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India News (इंडिया न्यूज), AMU: हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक संस्थान के दर्जे को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 1967 के अपने ही फैसले को पलट दिया है, जिसमें कहा गया था कि एएमयू को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा नहीं मिल सकता, क्योंकि इसकी स्थापना कानून के जरिए हुई है। हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, ऐसा नहीं है कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की चर्चा पहली बार हो रहा है। इससे पहले भी यूनिवर्सिटी को लेकर काफी विवाद हो चुका है। यहां तक कि यूनिवर्सिटी बनाने के लिए जमीन देने वाले राजा महेंद्र प्रताप सिंह के वंशजों ने लीज खत्म होने के बाद जमीन वापस मांगी है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी इसे मुद्दा बनाया गया था।
हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, राजा महेंद्र प्रताप सिंह एक स्वतंत्रता सेनानी, क्रांतिकारी, लेखक और समाज सुधारक थे। उन्होंने 1957 में मथुरा से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लोकसभा चुनाव लड़ा था और इस चुनाव में उन्हें जीत भी मिली थी। राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान 1915 में काबुल में “भारत की अनंतिम सरकार” की स्थापना की थी। उनकी गतिविधियों के कारण ब्रिटिश सरकार ने उन्हें निशाना बनाया था। जिसके बाद वे जापान में बस गए। 1932 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया गया।
जानकारी के अनुसार, साल 1886 में हाथरस के मुरसान एस्टेट के शासक जाट परिवार में राजा महेंद्र प्रताप सिंह का जन्म हुआ था। फिर इसके बाद वर्ष 1902 में उनका विवाह बलवीर कौर से हुआ जो जींद राज्य के सिख परिवार से ताल्लुक रखती थीं। विवाह के बाद वर्ष 1907 में वे अपनी सिख पत्नी के साथ विश्व भ्रमण पर निकल गए। वापस लौटने के बाद उन्होंने मथुरा में अपना आवास एक विद्यालय में तब्दील करने के लिए दे दिया, जिसका नाम 1909 में प्रेम महाविद्यालय रखा गया। इसे देश का पहला पॉलिटेक्निक कॉलेज माना जाता है।
बताया जा रहा है कि, अलीगढ के एक सरकारी स्कूल में राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा हासिल की थी। इसके बाद उन्होंने अलीगढ़ के मोहम्मडन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज में एडमिशन लिया, जो बाद में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के नाम से जाना गया। हालांकि वे इस संस्थान से अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए, लेकिन उनकी गिनती यूनिवर्सिटी के प्रमुख पूर्व छात्रों में होती है। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक महेंद्र प्रताप के पिता और दादा शिक्षा सुधारक और एएमयू के संस्थापक सर सैयद अहमद खान के करीबी थे। जब एएमयू की नींव रखने की बात चली तो राजा महेंद्र प्रताप के परिवार ने जमीन देने का फैसला किया। राजा के परिवार ने एएमयू को कुछ जमीन दान में दी और साल 1929 में राजा महेंद्र प्रताप ने खुद 3.09 एकड़ जमीन लीज पर ली।
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