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India News (इंडिया न्यूज़), Historical Place Hiradah: झारखंड का एक जिला गुमला है, जो चारों तरफ हरियाली, पेड़-पौधे, घने जंगल, पहाड़ और नदियों से भरा हुआ है। इस जिले में कई धार्मिक स्थल, ऐतिहासिक स्थल और पर्यटन स्थल भी हैं। जो इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं। इन्हीं पर्यटन स्थलों में से एक ऐसा स्थल है। जो जिले के रायडीह प्रखंड में स्थित हीरादाह है। जो शंख नदी के नाम से भी प्रसिद्ध है। यह हीरादाह घने जंगलों से घिरी खूबसूरत घाटियों में स्थित है। बताया जाता है कि यहां आज भी हीरे पाए जाते हैं। यहां साल भर पर्यटक आते रहते हैं। साथ ही मकर संक्रांति, रथ मेला, घुर्ती मेला, रामनवमी और शिवरात्रि पर यहां विशेष मेले का भी आयोजन होता है।
हीराधाम समिति के सचिव अशोक सिंह ने बताया कि यह हीरा धाम करीब 600 साल पहले नागवंशी राजा दुर्जनशाल का क्षेत्र हुआ करता था। यह झारखंड राज्य उस समय नागखंड/नागलोक/नागभूमि के नाम से जाना जाता था। राजा दुर्जनशाल 50वें नागवंशी राजा थे। अपने कार्यकाल के दौरान वे एक वैज्ञानिक और शोधकर्ता के रूप में जाने जाते थे। उन्होंने अपने शोध में पाया कि शंख नदी में हीरा है। इसीलिए इसे हीरा पट्टी भी कहा जाता था। गीता में भी हीरा पट्टी को इंद्रप्रवाह का दर्जा दिया गया है। नागवंशी राजा दुर्जनशाल हीरे की खोज में अपने राजपरिवार और सैनिकों के साथ हीरा दह आए और यहीं से उन्हें कोहिनूर हीरा मिला।
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हीरा मिलने के बाद राजा अपने परिवार और सैनिकों के साथ खुशी-खुशी यहां से लौट रहे थे। उस समय रांची चुटिया नागवंशी राजा दुर्जनशाल की राजधानी हुआ करती थी। उस समय भारत में मुगलों का शासन था। जब मुगल शासक को राजा दुर्जनशाल की कीमती हीरा मिलने की जानकारी मिली तो मुगल शासक ने भारी हथियारों और सैनिकों के साथ तुरंत हमला बोल दिया। दुर्जनशाल और उसके सभी सैनिकों को रांची की होटवार जेल में कैद कर दिया गया। उन्हें करीब 1 साल तक जेल में कैद करके रखा गया।
एक साल पूरा होने के बाद दुर्जनशाल से पूछा गया कि उसके पास जो कीमती चीज है, वह क्या है? यह कैसे और कहां मिली है? इसकी जानकारी दो और वह कीमती चीज हमें सौंप दो, तब तुम्हें रिहा कर दिया जाएगा। तो राजा दुर्जनशाल ने मुगल शासक को हीरादह की पूरी कहानी बताई। और काफी दुखी होकर उसने कोहिनूर हीरा मुगल शासक को सौंप दिया।
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