विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मई में प्रदूषित शहरों के लिए एक रिपोर्ट जारी की थी। इसके मुताबिक दुनिया के टॉप 20 सबसे प्रदूषित शहरों (polluted city in india 2021) में से 13 भारत के हैं और सबसे भयावह यह है कि टॉप 10 में से 9 हमारे शहर ही हैं। World Health Organization ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इन शहरों में पीएम 2.5 की सालाना सघनता सबसे ज्यादा है। पीएम 2.5 प्रदूषण में शामिल वो सूक्ष्म तत्व हैं जिसे मानव शरीर के लिए सबसे खतरनाक माना जाता है।
What is Air Quality Index AQI वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) क्या है?
दुनिया के हर 10 में से 9 लोग काफी प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं। इसके मुताबिक, ‘हर साल घर के बाहर और घरेलू वायु प्रदूषण के कारण दुनिया भर में 70 लाख लोगों की मौत होती है। अकेले बाहरी प्रदूषण से 2016 में मरने वाले लोगों की संख्या 42 लाख के करीब थी, जबकि घरेलू वायु प्रदूषणों से होने वाली मौतों की संख्या 38 लाख है।’ वायु प्रदूषण के कारण हार्ट संबंधित बीमारी, सांस की बीमारी और अन्य बीमारियों से मौत होती है। ठंड का मौसम आते ही प्रदूषण का विकराल रूप हमारे शहरों में दिखने लगता है।
हमारे वायुमंडल में बहुत सी गैसों का मिश्रण है कुछ आगे से ऐसी है जो कि हमारे शरीर के लिए जरूरी है परंतु कुछ कैसे ऐसी भी है जो कि हमारे शरीर को बहुत ज्यादा नुकसान देती है।
What Does Air Quality Index Tell Us कोविड पेशेंट्स के लिए घातक है प्रदूषण
दोस्तों हमें अगर वायु प्रदूषण से बचना है तो डीजल पेट्रोल से चलने वाले वाहनों का कम प्रयोग करना है इसके स्थान पर अब साईकिल ले सकते हो। जैसे कि अदक संतुलित रहता है।
कारखानों से निकलने वाला धुआं जिसमें कार्बन मोनोआॅक्साइड , सल्फर डाइआॅक्साइड पाई जाती है। जिसके कारण वायु प्रदूषित होती है तो ऐसे मैं कारखानों में पूछी चिमनी लगाना जरूरी है ताकि धुआं ऊपर के वातावरण निकल जाए।
दिवाली के समय या फिर दिवाली के बाद में वायु प्रदूषण अत्यधिक बढ़ जाता है। क्योंकि जब हम आतिशबाजी करते हैं तो उस समय बहुत अधिक मात्रा में विषैली गैस से उत्पन्न होती है जो कि हमारे वातावरण में जमा हो जाती है जिसके चलते में सांस लेने में तकलीफ आंखों में जलन जैसे समस्याएं होती है इससे बचने के लिए हमें बारूद का कम से कम प्रयोग करना चाहिए।
किसान अपनी फसल लेने के बाद में बचे अपशिष्ट कचरे को जला देते हैं जिससे बहुत सारा धुआं उत्पन्न होता है और आसपास के वातावरण में जमा हो जाता है जैसे कि वहां के रहने वाले लोगों में सांस लेने में तकलीफ होने लगती हैं हमें खेतों के अपशिष्ट को जैविक खाद के रूप में प्रयोग करना चाहिए, उसे जलाना नहीं चाहिए।
हमारा वायुमंडल हमारे स्वास्थ्य को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है, यह जानते हुए भी हमने विपरीत विभिन्न पर्यावरणीय तन्त्रों को दयनीय स्थिति तक परिवर्तित कर दिया है जिसके परोक्ष घातक परिणाम हमें स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे है। ऐसी खराब स्थिति में पर्यावरण पर ध्यान न देना भविष्य में आत्महत्या सिद्ध होगा। इसलिए पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए तथा उसमे सुधार हेतु हर संभवन प्रयास करना होगा।
दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर बेहद खराब रहता है। दिवाली के दौरान हुई आतिशबाजी इस प्रदूषण को और बढ़ा देती है। हवा की गुणवत्ता मापने का सूचकांक 600 के पार पहुंच गया, जिसे 50 से ज्यादा नहीं होना चाहिए। प्रदूषण की इस स्थिति को लेकर पहले भी चिंता जाहिर की गई थी। पिछले साल की तरह इस साल भी भारत के सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों की बिक्री में कमी लाने की कोशिश की, लेकिन कोर्ट के आदेश का असर कम ही दिखा। दिल्ली समेत हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में बढ़ते वायु प्रदूषण के लिए दिवाली के पटाखे कितने जिम्मेदार हैं? कुछ अध्ययन बताते हैं कि दिवाली के दौरान वायु प्रदूषण में कुछ खतरनाक तत्व तेजी से बढ़ जाते हैं, लेकिन इन अध्ययनों में ये भी माना गया है कि वायु की खराब गुणवत्ता के लिए कुछ अन्य कारक भी जिम्मेदार हो सकते हैं।
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