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India News (इंडिया न्यूज), Jagan Mohan: आंध्र प्रदेश स्थित श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर (तिरुपति मंदिर) के प्रसाद में पशु चर्बी की मिलावट का मामला सामने आने के बाद से ही पुरे देश में बवाल मचा हुआ है। मंदिर प्रबंधन तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम यानी टीटीडी ने कहा है कि प्रसाद के 4 दुसरे लैब में भी जांच की गई है, जिसमें चर्बी की मौजूदगी की पुष्टि हुई है। इतने बड़े धार्मिक स्थल पर जिस तरह से हिंदुओं की आस्था का मजाक उड़ाया गया है, उसके बाद पूरे देश में बवाल मचा हुआ है।
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बता दें कि तिरुपति बालाजी मंदिर में भक्तों को दिए जाने वाले प्रसाद में पशु चर्बी युक्त घी का इस्तेमाल किया गया था। जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि घी में गोमांस, सूअर की चर्बी और मछली का तेल मिलाया गया था। सनातन धर्म में गोमांस प्रतिबंधित है। ऐसे में उन्हें धोखे से गोमांस और सूअर की चर्बी युक्त प्रसाद खिला दिया गया। दक्षिण के इतने बड़े मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर को चढ़ाए जाने वाले प्रसाद के साथ ऐसा घिनौना कृत्य असहनीय है।
इस घटना को लेकर सोशल मीडिया पर खूब हंगामा हो रहा है। कुछ लोग खुलकर इसके खिलाफ आ रहे हैं, तो कुछ लोग कह रहे हैं कि हमें इसे छोड़कर आगे बढ़ जाना चाहिए। वहीं, कई लोग भारतीयों में आ रहे बदलाव की भी बात कर रहे हैं। एक वो भारत भी था, जब 1857 में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ युद्ध हुआ था। अंग्रेजों ने भारत के अस्तित्व को मिटाने के लिए हिंदुओं की आस्था पर हमला किया और सैनिकों को गोलियां चलाने के लिए सूअर और गाय की चर्बी वाले कारतूस दिए। तब हिंदुओं ने साफ इनकार कर दिया और अंग्रेजों पर हमला कर दिया।
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1857 के विद्रोह को भारत के स्वतंत्रता संग्राम की पहली लड़ाई कहा जाता है। यह पहला मौका था जब भारतीयों ने धर्म की रक्षा के लिए हथियार उठाए थे। बिहार-बांग्ला-मेरठ और दिल्ली तक में अंग्रेजों के खिलाफ साजिशें रची गईं। आज इतनी बड़ी घटना के बाद साधु-संत फिर हिंदुओं से अपने धर्म की रक्षा का आह्वान कर रहे हैं। दक्षिण में सनातन धर्म रक्षा बोर्ड बनाने की मांग हो रही है।
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