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ISRO New Mission: चांद और सूर्य के बाद अब है अंतरिक्ष की बारी, जानें क्या है इसरो का नया मिशन

BY: Mudit Goswami • LAST UPDATED : September 2, 2023, 7:12 pm IST
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ISRO New Mission: चांद और सूर्य के बाद अब है अंतरिक्ष की बारी, जानें क्या है इसरो का नया मिशन

Satellite

India News (इंडिया न्यूज़), ISRO New Mission: स्पेस साइंस में भारत लगातार बुलंदियों को छू रहा है। 23 अगस्त को चंद्रमा के साउथ पोल में चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग के बाद पूरी दूनिया में भारत का बखान किया जा रहा है। अब इस कड़ी में इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेंशन ने शनिवार दोपहर को ब्रह्मांड़ में स्थित हमारे तारा सूर्य को ऑब्जर्व करने के लिए अदित्य एल-1 मिशन सफलता पूर्वक लॉन्च किया। मिशन चंद्रयान और अदित्य एल-1 के बाद इसरो का अत्मविश्वास बढ़ गया है और अब इस कड़ी में इसरो स्पेस में मौजूद तमाम चीजों के अध्यन्न के लिए एक नया और खास मिशन करने जा रहा है। इसरो का नया मिशन एक्सपोसैट iहोने वाला है।

क्या है एक्सपोसैट मिशन

XPoSat यानी एक्स रे पोलारिमीटर सैटेलाइट भारत का पहला पोलारिमेट्री मिशन होने जा रहा है। ये मुश्किल हालात में भी चमकीले खगोलीय एक्सरे स्रोतों के विभिन्न आयामों पर रिसर्च करेगा। गौरतलब है कि इस मिशन में पृथ्वी की निचली ऑर्बिट में अंतरिक्ष यान भेजा जाएगा, जिसमें दो वैज्ञानिक अध्ययन उपकरण (पेलोड) लगे होंगे।

ISRO के अनुसार, इसके दो पेलोड POLIX और XSPECT होंगे। इसमें POLIX का काम खगोलीय मूल के 8-30 KV फोटॉन की मध्यम एक्स-रे ऊर्जा रेंज में पोलारिमेट्री को मापना है।  इसके अलावा एक्सस्पेक्ट पेलोड 0.8-15 KV की ऊर्जा रेंज में स्पेक्ट्रोस्कोपिक को मापने का काम करेंगा।

XPoSat मिशन से क्या होगा?

ISRO ने इस मिशन की जानकारी देते हुए अपनी वेबसाइट पर लिखा कि ब्लैकहोल, न्यूट्रॉन तारे, सक्रिय गैलेक्टिक नाभिक, पल्सर पवन निहारिका जैसे खगोलीय स्रोतों से उत्सर्जन तंत्र को  समझने काफी कठिन होता है। लारिमेट्री माप दो और आयाम को जोड़ेंगे, ध्रुवीकरण की डिग्री और ध्रुवीकरण का कोण और इस प्रकार यह खगोलीय स्रोतों से उत्सर्जन प्रक्रियाओं को समझने का नया हल विकसित करेंगे।

 Aditya L1- इसरो ने अदित्य एल-1 ऑब्जर्वर को करीब 12:00 बजे आंध्रप्रदेश के श्री हरिकोटा से लॉन्च किया। इसरो का ये पहला सूर्य मिशन है जो लगभग 125 दिनों की अपनी कठिन यात्रा पर निकला है। अदित्य एल-1 पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर स्थित रहकर सूर्य को निर्देशित करने का काम करेगा। गौरतलब है कि पृथ्वी और सूर्य के बीच स्थित इस पोइंट को L-1 नाम दिया गया है जो पृथ्वी-सूर्य की दूरी का लगभग 1% है।

ये भी पढ़ें- Aditya L1 Launch Live: ISRO ने श्रीहरिकोटा से सौर मिशन Aditya L1 को किया लॉन्च

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