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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Indian Economy हरित ऊर्जा और जीरो कार्बन उत्सर्जन को बढ़ावा देकर भारत न सिर्फ प्रदूषण से लड़ने में कामयाब होगा, बल्कि जीडीपी का आकार और नौकरियां पैदा करने में भी बड़ी सफलता हासिल मिल सकती है। वैश्विक थिंक टैंक आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) ने इस संबंध में एक रिपोर्ट जारी करके यह जानकारी दी है। ओआरएफ ने रिपोर्ट में दावा किया है कि भारत अगर वर्ष 2050 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करता है, तो उसकी अर्थव्यवस्था का आकार 30.25 लाख करोड़ रुपए बढ़ जाएगा।
ओआरएफ की रिपोर्ट के अनुसार शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने से देश में 4.3 करोड़ नौकरियां भी पैदा होंगी। हाल ही में ब्रिटेन के ग्लासगो में जलवायु सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भारत वर्ष 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन वाला देश बन जाएगा। पीएम मोदी ने सम्मेलन के दौरान यह भी कहा थ कि वर्ष 2030 तक हम अपनी जरूरत की 50 फीसदी ऊर्जा नवीकरणीय स्रोतों जैसे सौर, पवन आदिए से हासिल करेंगे। प्रधानमंत्री ने ग्लासगो में यह भी कहा था कि भारत 2030 तक कम कार्बन उत्सर्जन वाली विद्युत क्षमता को भी 500 गीगावाट तक बढ़ाएगा। यह एक बढ़ा कदम होगा।
वित्त मामलों की स्थायी समिति के चेयरपर्सन जयंत सिन्हा ने कहा है कि शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने के लिए हमें कानूनी रूप से भी सख्त कदम उठाने होंगे। उन्होंने बताया कि इसके लिए निर्माण, रियल एस्टेट, कृषि, सीमेंट, बिजली उत्पादन, परिवहन, कृषि व स्टील सहित अन्य उद्योगों खासकर निजी क्षेत्र को बड़ी भूमिका निभानी होगी।
सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा है कि खरीफ के बाद रबी की बंपर पैदावार के बूते भारत 2021-22 में 10 फीसदी से ज्यादा की विकास दर हासिल कर सकता है। उन्होंने महंगाई को लेकर चिंता जताई और कहा कि पेट्रोल-डीजल जैसी ऊर्जा के प्रमुख स्रोतों की कीमतों में लगातार हो रहे इजाफे से निरंतर विकास की ओर बढ़ रही वैश्विक अर्थव्यवस्था पर कुछ दबाव जरूर दिखेगा। हालांकि, भारत को कृषि क्षेत्र का सहारा मिलेगा और ग्रामीण क्षेत्र की मांग बढ़ने से विनिर्माण में भी तेजी आएगी। अर्थनीति नाम से अपने लेख में कुमार ने कहा कि निर्यात में आई तेजी का लाभ अर्थव्यवस्था को मिल रहा है, जिससे रोजगार सृजन में भी मदद मिलेगी।
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