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अजमेर दरगाह को लेकर वादी ने क्यों किया शिव मंदिर का दावा? कोर्ट में जिस किताब का दिया गया हवाला उसमें क्या लिखा है

Sohail Rahman • LAST UPDATED : November 28, 2024, 7:00 pm IST
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अजमेर दरगाह को लेकर वादी ने क्यों किया शिव मंदिर का दावा? कोर्ट में जिस किताब का दिया गया हवाला उसमें क्या लिखा है

Ajmer Historical And Descriptive Book( इस किताब में क्या लिखा है)

India News (इंडिया न्यूज), Ajmer Historical And Descriptive Book: उत्तरप्रदेश के संभल में शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हिंसा भड़क उठी थी। इस हिंसा में 5 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा कई पुलिस कर्मी भी घायल हुए हैं। ये मामला अभी थमा नहीं था कि, राजस्थान के अजमेर में स्थित ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को लेकर दायर याचिका पर कोर्ट ने कहा कि, इस पर सुनवाई हो सकती है। अजमेर की एक स्थानीय अदालत ने उस याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है, जिसमें हिंदू सेना ने दावा किया है कि दरगाह शिव मंदिर के ऊपर बनाई गई है। अदालत ने याचिका को सुनवाई योग्य मानते हुए संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी।

हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने दायर की है याचिका

दरअसल, हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अजमेर की मुंसिफ कोर्ट में यह मामला दायर किया है। उन्होंने अपनी याचिका में एक किताब में किए गए दावों को आधार बनाया है। यह किताब हरबिलास सारदा ने 1911 में लिखी थी, जिसका नाम ‘अजमेर: हिस्टोरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव’ हैं। अंग्रेजी में लिखी गई इस किताब में 168 पेज हैं। इसमें ‘दरगाह ख्वाजा मोहिनुद्दीन चिश्ती’ नाम से एक अलग अध्याय है। इसमें ख्वाजा के जीवन और उनकी दरगाह के बारे में विस्तार से बताया गया है।

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किताब में इस चीज का है उल्लेख

पृष्ठ क्रमांक 93 पर लिखा है कि, बुलंद दरवाजे के उत्तरी द्वार में तीन मंजिला छतरी किसी हिंदू इमारत के हिस्से से बनी है, छतरी की बनावट से पता चलता है कि यह हिंदू मूल की है, इसकी सतह पर की गई सुंदर नक्काशी चूने और रंग से भरी गई थी। इसके अलावा इस किताब के पृष्ठ क्रमांक 94 पर लिखा हुआ है कि छतरी में लाल बलुआ पत्थर का हिस्सा किसी जैन मंदिर का है, जिसे तोड़ दिया गया है। पृष्ठ क्रमांक 96 पर लिखा है कि, बुलंद दरवाजे और भीतरी आंगन के बीच का प्रांगण, उसके नीचे पुराने हिंदू भवन (मंदिर?) के तहखाने हैं, जिसके कई कमरे आज भी वैसे ही हैं, वास्तव में ऐसा प्रतीत होता है कि पूरी दरगाह मुस्लिम शासकों के शुरुआती दिनों में पुराने हिंदू मंदिरों के स्थान पर बनाई गई थी। 

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इस किताब को आधार मानकर दाखिल की गई है याचिका

अगले पृष्ठ पर लिखा है कि, परंपरा कहती है कि तहखाने के अंदर एक मंदिर में महादेव की एक छवि है, जिस पर एक ब्राह्मण परिवार द्वारा प्रतिदिन चंदन की लकड़ी चढ़ाई जाती थी, जिसे आज भी दरगाह ने घड़ियाली (घंटी बजाने वाला) के रूप में रखा है। अब किताब में लिखी इन बातों के आधार पर याचिका दायर की गई है।इस याचिका के बारे में वादी विष्णु गुप्ता के वकील योगेश सिरोजा ने अजमेर में बताया कि मामले की सुनवाई सिविल मामले के न्यायाधीश मनमोहन चंदेल की अदालत में हुई। सिरोजा ने कहा, ‘दरगाह में शिव मंदिर होना बताया जा रहा है। पहले इसमें पूजा-अर्चना होती थी। हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, सितंबर 2024 में फिर से पूजा-अर्चना शुरू करने के लिए वाद दायर किया गया था। अदालत ने वाद स्वीकार कर लिया है और नोटिस जारी किए हैं।

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