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India News (इंडिया न्यूज), ICMR Data Leak: दो महीने पहले केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने जांच में पाया कि 81 करोड़ से अधिक भारतीयों की निजी जानकारी भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के डेटा बैंक से लीक हो गई। साथ ही इस डेटा को डार्क वेब पर बेचा गया। आज (सोमवार) इस मामले में दिल्ली पुलिस ने तीन राज्यों से चार लोगों को गिरफ्तार किया है।
मिल रही जानकारी के मुताबिक संदिग्धों ने दावा किया कि उन्होंने संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) और कम्प्यूटरीकृत राष्ट्रीय पहचान पत्र (सीएनआईसी) पाकिस्तान के आधार समकक्ष का डेटा भी चुरा लिया है। एक केंद्रीय एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने इस महीने की शुरुआत में डेटा लीक का स्वत: संज्ञान लिया। सात ही एफआईआर दर्ज की गई है।
अधिकारी ने कहा कि “पिछले हफ्ते, चार लोगों को ओडिशा से बी.टेक डिग्री धारक, हरियाणा से दो स्कूल छोड़ने वाले और झाँसी से एक को गिरफ्तार किया गया है। जिसके बाद दिल्ली की एक अदालत में पेश किया गया। जिसने उन्हें सात दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया।” उन्होंने बताया कि “गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों ने शुरुआती पूछताछ के दौरान जांचकर्ताओं को बताया कि वे लगभग तीन साल पहले एक गेमिंग प्लेटफॉर्म पर मिले थे और दोस्त बन गए। फिर उन्होंने जल्दी पैसा कमाने का फैसला किया।” धिकारियों को डार्क वेब पर आधार और पासपोर्ट का भी डेटा मिला है।
अधिकारी ने कहा कि “यह मामला हैकिंग और फ़िशिंग जैसे साइबर सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए राष्ट्रीय नोडल एजेंसी, भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (सीईआरटी-इन) को सूचित किया गया था। जिसने पहले डेटा की प्रामाणिकता के बारे में संबंधित विभागों के साथ सत्यापन किया और उनसे वास्तविक आंकड़ों से मिलान करने को कहा। उन्होंने पाया कि नमूने के रूप में लगभग 1 लाख लोगों का डेटा था। जिसमें से उन्होंने सत्यापन के लिए 50 लोगों का डेटा उठाया और उन्हें मिलान पाया।”
पिछले महीने केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने भोपाल में संवाददाताओं से कहा था कि ”लीक के सबूत हैं और जांच चल रही है, लेकिन डेटा चोरी नहीं हुआ है। विभिन्न विभागों के पास परीक्षण, टीकाकरण, निदान आदि से संबंधित कोविड से संबंधित डेटा था। कई लोगों को इन डेटाबेस तक पहुंच प्रदान की गई थी। वहां रिसाव के सबूत मिले हैं। जांच जारी है।”
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