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कश्मीर पर राज करने वाली हिंदू आबादी, रातों-रात कैसे बन गई मुस्लिम? हौलनाक दास्तां सुनकर कांप जाएगा कलेजा

BY: Deepak • LAST UPDATED : January 3, 2025, 8:02 pm IST
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कश्मीर पर राज करने वाली हिंदू आबादी, रातों-रात कैसे बन गई मुस्लिम? हौलनाक दास्तां सुनकर कांप जाएगा कलेजा

How Kashmiri Hindus converted in islam (सांकेतिक तस्वीर)

India News (इंडिया न्यूज), How Kashmiri Hindus Converted in Islam:  क्या आपके मन में कभी सवाल आता है कि जब पूरे कश्मीर में सिर्फ हिंदू ही रहते थे वो फिर वहां की आबादी मुस्लिम कैसे हो गई? यही नहीं  एक समय तो कश्मीर में बौद्ध धर्म भी काफी प्रभावशाली था। तो यह बहुसंख्यक आबादी मुस्लिम कैसे बन गई? हालांकि, यहां कई मुस्लिम आज भी अपने उपनाम के साथ पंडित उपनाम का इस्तेमाल करते हैं। अब  एक बड़ा सवाल यह भी  है कि कश्मीरी मुस्लिम अपने नाम के साथ पंडित क्यों लगाते हैं? चलिए इन सभी सवालों के जवाब तलाशते हैं।

मोहम्मद देन फौक ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “कश्मीर कौम का इतिहास” में पंडित शेख नामक अध्याय में लिखा है, “कश्मीर में इस्लाम के आगमन से पहले सभी हिंदू थे। इनमें हिंदू ब्राह्मण भी थे। इसके साथ ही अन्य जातियों के लोग भी थे। लेकिन ब्राह्मणों में एक संप्रदाय ऐसा भी था जिसका पेशा प्राचीन काल से पढ़ना-पढ़ाना था।” इन लोगों को पंडित कहा जाता था। सैकड़ों साल पहले कश्मीर की मूल आबादी कैसे सिर्फ हिंदू थी। फिर मुस्लिम हो गई, यह हम आगे बताएंगे। पहले यह जान लेते हैं कि वहां कई मुस्लिम आज भी अपने उपनाम में पंडित क्यों लिखते हैं।

इस्लाम का एक गर्ग अब भी लगाता है पंडित

पुस्तक में लिखा है, “इस्लाम स्वीकार करने के बाद इस संप्रदाय ने पंडित की उपाधि को गर्व के साथ धारण किया। इसलिए मुस्लिम होते हुए भी यह संप्रदाय आज तक पंडित कहलाया है। इसलिए मुसलमानों के पंडित संप्रदाय को शेख भी कहा जाता है। इन्हें सम्मान के तौर पर ख्वाजा भी कहा जाता है। मुस्लिम पंडितों की बहुसंख्या ग्रामीण इलाकों में है।”

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मूल पंडित कबीले से ताल्लुक

कश्मीर में मुस्लिम पंडितों की आबादी करीब 50,000 होगी। ये वे मुसलमान हैं जिन्होंने इस्लाम स्वीकार किया। मुस्लिम पंडित कश्मीर के मूल निवासी हैं। वे बाहरी नहीं हैं। पुस्तक में कहा गया है कि ये पंडित ही असली कश्मीरी हैं। कश्मीर के कई मुस्लिम कबीले भी ऐसे ही हैं।

बट, भट, लोन और गनी भी थे कभी हिंदू

पंडित इसी तरह कई मुसलमान अपनी उपाधि के तौर पर भट या बट लिखते हैं। इसके पीछे भी एक कहानी है। ये वे लोग हैं जिन्होंने बहुत पहले अपना धर्म बदल लिया था और हिंदू से मुसलमान बन गए थे। पंडित को भी बट लिखा जाता है। जिन मुसलमानों ने अपने साथ पंडित शब्द का इस्तेमाल किया है, वे इस्लाम स्वीकार करने से पहले सबसे ऊंचे वर्ग के थे। ब्राह्मणों में भी यही सबसे बड़ा वर्ग था।

कश्मीर की असली नस्ल क्या थी?

इतिहास और शोध की किताबें कहती हैं कि कश्मीर में असली नस्ल पंडित नहीं बल्कि जैन और बाद में बौद्ध थी। फिर पंडितों ने यहां राज किया। फिर ऐसा भी हुआ कि जब मुसलमान बने पंडितों ने अपने नाम के साथ पंडित शब्द जोड़ा तो न तो हिंदू पंडितों को और न ही मुसलमानों को इस पर कोई आपत्ति हुई। इस तरह कश्मीर के मुसलमानों में पंडित लिखने वाला एक समुदाय शामिल हो गया।

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कश्मीर पंडितों का इतिहास क्या है?

