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India's First Gay Judge देश को मिल सकता है पहला समलैंगिक जज, कालेजियम ने सौरभ किरपाल के नाम की फिर से की सिफारिश

BY: Bharat Mehndiratta • LAST UPDATED : November 16, 2021, 12:12 pm IST
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India's First Gay Judge देश को मिल सकता है पहला समलैंगिक जज, कालेजियम ने सौरभ किरपाल के नाम की फिर से की सिफारिश

India’s First Gay Judge

First Gay Judge
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:

भारत को जल्द ही पहला समलैंगिक जज मिलने की संभावना है। सुप्रीम कोर्ट के कालेजियम ने सीनियर वकील सौरभ किरपाल को दिल्ली हाई कोर्ट का जज बनाने की सिफारिश की है। चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम की 11 नवंबर की बैठक में यह सिफारिश की गई है। केंद्र की तरफ से चार बार कृपाल के नाम को लेकर आपत्ति जताने के बावजूद कॉलेजियिम ने अपनी सिफारिश दी है।

एक बार फिर से सौरभ किरपाल को जज बनाने की सिफारिश केंद्र सरकार को भेजी गई है। बता दें कि सौरभ किरपाल को समलैंगिक अधिकारों की वकालत करने के चलते देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी पहचान मिली है। इतना ही नहीं, सौरभ किरपाल खुले तौर पर समलैंगिक होने की बात भी स्वीकार चुके हैं। सीनियर वकील सौरभ किरपाल सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस बीएन किरपाल के बेटे हैं और लंबे समय से वकालत के पेशे से जुड़े हुए हैं।

हालांकि अभी ये साफ नहीं है कि कृपाल की नियुक्ति होती या नहीं और कब तक हो पाएगी, क्योंकि केंद्र सरकार कॉलेजियम को रिव्यू के लिए भी कह सकती है। लेकिन यदि हाई कोर्ट में उनकी नियुक्ति जज के तौर पर होती है तो वे देश में पहले समलैंगिक जज होंगे।

बता दें कि सौरभ किरपाल को वर्ष 2017 में तत्कालीन कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल के नेतृत्व में दिल्ली हाई कोर्ट के कालेजियम की ओर से पदोन्नत करने की सिफारिश की गई थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट 4 बार उनकी सिफारिश का फैसला टाल चुका था।

केंद्र ने क्यों जताई आपत्ति

सौरभ किरपाल के जज बनने की सिफारिश पर केंद्र ने कई बार आपत्ति जताई है। इस साल मार्च में तत्कालीन चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कृपाल को हाईकोर्ट का जज बनाने के लिए केंद्र से राय जानी थी तो केंद्र ने कृपाल के विदेशी पुरुष साथी को लेकर चिंता और आपत्ति जताई थी।

रिपोर्ट के मुताबिक 20 साल से किरपाल के पार्टनर ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट निकोलस जर्मेन बाकमैन हैं और स्विट्जरलैंड के रहने वाले हैं। इसलिए केंद्र को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी चिंताएं हैं। एक इंटरव्यू में किरपाल ने भी कहा था कि शायद उनके सेक्सुअल ओरिएंटेशन की वजह से ही उन्हें जज बनाने की सिफारिश का फैसला टाला गया है।

इस बार सौरभ का जज बनना लगभग तय

नियमानुसार सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न राज्यों के हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीशों का कालेजियम होता है जोकि नामों की सिफारिश केंद्र को भेजता है। कुछ मामलों में केंद्र पुनर्विचार के लिए इन नामों को कालेजियम को लौटा देता है।

हालांकि कालेजियम इस अनुरोध को न मानते हुए दोबारा उसी नाम की सिफारिश केंद्र सरकार को वापस भेज देता तो दोबारा भेजने पर केंद्र को इसे मंजूर करना पड़ता है। ऐसे में सौरभ किरपाल का दिल्ली हाई कोर्ट का जज बनना तय है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के कालेजियम ने एक बार फिर से उनके नाम की सिफारिश की है।

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