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Hindi Journalism Day: क्यों मनाया जाता हिंदी पत्रकारिता दिवस? भारत में कब छपा पहला हिंदी अखबार, जानिए पूरी जानकारी-Indianews

Himanshu Pandey • LAST UPDATED : May 30, 2024, 9:18 am IST

India News (इंडिया न्यूज), Hindi Journalism Day: हर साल 30 मई को “हिंदी पत्रकारिता दिवस” ​​मनाया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में पहला हिंदी अखबार कब छपा था? हिंदी भाषा का पहला अखबार उदंत मार्तंड 30 मई 1826 को छपा था। यही वजह है कि इस दिन को हिंदी पत्रकारिता दिवस के तौर पर मनाया जाता है।

कहा छपा था पहला हिंदी अखबार?

बता दें कि 30 मई को पंडित जुगल किशोर शुक्ला ने पहली बार इसे साप्ताहिक अखबार के तौर पर शुरू किया था। इसका पहली बार प्रकाशन कलकत्ता में हुआ था। पंडित जुगल किशोर शुक्ला इस साप्ताहिक अखबार के प्रकाशक और संपादक थे। पंडित जुगल किशोर शुक्ला कानपुर के रहने वाले थे जो पेशे से वकील थे। हालांकि, उनका कार्यक्षेत्र कलकत्ता था। यह वो समय था जब भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था। भारतीयों के अधिकारों का दमन और दमन किया जा रहा था। ऐसे में भारतीयों की आवाज को बुलंद करने के लिए पंडित जुगल किशोर शुक्ला ने उदंत मार्तंड अखबार का प्रकाशन शुरू किया।

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पहली बार छपी थी 500 प्रतियां

इस अखबार का पहला प्रकाशन कलकत्ता के बड़ा बाजार इलाके में अमर तल्ला लेन में हुआ था। यह साप्ताहिक समाचार पत्र हर मंगलवार को पाठकों तक पहुंचता था। आपको बता दें कि इस समय कलकत्ता में अंग्रेजी, बंगाली और उर्दू भाषाओं का बोलबाला था। उस समय बंगाल में इन भाषाओं के समाचार पत्र प्रकाशित होते थे। यहां हिंदी भाषा का एक भी समाचार पत्र नहीं था। हालांकि, 1818-19 में कलकत्ता स्कूल बुक के बंगाली समाचार पत्र “समाचार दर्पण” के कुछ हिस्से हिंदी में जरूर प्रकाशित हुए थे। इसके बाद 30 मई 1826 को उदंत मार्तंड का प्रकाशन हुआ। पहली बार इस समाचार पत्र के पहले अंक की 500 प्रतियां छपी थीं।

कुछ ही महीनों में बंद हो गया था पत्र

बंगाल में हिंदी समाचार पत्रों का प्रचलन कम होने के कारण, समाचार पत्र डाक के माध्यम से भेजे जाते थे। डाक दरें अधिक होने के कारण, इन समाचार पत्रों को हिंदी भाषी राज्यों में भेजना आर्थिक रूप से नुकसानदेह था। इसके बाद पंडित जुगल किशोर ने ब्रिटिश सरकार से डाक दरों में थोड़ी छूट देने का अनुरोध किया ताकि हिंदी पाठकों तक अखबार पहुंचाया जा सके। हालांकि, ब्रिटिश सरकार इसके लिए राजी नहीं हुई। वित्तीय समस्याओं और उच्च डाक दरों के कारण उदंत मार्तंड समाचार पत्र का प्रकाशन लंबे समय तक जारी नहीं रह सका और 4 दिसंबर 1826 को अखबार का प्रकाशन बंद करना पड़ा।

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