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Hindi Diwas 2025: हिंदी दिवस पर जानिए क्यों हिंदी को नहीं मिला राष्ट्रभाषा का दर्जा ?

Hindi Diwas 2025: हिंदी को 14 सितंबर 1949 को भारत की राजभाषा का दर्जा मिला था, न कि राष्ट्रभाषा का. हिंदी दिवस हमें इस भाषा के महत्व को समझने और उसे सम्मान देने का अवसर प्रदान करता है.

Written By: Sanskriti jaipuria
Last Updated: September 11, 2025 19:00:36 IST

Hindi Diwas 2025: भारत एक ऐसा देश है, जहां विभिन्न भाषाएं, संस्कृतियां और परंपराएं एक साथ मिलकर हमारी पहचान बनाती हैं. इन भाषाओं में हिंदी का स्थान बेहद खास है. ये सिर्फ भारत में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा नहीं है, बल्कि ये पूरे देश को जोड़ने का एक अहम साधन भी है. इसलिए हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस (Hindi Diwas) मनाया जाता है, ताकि हिंदी की महत्ता को सभी के बीच और बढ़ाया जा सके. लेकिन, हिंदी को लेकर एक सवाल अक्सर उठता है- क्या हिंदी हमारी राजभाषा है या राष्ट्रभाषा?

ये सवाल बहुतों के मन में कंफ्यूजन पैदा करता है. असल में, संविधान में हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला है, न कि राष्ट्रभाषा का. ये फर्क समझना जरूरी है, क्योंकि इससे हमें भारत की भाषाई विविधता और हमारे संविधान की संरचना को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलती है.

 राष्ट्रभाषा क्या होती है?

राष्ट्रभाषा एक ऐसी भाषा होती है, जो देश की सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान का प्रतीक होती है. ये वो भाषा होती है जिसे पूरे देश के लोग स्वाभाविक रूप से अपनाते हैं. भारत के संविधान में किसी भी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं दिया गया है, यानी हिंदी को भी नहीं.

 राजभाषा का क्या मतलब है?

राजभाषा वो भाषा होती है, जो सरकारी कामकाज, प्रशासन, न्यायपालिका और संसद में इस्तेमाल होती है. इसे आधिकारिक भाषा माना जाता है. भारत में हिंदी को यही दर्जा प्राप्त है. संविधान के तहत हिंदी को राजभाषा माना गया और ये कानूनन सुनिश्चित किया गया कि देश के सरकारी कामकाज में हिंदी का इस्तेमाल प्रमुख रूप से होगा.

 हिंदी को राजभाषा का दर्जा कब मिला?

हिंदी को राजभाषा का दर्जा 14 सितंबर, 1949 को मिला था. ये फैसला संविधान सभा की लंबी बहस के बाद लिया गया था. स्वतंत्रता संग्राम के समय ही हिंदी को एक भाषा के रूप में प्रोत्साहित किया जाने लगा था. महात्मा गांधी जैसे नेता इसे जनसाधारण की भाषा मानते हुए इसके प्रचार-प्रसार की बात करते थे.

संविधान सभा में इस पर काफी चर्चा हुई थी, खासकर दक्षिण भारत के प्रतिनिधियों ने चिंता जताई थी कि हिंदी के बढ़ते प्रभाव से अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को नुकसान हो सकता है. इसके बावजूद, संविधान सभा ने हिंदी को राजभाषा का दर्जा देने का निर्णय लिया और ये तय किया कि अगले 15 साल तक अंग्रेजी का भी उपयोग जारी रहेगा. 26 जनवरी 1950 को जब भारत का संविधान लागू हुआ, तब से हिंदी को भारत गणराज्य की आधिकारिक भाषा मान लिया गया.

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