331
Himalayan Earthquake Danger Zone: भारत ने अपना सिस्मिक ज़ोनेशन मैप अपडेट किया है, जो दशकों में सबसे नया है. पूरे हिमालयी इलाके को सबसे ज़्यादा रिस्क वाले ज़ोन VI में रखा गया है. पहले, इसे ज़ोन IV और V में बांटा गया था. अब, देश का 61% हिस्सा मीडियम से बहुत ज़्यादा रिस्क पर है. आइए विस्तार से जाने कि हिमालय सबसे खतरनाेक जोन में क्यों है और नए मैप के हिसाब से नया क्या है?
हिमालय अब सबसे खतरनाक ज़ोन VI में क्यों है?
हिमालय धरती की दो सबसे तेज चलने वाली प्लेटों के बीच है इंडियन प्लेट हर साल 5 सेंटीमीटर उत्तर की ओर बढ़ रही है. इससे ज़मीन के नीचे बहुत ज़्यादा प्रेशर बनता है. जब यह प्रेशर अचानक कम होता है, तो बहुत बड़ा भूकंप आता है.
हिमालय के नीचे तीन बड़े फॉल्ट हैं: मेन फ्रंटल थ्रस्ट, मेन बाउंड्री थ्रस्ट, और मेन सेंट्रल थ्रस्ट. ये कभी भी टूट सकते हैं. खास बात यह है कि सेंट्रल हिमालय में पिछले 200 सालों में कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है मतलब वहां काफी प्रेशर जमा हो गया है.
मैप में नया क्या है?
पूरा हिमालय अब ज़ोन VI में है. देहरादून (मोहन फॉल्ट के पास) जैसे शहर अब ज़्यादा रिस्क पर हैं. पिछले ज़ोन के बॉर्डर पर बसे शहरों को अब हाई-रिस्क ज़ोन माना जाएगा. नरम मिट्टी या एक्टिव फॉल्ट पर नई बस्तियां बनाना मना है. पुरानी बिल्डिंग्स को रेट्रोफिट करना ज़रूरी हो गया है. इसमें अब उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और नॉर्थ-ईस्ट के पहाड़ी इलाके अब सबसे ज़्यादा रिस्क पर हैं. दिल्ली-NCR, गुजरात (कच्छ) और बिहार-नेपाल बॉर्डर भी हाई रिस्क पर हैं. सिर्फ़ साउथ इंडिया के कुछ हिस्से कम रिस्क पर बचे हैं.
अब हमें क्या करना चाहिए?
- नई बिल्डिंग्स भूकंप-रोधी (ज़्यादा लोहा, मज़बूत नींव) होनी चाहिए.
- पुरानी सरकारी बिल्डिंग्स, स्कूल और हॉस्पिटल्स को जल्दी मज़बूत करना होगा.
- नई कॉलोनियां नरम मिट्टी या नदी के किनारे नहीं बनानी चाहिए.
- हर घर में इमरजेंसी किट होनी चाहिए और भूकंप की ड्रिल होनी चाहिए.
क्या है साइंटिस्ट्स का कहना?
साइंटिस्ट्स का कहना है यह मैप हमें चेतावनी दे रहा है कि कभी भी बड़ा भूकंप आ सकता है. अगर हम अभी तैयारी कर लें, तो लाखों जानें और अरबों रुपये बचाए जा सकते हैं. अब हर शहर और हर गांव को भूकंप-प्रूफ बनाने का समय है.