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India on Israel Hamas Conflict: इजरायल-हमास युद्ध का भारत पर क्या होगा असर? जानें डिटेल

Mudit Goswami • LAST UPDATED : October 10, 2023, 9:45 pm IST

India on Israel Hamas Conflict

India News (इंडिया न्यूज), India on Israel Hamas Conflict: फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास और इजराइल के बीच पिछले चार दिनों से भयानक जंग छिड़ी है। आलम ये है कि इस जंग के चलते इजरायल-फिलिस्तीन के लगभग 900 से अधिक लोग अपनी जान गवा चुके हैं और करीब 2 हजार घायल हो गए। इस जंग की शुरुआत करते हुए शानिवार (7 अक्टूबर) को हमास ने इजराइल पर आचानक कई रॉकेट दागें। वहीं हमास के हमले का इजराइल ने मुंह तोड़ जवाब दिया और गाजा पट्टी पर अंधाधुंध मिसाइलें बरसाई। वहीं, दोनो देशों के बीच आचनक छिड़ी ये जंग भारत के लिए चिंता का विषय बन सकती है।

मुस्लिम देश फिलिस्तीन और इजरायल के बीच ये जंग उस वक्त शुरु हुई जब भारत मिडिल ईस्ट के देशों के साथ अलायंस करते हुए खाड़ी देशों के साथ अपने डिप्लोमेटिक संबंधों के मजबूत कर रहा है। दोनो देशों के बीच इस जंग को लेकर देश में भी लोगों की भी अलग-अलग राय हैं, हालांकि भारत सरकार ने इस मामले में अपना रुख पूरी तरह साफ कर दिया है।

इजरायल के समर्थन में आया भारत 

शनिवार को हमास के हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इसे आतंकी हमला बताया। उन्होंने इस मामले में इजरायल का स्पोर्ट किया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स में ट्विट करते हुए लिखा, “आतंकवादी हमलों की खबर से गहरा सदमा लगा। हमारे विचार और प्रार्थनाएं निर्दोष पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ हैं। हम इस कठिन समय में इज़राइल के साथ एकजुटता से खड़े हैं।”

पीएम मोदी के इस ट्विट को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी रीट्विट किया। जिसके बाद इस मामले में भारत का रुख पूरी तरह साफ दिखने लगा।

पाकिस्तान और चीन की प्रतिकिया

इजरायल- फिलिस्तीन के बीच जंग पर भारत के तनावपूर्ण संबंधों वाले पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन ने भी प्रतिक्रिया दी हैं। दोनो देशों ने इस मामले में अपने बयान नपे-तुले रखे। चीन ने इस हिंसा पर अधिकारिक बयान देते हुए कहा कि वह इज़रायल और फ़िलिस्तीन के बीच हुई तनाव और हिंसा में वृद्धि को लेकर वो गहराई से चिंतित है। हालांकि चाइना और फिलिस्तीन के बीच कोई विशेष द्विपक्षीय समझौता नहीं हैं, लेकिन चीन वेस्ट बैंक और पूर्वी येरुशलम में इज़राइल की गतिविधियों का विरोध करता रहा है।

वहीं, पाकिस्तान के प्रधान मंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर अपना बयान दिया। क्षेत्र में हिंसा को लेकर उन्होंने इज़राइल के “अवैध कब्जे” को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा है कि “जब इज़राइल फ़िलिस्तीनियों को आत्मनिर्णय और राज्य का दर्जा पाने के उनके वैध अधिकार से वंचित करता रहेगा तो कोई और क्या उम्मीद कर सकता है?”

भारत और अरब के बीच संबंधों पर हो सकता है असर

इजरायल और फिलिस्तीन के बीच ये जंग भारत जी-20 मीटिंग के एक महीने के अंदर सामने आई है। जी-20 में भारत को IMEEC इकोनॉमिक कॉरिडोर के निर्माण को लेकर बड़ी सफलता मिली है। हालांकि ये जंग इस महत्वपूर्ण परियोजना में बाधा पैदा कर सकती है।

नई दिल्ली में G20 शिखर सम्मेलन के दौरान अमेरिका, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ ने साथ मिलकर इस खास कॉरिडोर की घोषणा की थी। भारत के सहयोग से बनने वाले इस इकोनॉमिक कॉरिडोर को चीन की परियोजना चाइना बल्ट एंड रोड पहल को टक्कर देने वाला बताया जा रहा है।

लेकिन ये जंग इस इकोनॉमिक कॉरिडोर के निर्माण पर डिप्लोमेटिक वाधा पैदा कर सकती है। बता दें कि सऊदी अरब ने इस जंग में इजरायल का कड़े शब्दों में विरोध किया है। आधिकारिक सऊदी प्रेस एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने कहा कि खाड़ी के लोग फिलिस्तीनी लोगों को उनके सभ्य जीवन के वैध अधिकारों को प्राप्त करने, उनकी आशाओं और आकांक्षाओं को प्राप्त करने और न्यायपूर्ण और स्थायी शांति प्राप्त करने के लिए उनके साथ खड़ा रहेगा।” वहीं, भारत, अमेरिका समेत सभी यूरोपीयन देश इस मामले में इजरायल के खुलकर समर्थन में हैं।

 खाड़ी देशों के साथ सुधरते भारत के रिश्ते

भारत में पीएम मोदी की सरकार आने के बाद कई खाड़ी देशों के साथ संबंधों में इजाफा देखने को मिला। खाड़ी देश सऊदी अरब के साथ भारत के संबंध काफी बेहतर है। भारत और सऊदी अरब के बीच करीब 100 बिलियन का व्यापार होता है। ऐसे में सऊदी अरब भारत के लिए काफी अहम हो जाता है। यहीं नहीं सऊदी अरब ने कश्मीर में बड़ा निवेश करने की बात कही है।

पीएम मोदी के खाड़ी देशों जैसे जॉर्डन, ओमान, संयुक्त अरब अमीरात, फिलिस्तीन, कतर और मिस्र की यात्राओं ने भारत के संबंधों को शीर्ष तक पहुंचाया है। 

इज़राइल और फ़िलिस्तीन का पक्ष

पूराने समय से चल रहा इजराइल फिलिस्तीन संघर्ष पर आजादी के बाद से भारत का रुख एक तरह से साफ रहा है। भारत ने इज़राइल को 1950 में ही मान्यता दे दी थी। इसके पीछे कई भारत के कई कारण रहे, जिसमें भारत धर्म के आधार पर दो राष्ट्रों के निर्माण को लेकर पहले से ही विरोधी रहा।

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