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India News (इंडिया न्यूज),Chief Minister Arvind Kejriwal:दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया है। दो दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के सीएम को जमानत दी थी। अब केजरीवाल ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा है कि वह दो दिन बाद सीएम पद से इस्तीफा दे देंगे। केजरीवाल के इस फैसले को हरियाणा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि केजरीवाल अब त्याग की पगड़ी पहनकर हरियाणा के सियासी मैदान में उतरेंगे। केजरीवाल ने कहा कि जब तक जनता अपना फैसला नहीं सुना देती, वह सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे। दिल्ली की सत्ता में केजरीवाल का यह तीसरा कार्यकाल है। वह पहली बार 28 दिसंबर 2013 को दिल्ली के मुख्यमंत्री बने थे। हालांकि, तब वह सिर्फ 48 दिन ही मुख्यमंत्री रहे थे। ये वो दो दौर थे, जब आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाई थी। इसके बाद 2015 में दिल्ली में फिर चुनाव हुए जिसमें आम आदमी पार्टी पूर्ण बहुमत के साथ लौटी। 14 फरवरी 2015 को केजरीवाल ने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। वह भी पांच साल तक मुख्यमंत्री रहे। इसके बाद 2020 के विधानसभा चुनाव में दिल्ली की जनता ने एक बार फिर केजरीवाल पर भरोसा जताया और वे 16 फरवरी 2020 को तीसरी बार मुख्यमंत्री बने।
केजरीवाल के इस ऐलान के बाद दिल्ली से लेकर हरियाणा तक का सियासी माहौल बदल गया है। दिल्ली में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन उससे पहले हरियाणा में चुनाव हो रहे हैं। दिल्ली और पंजाब के बाद अगर आम आदमी पार्टी का सबसे ज्यादा फोकस रहा है तो वह हरियाणा है। इसके पीछे एक वजह यह भी है कि हरियाणा केजरीवाल का गृह राज्य है जबकि वे हिसार जिले में पले-बढ़े हैं। वे अक्सर खुद को हरियाणा का बेटा कहते हैं। माना जा रहा है कि इस्तीफा देकर केजरीवाल हरियाणा की जनता के बीच बड़ा इमोशनल कार्ड खेलेंगे।
हरियाणा विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन करने की हर संभव कोशिश की, लेकिन बातचीत विफल रही। इसके बाद पार्टी ने हरियाणा की सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया। कई सीटों पर उम्मीदवार भी घोषित कर दिए गए हैं। इस बीच केजरीवाल जेल से बाहर भी आ गए हैं। हरियाणा में अगर कोई पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा है तो वो केजरीवाल हैं। इसलिए माना जा रहा है कि केजरीवाल अब हरियाणा की जनता के बीच अपना इमोशनल कार्ड खेलने के लिए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले हैं।
हरियाणा में बीजेपी और कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी एक बड़ी पार्टी है। केजरीवाल के जेल से बाहर आने के बाद आम आदमी पार्टी के हौसले बुलंद हैं। कार्यकर्ताओं का जोश भी बुलंद है। केजरीवाल की रिहाई के बाद अब ऐसा लग रहा है कि हरियाणा की चुनावी जंग जोरदार होगी।
2019 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने हरियाणा की 46 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। हालांकि, उस समय वोट शेयर सिर्फ 1 फीसदी के आसपास था और किसी भी सीट पर खाता नहीं खोल पाई थी।
इस चुनाव के बाद आप ने हरियाणा में खुद को मजबूत किया है और लोगों के बीच अपनी पैठ भी मजबूत की है। इसका असर इस लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिला। लोकसभा चुनाव में हरियाणा में आम आदमी पार्टी का वोट शेयर करीब 3.94 फीसदी पहुंच गया है।
हरियाणा के इस चुनाव में अगर भाजपा या कांग्रेस को बहुमत नहीं मिलता है तो ऐसी स्थिति में आम आदमी पार्टी समेत अन्य छोटी पार्टियों की भूमिका अहम हो सकती है। यही वजह है कि केजरीवाल के जेल में रहने के दौरान उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल हरियाणा में प्रचार करती नजर आई थीं। अब केजरीवाल के रिहा होने के बाद हरियाणा में आप कार्यकर्ताओं में नया जोश देखने को मिलेगा। आप नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी उम्मीद है कि जब वे चुनाव प्रचार मैदान में उतरेंगे तो भाजपा के खिलाफ अपनी बात जनता के सामने रखने में सफल हो सकते हैं।
केजरीवाल आम आदमी पार्टी के सर्वोच्च नेता हैं। वे पार्टी के स्टार प्रचारक भी हैं। ऐसे में अब जब वे हरियाणा के चुनाव मैदान में उतरेंगे तो इसका असर चुनाव परिणाम पर साफ तौर पर देखा जा सकता है। आम आदमी पार्टी हरियाणा में बड़े पैमाने पर छोटी-बड़ी रैलियां करने की तैयारी कर रही है। केजरीवाल समय-समय पर किसानों के मुद्दे पर हरियाणा और केंद्र सरकार पर निशाना साधते रहे हैं। चुनाव प्रचार में भी वे किसानों के मुद्दे को भुनाते नजर आ सकते हैं। यह भी तय है कि चुनाव प्रचार के दौरान अपनी गिरफ्तारी को लेकर भी केजरीवाल जनता के बीच अपनी बात रखेंगे। किसानों और महिला पहलवानों के मुद्दे पर भाजपा पहले से ही विपक्षी दलों के निशाने पर है। 10 साल से सत्ता में है भाजपा हरियाणा की मौजूदा राजनीति की बात करें तो पिछले 10 साल से भाजपा राज्य की सत्ता में है। 2019 के विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था, लेकिन भाजपा जेजेपी
के साथ मिलकर सरकार बनाने में सफल रही थी। भाजपा को 40, कांग्रेस को 13 सीटें मिली थीं। इसके बाद भाजपा जेजेपी प्रमुख दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी के साथ गठबंधन कर सरकार बनाने में सफल रही थी।
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