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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली, (In The Bilkis Bano Case) । बिलकिस बानो मामले में पूर्व लोकसेवकों ने सीजेआई को पत्र लिखकर गलत फैसले को सुधारने का अनुरोध किया है। गौरतलब है कि बिलकिस बानो गैंगरेप केस में 11 दोषियों की समय से पहले जेल से रिहा कर दिया गया। जिसके विरोध में 130 से ज्यादा पूर्व लोकसेवकों ने शनिवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) को एक खुला पत्र लिखा। उक्त पत्र में उनसे इस गलत फैसले को सुधारने के लिए अनुरोध किया गया है।
पूर्व लोकसेवकों ने सीजेआई से गुजरात सरकार द्वारा पारित छूट के आदेश को रद्द करने और गैंगरेप व हत्या के दोषी 11 लोगों को आजीवन कारावास की सजा काटने के लिए वापस जेल भेजने का अनुरोध किया है। ताकि देश में समाज में न्याय व्यवस्था का सम्मान बना रहें।
पूर्व लोकसेवकों ने कहा कि गुजरात में जो भी हुआ, उससे हम स्तब्ध है। कुछ दिन पहले भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर गुजरात में जो हुआ उससे हमारे देश के ज्यादातर लोगों की तरह हम भी स्तब्ध हैं।
कंस्टीट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप के तत्वावधान में लिखे गए इस खुले पत्र में 134 पूर्व लोकसेवकों ने अपने हस्ताक्षर किए हैं। जिसमें बिलकिस बानो मामले में लिए गए फैसले का पूरजोर विरोध किया गया है। इन हस्ताक्षरकर्ताओं में दिल्ली के पूर्व उप-राज्यपाल नजीब जंग, पूर्व कैबिनेट सचिव केएम चंद्रशेखर, पूर्व विदेश सचिव शिवशंकर मेनन और सुजाता सिंह, पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लई आदि शामिल हैं।
न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित ने शनिवार को भारत के 49वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली है। 25 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र और गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया और मामले को दो सप्ताह बाद सुनवाई के लिए तय कर दिया है।
पूर्व लोकसेवकों ने कहा कि दोषियों की रिहाई से पूरे देश में आक्रोश है। पत्र में लिखा गया है कि हम गुजरात सरकार के इस फैसले से काफी निराश है और हम मानते हैं कि यह केवल सर्वोच्च न्यायालय का प्रमुख अधिकार क्षेत्र हैं। इसलिए इस भयानक गलत फैसले को सुधारने की जिम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट की है। गौरतलब है कि वर्ष 2002 में गोधरा ट्रेन में आग लगने के बाद दंगे हुए थे। तब भागते समय बिलकिस बानो 21 वर्ष की थी और पांच माह की गर्भवती भी थी। इस दंगे में बानो की तीन वर्ष की बेटी समेत सात लोग मारे गए थे।
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