India news(इंडिया न्यूज़),special session of Parliament: केंद्र सरकार के तरफ से संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है। सरकार के तरफ से कोई जानकारी नहीं दिया गया है कि संसद के विशेष सत्र बुलाने के पिछे सरकार की क्या मंसा है। लेकिन केंद्र सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक देश-एक चुनाव कराने के लिए एक शमिति का गठन किया है। सरकार की इस कदम से कई कयास लगाए जा रहे है। राजनीतिक विषेशज्ञों का मानना है कि सरकार विशेष सत्र के दौरान एक देश-एक चुनाव के लिए सदन में विधेयक ला सकती है। सरकार की इस कदम पर विपक्ष के तरफ से कई सवाल किए जा रहे है कि आखिर क्द्र सरकार के पास कौन सी समस्या आ गयी की वह शितकालीन सत्र का इंतजार नहीं कर सकती है।
अब हम आपको यह बताने वाले है कि आखिर भारतीय संसदीय लोकतंत्र में संसद का विशेष सत्र क्या होता है, क्यो बुलाया जाता है और यह कैसे काम करता है। आपने अभी तक देखा होगा कि संसद की तीन सत्र बुलाई जाती है। भारतीय संविधान में संसद के तीन अंग है। राष्ट्रपति सांसद के सत्र शुरु होने से पहले दोनों सदनों को संबोधित करते है।
वैसे संसद की तीन सत्र बुलाई जाती है। इसके लिए कोई निश्चित संसदीय कैलेंडर नहीं है। लेकिन परंपरागत तौर पर तीन सत्र आयोजित होते आ रहे है।
संविधान के अनुच्छेद 85 के तहत केंद्र सरकार के पास संसद सत्र को बुलाने की शक्ति है। आपको बता दें कि संत्र बुलाने का फैसला भारत सरकार के संसदीय मामलों के कैबिनेट मंत्री और संसदीय समिति लेती है। जिसके बाद राष्ट्रपति से मंजूरी लेनी होती है।
तीन प्रमुख सत्रों के आलावा केंद्र सरकार जरूरत के अनुसार संसद का विशेष सत्र भी बुला सकती है। संविधान के अनुच्छेद 85(1) के तहत राष्ट्रपति को ऐसी परिस्थिति में संसद का विशेष सत्र बुलाने का अधिकार है। लोकसभा के विशेष सत्र बुलाए जाने के लिए लोकसभा के कुल सदस्यों का 10 वां हिस्सा यानी लोकसभा के 55 सदस्य राष्ट्रपति और लोकसभा अध्यक्ष को लिखित रुप में एक पत्र लिखते है कि सदन का विशेष सत्र बुलाना आवश्यक है।
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