India news(इंडिया न्यूज़),special session of Parliament: केंद्र सरकार के तरफ से संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है। सरकार के तरफ से कोई जानकारी नहीं दिया गया है कि संसद के विशेष सत्र बुलाने के पिछे सरकार की क्या मंसा है। लेकिन केंद्र सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक देश-एक चुनाव कराने के लिए एक शमिति का गठन किया है। सरकार की इस कदम से कई कयास लगाए जा रहे है। राजनीतिक विषेशज्ञों का मानना है कि सरकार विशेष सत्र के दौरान एक देश-एक चुनाव के लिए सदन में विधेयक ला सकती है। सरकार की इस कदम पर विपक्ष के तरफ से कई सवाल किए जा रहे है कि आखिर क्द्र सरकार के पास कौन सी समस्या आ गयी की वह शितकालीन सत्र का इंतजार नहीं कर सकती है।
संसद का विशेष सत्र क्या होता है?
अब हम आपको यह बताने वाले है कि आखिर भारतीय संसदीय लोकतंत्र में संसद का विशेष सत्र क्या होता है, क्यो बुलाया जाता है और यह कैसे काम करता है। आपने अभी तक देखा होगा कि संसद की तीन सत्र बुलाई जाती है। भारतीय संविधान में संसद के तीन अंग है। राष्ट्रपति सांसद के सत्र शुरु होने से पहले दोनों सदनों को संबोधित करते है।
संसद के तीन अंग
- लोकसभा
- राज्यसभा
- राष्ट्रपति
वैसे संसद की तीन सत्र बुलाई जाती है। इसके लिए कोई निश्चित संसदीय कैलेंडर नहीं है। लेकिन परंपरागत तौर पर तीन सत्र आयोजित होते आ रहे है।
- बजट सत्र (फरवरी-मार्च)
- मानसून सत्र (जुलाई-अगस्त)
- शीतकालीन सत्र (नवंबर-दिसंबर)
संविधान के अनुच्छेद 85 के तहत केंद्र सरकार के पास संसद सत्र को बुलाने की शक्ति है। आपको बता दें कि संत्र बुलाने का फैसला भारत सरकार के संसदीय मामलों के कैबिनेट मंत्री और संसदीय समिति लेती है। जिसके बाद राष्ट्रपति से मंजूरी लेनी होती है।
केंद्र विशेष सत्र बुला सकती है
तीन प्रमुख सत्रों के आलावा केंद्र सरकार जरूरत के अनुसार संसद का विशेष सत्र भी बुला सकती है। संविधान के अनुच्छेद 85(1) के तहत राष्ट्रपति को ऐसी परिस्थिति में संसद का विशेष सत्र बुलाने का अधिकार है। लोकसभा के विशेष सत्र बुलाए जाने के लिए लोकसभा के कुल सदस्यों का 10 वां हिस्सा यानी लोकसभा के 55 सदस्य राष्ट्रपति और लोकसभा अध्यक्ष को लिखित रुप में एक पत्र लिखते है कि सदन का विशेष सत्र बुलाना आवश्यक है।
अब तक कितने बार बुलाया गया संसद का विशेष सत्र
- वर्ष 1947 में भारत की आजादी की औपचारिक घोषणा के बाद 14 अगस्त की आधी रात यानी 15 अगस्त को संसद का विशेष सत्र बुलाया गया था। इस दौरान देश ने आजाद भारत के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का भाषण सुना था।
- साल 1961 के नवंबर में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की सरकार ने संसद का विशेष सत्र का आयोजन किया था। यह सत्र भारत-चीन युद्ध के दौरान बुलाया गया था। तत्कालीन जनसंघ नेता और सांसद अटल बिहारी वाजपेयी के आग्रह पर इस सत्र का आयोजन किया गया था।
- फरवरी 1977 में तमिलनाडु और नागालैंड दोनों राज्यो में राष्ट्रपति शासन के विस्तार के लिए अनुच्छेद 356(4) के दूसरे प्रावधान के तहत दो दिनों के लिए राज्यसभा का एक विशेष सत्र आयोजित किया गया था।
- अगस्त 1972 में आजादी की रजत जयंती के अवसर पर अगस्त 1972 में पहली बार संसद का विशेष सत्र का आयोजन किया गया।
- साल 1992 में भारत छोड़ो आंदोलन की 50वीं सालगिरह पर नौ अगस्त 1992 को आधी रात को संसद का विशेष सत्र बुलाया गया था
- 1997 में आजादी के 50 वर्ष पूरे होने के असवर पर अगस्त 1097 में संसद का छह दिनों का विशेष सत्र बुलाया गया था।
- अटल बिहारी वाजपेयी की नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने साल 2002 संसद का विशेष सत्र बुलाया था। दरअसल एनडीए सरकार के पास राज्यसभा में बहुमत नहीं थी। वाजपेयी सरकार ने आतंकवाद निरोधक विधेयक में इसे पारित कराने के लिए बहुमत नहीं था।
- जुलाई 2008 में वाम दलों द्वारा मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद विश्वास मत हासिल करने के लिए जुलाई 2008 में लोकसभा का विशेष सत्र बुलाया गया था।
- 26 नवंबर 2015 को भारत सरकार ने बाबा साहब भीमराम आंबेडकर को श्रद्धांजलि देने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया था। देश बाबा साहब 125 वीं जयंती मना रहा था। इसी समय से सरकार ने 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाने का निर्णय लिया।
- जून 2017 में नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान संसद का विशेष सत्र बुलाया गया था। दरअसल केंद्र सरकार ने 30 जून 2017 को वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू करने के लिए संसद के सेंट्रल हॉल में संसद का विशेष सत्र बुलाया था।
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