पुलिस के सामने एक दूसरे को अपनाना अब शादी नहीं रह जाएगा।
कोर्ट ने साफतौर पर कहा कि हिंदू विवाह के ऐसे तरीके जिसमें सात फेरे यानी कि सप्तपदी को शामिल नहीं किया जाता वह कानूनन वैध नहीं होगा। इलाहाबाद हाई कोर्ट की सिविल और पारिवारिक विवादो के मामलों की जानकार अधिवक्ता अभिलाषा परिहार का कहना है कि कई बार लड़के-लड़कियों के अफेयर से जुड़े मामले पुलिस स्टेशन में पहुंचने के बाद पुलिसकर्मी थाने में ही लड़के-लड़कियों की शादियां करा देते हैं।
यह भी पढ़ेंः- Criket World Cup 2023 ENG vs NZ Live: शुरु होने वाला है क्रिकेट का महाकुभ, जानें लाइव अपडे्ट
इसमें थाने में बने मंदिर में देवी-देवताओं को साक्षी मानकर लड़के से लड़की की मांग में सिंदूर लगवा देते हैं, और एक दूसरे को माला पहनवा देते हैं। इस तरह की शादियों में न तो फेरे होते हैं न ही सप्तपदी होती है। ऐसे में थाने में होने वाली शादियों की वैधता पर अब सवाल उठेंगे और उन्हे विधिक रूप से मान्य नहीं माना जाएगा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा है कि सप्तपदी हिंदू विवाह का अनिवार्य तत्व है। रीति रिवाजों के साथ संपन्न हुए विवाह को ही कानून की नज़र में वैध विवाह माना जाएगा। अगर वैदिक विधि से शादी संपन्न नहीं कराई गई है तो इस तरह के विवाद कानून की नजर में अवैध रहेंगे। इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार सिंह की एकल पीठ ने वाराणसी की स्मृति सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि हिंदू विवाह की वैधता को स्थापित करने के लिए सप्तपदी एक अनिवार्य तत्व है।
दरअसल, इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस संजय कुमार सिंह ने वाराणसी की स्मृति सिंह उर्फ मौसमी सिंह की याचिका पर सुनवाई के बाद दिए गए अपने आदेश में यह टिप्पणी की है। याचिका स्मृति सिंह का विवाह 5 जून 2017 को सत्यम सिंह के साथ हुआ था। हाईकोर्ट में दाखिल इस याचिका में कहा गया की याची की ओर से दर्ज कराए गए मुकदमे का बदला लेने की नीयत से यह आरोप लगाया गया है। परिवाद में विवाह समारोह संपन्न होने का कोई साक्ष्य नहीं दिया गया है। न ही सप्तपदी का कोई साक्ष्य है जो की विवाह की अनिवार्य रस्म है। एकमात्र फोटोग्राफ साक्ष्य के तौर पर लगाया गया है।
यह भी पढ़ेंः- Ali Fazal-Richa Chadha: जल्द आने वाली हैं ऋचा चड्ढा की शादी की डॉक्यूमेंट्री, हसीन लम्हों को फैंस के साथ कर रही हैं साझा
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.