इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :
IIT Professor Claims : देश में कोरोना (Corona) की तीसरी लहर का प्रकोप जारी है। कोरोना संक्रमितों की संख्या रोजाना बढ़ती जा रही है। गत रविवार को कोरोना के 1.79 लाख नए केस आए।
विशेषज्ञों के अनुसार फरवरी की शुरूआत में ही देश में तीसरी लहर का पीक आने की संभावना है। फरवरी में रोजाना 4 से 8 लाख केस दर्ज होने की आशंका जताई जा रही है। उनका कहना है कि दिल्ली और मुंबई में तीसरी लहर का पीक 15 जनवरी तक आ सकता है।
कोरोना को लेकर ऐसा दावा आईआईटी कानपुर के मैथमेटिक्स और कंप्यूटर साइंस के प्रोफेसर मनिंद्र अग्रवाल (Professor Maninder Aggarwal) ने किया है।
कंप्यूटर माडल की मदद से प्रोफेसर अग्रवाल बताते हैं कि महामारी आगे कैसा बर्ताव करने वाली है। उनका यह भी कहना है कि 15 मार्च के आसपास देश में तीसरी लहर खत्म होने की संभावना है।
प्रोफेसर अग्रवाल के अनुसार मुंबई में तीसरी लहर का पीक लगभग 15 जनवरी को आ जाएगा। ऐसा ही दिल्ली में भी होगा।
प्रोफेसर अग्रवाल के अनुसार हमारे पास पूरे देश के आंकड़े नहीं हैं लेकिन शुरूआती कैलकुलेशन बताती है कि फरवरी की शुरूआत में देश में तीसरी लहर (third wave) का पीक आ सकता है। अंदाजा है कि पीक पर देश में रोजाना 4 से 8 लाख केस दर्ज हो सकते हैं।
दिल्ली और मुंबई में जितनी तेजी से कोरोना (Covid) संक्रमितों का ग्राफ ऊपर उठा है, उतनी ही तेजी से इसके नीचे गिरने की संभावना है।
पूरे देश में कोरोना के केस तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके अनुसार देश में 1 महीने में पीक आ जाएगा और मिड मार्च तक देश में तीसरी लहर खत्म या कम हो जाएगी।
प्रोफेसर अग्रवाल के अनुसार यह सच है कि महामारियां अपने आप में बेतरतीब होती हैं लेकिन उसमें भी कुछ मानदंड होते हैं।
सीधी सी बात यह है कि अगर संक्रमित व्यक्ति किसी असंक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आता है तो वह संक्रमण अपने आप आगे बढ़ाएगा।
जितने ज्यादा लोग संक्रमित होंगे, उतना ज्यादा संक्रमण फैलेगा। ऐसा संक्रमण के ट्रांसफर होने से होता है। हमारा माडल इसी के आधार पर काम करता है।
प्रोफेसर अग्रवाल के अनुसार अपने माडल पर काम करते हुए हमने देखा कि भारतीय डाटा की क्वालिटी कई देशों के डाटा से बेहतर है।
इसमें कई एडवांस्ड देश शामिल हैं। कई बार हम खुद की तारीफ नहीं करते लेकिन यह ऐसा मसला है जहां हम अपने स्वास्थ्य मंत्रालय की तारीफ कर सकते हैं कि उन्होंने बेहतर क्वालिटी का डाटा उपलब्ध कराया है।
जब कोरोना की पहली लहर आई तो बहुत ही सख्त लोकडाउन (Lockdown) लगाया गया था। इस वजह से संक्रमण की रफ्तार दोगुनी कम रही।
दूसरी लहर में अलग-अलग राज्यों ने अपनी-अपनी रणनीति से काम किया। जिन राज्यों ने आंशिक या पूर्ण लोकडाउन लगाया, वे संक्रमण की रफ्तार कम कर सके। सीधी सी बात है कि लोकडाउन काफी मददगार साबित होता है।
प्रोफेसर अग्रवाल के अनुसार कई स्टडी में यह बात सामने आई है कि देश में 40 से 50 लाख के बीच मौतें हुई हैं।
अगर ऐसा सही में हुआ है तो इतनी मौतें (Corona Deaths) रिकार्ड से गायब कैसे हो सकती हैं। हम ऐसे युग में तो जी नहीं रहे कि इतनी मौतों को कोई रिकार्ड ही न करे।
कई राज्यों से ऐसी रिपोर्ट आई है कि श्मशान घाट भर गए। बाहर लंबी कतारें लगीं लेकिन यह सब सिर्फ 1 हफ्ते या 10 दिन के अंदर हुआ।
वह भी तब, जब दूसरी लहर चरम पर थी। जब कभी इसे पूरी महामारी में औसत के तौर पर देखा जाएगा तो यह बहुत ज्यादा नहीं दिखेगा।
मेरे हिसाब से जितनी मौतें रिकार्ड की गई हैं, असल में आंकड़ा उनका 10 गुना ज्यादा होगा। 2 या 3 गुना ज्यादा होने की संभावना भी मानी जा सकती है। IIT Professor Claims
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