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India News (इंडिया न्यूज), Hindenburg Report On SEBI: हिंडनबर्ग ने पिछली बार अडानी ग्रुप को निशाना बनाते हुए एक रिपोर्ट जारी किया था। जिसके बाद अडानी ग्रुप को बहुत बड़ा झटका लगा था। लेकिन इस बार हिंडनबर्ग ने अपने रिपोर्ट में सीधे तौर पर बाजार नियामक सेबी पर हमला बोला है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया है कि सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच भी अडानी ग्रुप से मिली हुई हैं। इस वजह से ही उन्होंने 18 महीने में भी अडानी ग्रुप के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। हिंडनबर्ग रिसर्च ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर इस खुलासे की घोषणा की। हिंडनबर्ग रिसर्च ने कई गुप्त दस्तावेज का हवाला देते हुए कहा है कि कथित अडानी घोटाले में इस्तेमाल की गई ऑफशोर संस्थाओं में सेबी चेयरपर्सन की हिस्सेदारी थी। हालांकि इंडिया न्यूज उन दस्तावेजों की पुष्टि नहीं करता है।
बता दें कि, हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपने आरोपों में कहा है कि अप्रैल 2017 से मार्च 2022 तक माधबी पुरी बुच पूर्णकालिक सदस्य होने के साथ-साथ सेबी की अध्यक्ष भी थीं। सिंगापुर में अगोरा पार्टनर्स नामक एक कंसल्टिंग फर्म में उनकी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। वहीं 16 मार्च, 2022 को सेबी की अध्यक्ष नियुक्त होने से दो सप्ताह पहले उन्होंने कंपनी में अपने शेयर अपने पति धवल बुच को हस्तांतरित कर दिए। हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपने आरोपों में आगे कहा है कि व्हिसलब्लोअर दस्तावेज के अनुसार, सेबी की मौजूदा अध्यक्ष माधबी पुरी बुच के पति की ऑब्स्क्योर ऑफशोर फंड्स में हिस्सेदारी है। इसका इस्तेमाल अडानी के पैसों में हेराफेरी (अडानी मनी साइफनिंग स्कैंडल) के लिए किया गया है।
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NEW FROM US:
Whistleblower Documents Reveal SEBI’s Chairperson Had Stake In Obscure Offshore Entities Used In Adani Money Siphoning Scandalhttps://t.co/3ULOLxxhkU
— Hindenburg Research (@HindenburgRes) August 10, 2024
हिंडनबर्ग रिसर्च के मुताबिक, सेबी में माधबी पुरी बुच को पूर्णकालिक निदेशक नियुक्त किया गया था। जबकि उनके पति धवल बुच को 2019 में ब्लैकस्टोन में वरिष्ठ सलाहकार बनाया गया था। अपने आरोपों में शॉर्ट सेलर ने कहा कि उनके पति के लिंक्डइन प्रोफाइल के मुताबिक, उन्होंने पहले किसी रियल एस्टेट फंड या कैपिटल मार्केट में काम नहीं किया था। उनके प्रोफाइल के मुताबिक, उन्हें खरीद और आपूर्ति श्रृंखला का व्यापक अनुभव है। उन्होंने यूनिलीवर में मुख्य खरीद अधिकारी के तौर पर लंबा समय बिताया है।
हिंडनबर्ग ने अपने कथित खुलासे में कहा कि पिछले साल अडानी ग्रुप के खिलाफ रिपोर्ट के 18 महीने बाद भी सेबी ने कार्रवाई करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है। मॉरीशस में अडानी ग्रुप के कालेधन के नेटवर्क के बारे में पूरी जानकारी देने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। जून 2024 में सेबी ने हमें कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
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