अब आइए जानते हैं कि कश्मीर में कश्मीरी पंडितों का इतिहास क्या है। कश्मीरी पंडितों को कश्मीरी ब्राह्मण के नाम से जाना जाता था, जो कश्मीरी हिंदुओं का एक समूह था, मुख्य रूप से सारस्वत ब्राह्मण। मुख्य रूप से वे कश्मीर घाटी के पंच गौड़ ब्राह्मण थे। मध्यकाल में इस्लाम के आने के बाद इन लोगों ने भी जमकर धर्म परिवर्तन किया। हालांकि, तीसरी शताब्दी में यहां के हिंदुओं ने बड़े पैमाने पर बौद्ध धर्म को स्वीकार कर लिया था। आठवीं शताब्दी के आसपास कश्मीर में तुर्क और अरबों के हमले बढ़ गए, लेकिन उन्होंने पहाड़ों से घिरी कश्मीर घाटी को नजरअंदाज कर दिया। क्योंकि उन्हें वहां जाना थोड़ा मुश्किल लगता था।

लेकिन 14वीं शताब्दी तक कश्मीर घाटी में भी मुस्लिम शासन स्थापित हो चुका था। इसके कई कारण थे, जिसमें बार-बार हमले, तोड़फोड़ आदि शामिल थे। शासक भी कमजोर थे। ब्राह्मण खुद लोहारा हिंदू राजवंश से खुश नहीं थे। पहले वे कर के दायरे में नहीं थे, लेकिन लोहारा राजवंश के अंतिम राजा सुखदेव ने उन पर कर लगा दिया।

14वीं शताब्दी में सुल्तान सिकंदर बुतशिकन से डरकर भागे लोग

14वीं शताब्दी में सुल्तान सिकंदर बुतशिकन ने बड़े पैमाने पर लोगों को भागने पर मजबूर किया। वे सभी देश के दूसरे हिस्सों में चले गए। कुछ ने इस्लाम स्वीकार कर लिया। लेकिन बुतशिकन का उत्तराधिकारी हिंदुओं के प्रति उदार था। कश्मीर की संस्कृति की कल्पना पंडितों के बिना नहीं की जा सकती। वे वहां की अनूठी संस्कृति के वाहक हैं।

बनवासी कश्मीरी पंडित – वे पंडित जो मुस्लिम राजाओं के उत्पीड़न के कारण देश के दूसरे हिस्सों में चले गए। हालांकि, उनमें से कई वापस लौट आए। उन्हें बनवासी कश्मीर पंडित कहा जाता था। मलमासी पंडित – वे पंडित जो मुस्लिम राजाओं के सामने झुके नहीं बल्कि डटे रहे। बुहिर कश्मीरी पंडित – ये वो कश्मीरी पंडित हैं जो व्यापार करते हैं।

मुस्लिम कश्मीरी पंडित – ये वो कश्मीरी पंडित हैं जो पहले हिंदू थे लेकिन बाद में मुसलमान बन गए लेकिन फिर भी पंडित उपनाम का इस्तेमाल करते हैं। ये लोग अपने नाम के साथ भट, बट, धर, दार, लोन, मंटू, मिंटू, गनी, तंत्रे, मट्टू, पंडित, राजगुरु, राठौर, राजदन, मगरे, याटू, वानी जैसे जाति नाम जोड़ते हैं।

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  • 1. प्राचीन काल में कश्मीर
  • – वैदिक काल में कश्मीर हिंदू धर्म का केंद्र था।
  • – नीलमत पुराण और राजतरंगिणी जैसे प्राचीन ग्रंथों में कश्मीर के हिंदू शासकों और धार्मिक परंपराओं का वर्णन है।
  • – शिव पूजा (विशेष रूप से शैव परंपरा) और वैष्णव परंपराओं का कश्मीर में प्रभाव था। कश्मीरी शैव दर्शन भारत में दार्शनिक विचारों का एक प्रमुख केंद्र रहा है।
  • 2. बौद्ध धर्म का उदय
  • – अशोक के शासनकाल (तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व) के दौरान बौद्ध धर्म ने कश्मीर में अपना प्रभाव स्थापित किया।
  • – कश्मीर बौद्ध विद्वानों और विश्वविद्यालयों का केंद्र बन गया। यहाँ से बौद्ध धर्म एशिया के अन्य भागों में फैला।
  • 3. इस्लाम यहाँ कैसे आया
  • – इस्लाम 13वीं शताब्दी के बाद कश्मीर में आया।
  • – सैय्यद और सूफी संतों, विशेष रूप से मीर सैय्यद अली हमदानी जैसी हस्तियों ने इस्लाम के प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • – धीरे-धीरे सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों के कारण बड़ी संख्या में लोग इस्लाम अपनाने लगे।

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