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India News (इंडिया न्यूज़), Indian Workers: सत्ता में आने के लिए केंद्र सरकार ने करोड़ों युवाओं को रोजगार देने का दावा किया था। सरकार के ये दावे महज बयान साबित हुए। देश के बेरोजगार युवाओं की हालत ऐसी हो गई है कि वे मौत को भी गले लगाने को तैयार हैं। जी हां, हरियाणा के युवा कहते हैं, ‘बेरोजगारी से तो मौत भली!’
यह सर्वविदित है कि इजराइल इस समय हमास के साथ युद्ध में है। इसे देखते हुए इजराइल ने गाजा के लोगों को नौकरी देने से इनकार कर दिया है। मजदूरों की इस कमी को अब इजरायल भारत से पूरा कर रहा है। इसके तहत हाल ही में इजराइल से 15 लोगों की एक भर्ती टीम हरियाणा पहुंची, जहां रोहतक के महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में बेरोजगारों की भीड़ जमा हो गई। हैरानी की बात तो ये है कि इनमें से कई लोगों को इजराइल ने बहुत अच्छी नौकरियां दीं।
हरियाणा में यह भर्ती अभियान 16 जनवरी से शुरू हो चुका है और 20 जनवरी तक चलेगा। इसके बाद उत्तर प्रदेश में 23 से 31 जनवरी तक चलेगी। रोहतक यूनिवर्सिटी में नौकरी के लिए परीक्षा देने के लिए जींद से आए रोहताश कुमार के मुताबिक उनकी नौकरी हरियाणा रोजगार कौशल निगम लिमिटेड में थी। उसे गए हुए 2 महीने हो गए हैं। अब उसे इजराइल से नौकरी का ऑफर मिला है, इसलिए वह जाना चाहता है, क्योंकि उसके पास कुछ भी नहीं होने से बेहतर है कि वह जहां भी हो, नौकरी कर ले। उन्होंने कहा, ‘मैं जानता हूं कि इजराइल में हमास के साथ युद्ध चल रहा है। वे इस खतरे से वाकिफ हैं, लेकिन यहां हमारे राज्य में बेरोजगार रहने से बेहतर है कि वहां काम करते हुए मर जाएं।’
उत्तराखंड सरकार नौकरियों के लिए इजराइल को भी आमंत्रित करने की योजना बना रही है। इन नौकरियों में लोगों को बार टेंडर से लेकर बढ़ई तक की नौकरी के लिए 1.37 लाख रुपये का वेतन, चिकित्सा बीमा, भोजन और आवास की सुविधा मिलेगी। इजराइली टीम जिन कर्मचारियों को नौकरी दे रही है, उन्हें न सिर्फ वेतन या अन्य लाभ देगी, बल्कि हर महीने कर्मचारियों को 16,515 रुपये का बोनस भी देगी। कुछ लोगों को 1.37 लाख रुपये सैलरी की जगह 1.5 लाख रुपये तक का ऑफर दिया जा रहा है।
इजरायल में फिलहाल करीब 18,000 भारतीय कामगार हैं। इनमें से अधिकतर भारतीय नौकरानियों के रूप में मौजूद हैं, जो बुजुर्गों या बच्चों की देखभाल करती हैं। इसके अलावा, बड़ी संख्या में भारतीय इज़राइल में आईटी जैसे क्षेत्रों में भी काम करते हैं। हमास के हमले में इसी तरह काम करने वाली एक भारतीय महिला भी घायल हो गई। सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि लगभग 13 मिलियन भारतीय नागरिक विदेशों में मजदूर, पेशेवर और विशेषज्ञ के रूप में काम करते हैं।
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