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India News (इंडिया न्यूज),Manmohan Singh:देश के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत के जाने-माने अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार देर रात निधन हो गया। उन्होंने 92 साल की उम्र में अंतिम सांस ली।डॉ. सिंह के निधन को भारतीय राजनीति और आर्थिक जगत के लिए अपूरणीय क्षति माना जा रहा है। डॉ. मानवता सिंह की गिनती देश के सबसे कुशल और ईमानदार नेताओं में होती थी। अपने लंबे राजनीतिक और वैज्ञानिक करियर में उन्होंने कई ऐसे फैसले लिए, जिनसे भारत की दिशा बदलने में अहम भूमिका निभाने की मांग की।
मनमोहन सिंह ने देश को उस समय संभाला जब सबसे ज्यादा जरुरत थी।देश की आजादी के बाद 90 का दशक देश में उथल-पुथल से भरा रहा। इस दौरान वर्ष 1991 में अरब युद्ध हुआ, जिससे पूरी दुनिया में तेल की कीमतों में जबरदस्त उछाल आया। देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 1991 में ही हत्या कर दी गई। वर्ष 1992 में बाबरी विध्वंस की घटना हुई, जिसने देश में सांप्रदायिक हिंसा की लहर ला दी और इसके एक साल बाद वर्ष 1993 में मुंबई बम धमाकों से देश दहल गया। इस माहौल के बीच देश में गठबंधन सरकारों ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया। अरब देशों के बीच युद्ध से देश और दुनिया में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ गईं, जिससे बजट बिगड़ गया और युद्ध के कारण अरब देशों में काम करने वाले भारतीय कामगार भी प्रभावित हुए और भारत में आने वाली विदेशी मुद्रा में कमी आई।
इन परिस्थितियों के कारण देश में आयात के लिए विदेशी मुद्रा भंडार केवल दो सप्ताह का ही बचा था और देश पर कर्ज भी 70 अरब डॉलर तक पहुंच गया था। राजकोषीय घाटा बढ़कर कुल जीडीपी के 8 प्रतिशत से भी अधिक हो गया था। ऐसे में देश की अर्थव्यवस्था के चरमराने का संकट खड़ा हो गया था. ऐसी मुश्किल परिस्थितियों में पीवी नरसिम्हा राव और तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने कमान संभाली।
पीवी नरसिम्हा राव अपने राजनीतिक करियर के अंतिम पड़ाव पर थे और लगभग राजनीति से संन्यास लेकर हैदराबाद जाने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन उनकी किस्मत में प्रधानमंत्री बनना लिखा था. राजीव गांधी की हत्या के बाद पैदा हुए हालातों ने पीवी नरसिम्हा राव को देश का प्रधानमंत्री बना दिया. आर्थिक संकट को देखते हुए पीवी नरसिम्हा राव ने वित्त मंत्री (Manmohan Singh Finance Minister) के पद की जिम्मेदारी ऑक्सफोर्ड से पढ़ाई करने वाले और आरबीआई के पूर्व गवर्नर रहे मनमोहन सिंह को सौंप दी. मनमोहन सिंह द्वारा किए गए आर्थिक सुधार मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्री बनते ही देश की अर्थव्यवस्था में बड़े बदलाव किए. मनमोहन सिंह ने अर्थव्यवस्था को उदार बनाया. इसके लिए मनमोहन सिंह ने कुछ बड़े कदम उठाए. 24 जुलाई 1991 को बजट पेश करते हुए मनमोहन सिंह ने अर्थव्यवस्था को लेकर कई बड़ी घोषणाएं कीं, जिसका नतीजा यह है कि आज हम अर्थव्यवस्था के मामले में ब्रिटेन से भी आगे हैं।
मनमोहन सिंह ने देश के लिए नई औद्योगिक नीति बनाई। इसमें विदेशी निवेश और देश में उद्योग लगाने की दिशा में बड़े बदलाव किए गए। कारोबार शुरू करने के नियमों को आसान बनाया गया और सरकारी दखल कम किया गया। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाकर 51 फीसदी कर दी गई। निवेश के लिए स्वचालित मंजूरी की व्यवस्था की गई।
नई उद्योग नीति के तहत देश से लाइसेंस परमिट राज खत्म कर दिया गया। दरअसल उदारवाद से पहले देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से सरकार के नियंत्रण में थी और सरकार खुद ही कंपनी का उत्पादन, कर्मचारियों की संख्या और उत्पाद की कीमत आदि तय करती थी। इसे लाइसेंस परमिट राज व्यवस्था कहा गया। आर्थिक सुधारों के बाद इसे हटा दिया गया। जिससे देश में निवेश को बढ़ावा मिला।
निर्यात बढ़ाने के लिए वित्त मंत्री के तौर पर मनमोहन सिंह ने देश में नई व्यापार नीति लागू की। इसके तहत गैर-जरूरी चीजों के आयात पर रोक लगा दी गई। देश से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए जानबूझकर रुपये की कीमत कम की गई। निजी क्षेत्र की कंपनियों को विदेश से सामान आयात करने की छूट दी गई।
राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए कॉरपोरेट टैक्स बढ़ाया गया। वित्तीय लेन-देन पर टैक्स में कटौती लागू की गई। एलपीजी गैस सिलेंडर, खाद, पेट्रोल के दाम बढ़ाए गए और चीनी सब्सिडी हटाई गई।म्यूचुअल फंड को निजी क्षेत्र के लिए खोल दिया गया और गैर-निवासी नागरिकों को भी निवेश में छूट दी गई। अपनी अघोषित संपत्ति का खुलासा करने वाले लोगों को ब्याज और जुर्माने में राहत दी गई, जिससे लोग अपनी अघोषित संपत्ति का ब्योरा देने लगे।
बजट की घोषणा के बाद भी कई महीनों तक देश में आर्थिक सुधारों के लिए कई कदम उठाए गए। जिससे देश आर्थिक संकट से बाहर निकलकर तरक्की की नई राह पर आगे बढ़ा। आज डॉ. मनमोहन सिंह अपना 90वां जन्मदिन मना रहे हैं। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी समेत कई नेताओं ने मनमोहन सिंह को बधाई दी। डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को पंजाब के गाह नामक गांव में हुआ था। मनमोहन सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय, कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड से अर्थशास्त्र के क्षेत्र में उच्च शिक्षा प्राप्त की। मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक लगातार 10 साल तक देश के प्रधानमंत्री भी रहे।
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