India News (इंडिया न्यूज़),Lok Sabha Election 2024: इस बार जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को बजट पेश करेंगी तो वह देश की पहली महिला वित्त मंत्री होंगी जो अंतरिम बजट पेश करेंगी। वैसे तो वित्त मंत्री के तौर पर निर्मला सीतारमण ने हर बार बजट के मौके पर कोई न कोई पुरानी परंपरा तोड़ी है, लेकिन अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या वह अंतरिम बजट की ‘स्वीकृत परंपरा’ को भी तोड़ेंगी। जैसा कि पिछले कुछ वित्त मंत्रियों ने किया है। इसमें जसवन्त सिंह, पी।चिदंबरम और पीयूष गोयल का नाम शामिल है।
दरअसल अंतरिम बजट चुनावी साल में लाया जाता है। इसलिए नई सरकार के गठन तक मौजूदा सरकार को केवल सामान्य खर्चों पर ही संसद की मंजूरी मिलती है। पूर्ण बजट का बाकी हिस्सा चुनाव के बाद नई सरकार के गठन के साथ आता है। चुनाव आयोग की आचार संहिता के कारण सरकार चुनावी वर्ष के बजट में किसी भी नीति निर्धारण या कर परिवर्तन की घोषणा नहीं कर सकती है। लेकिन जब ऊपर बताए गए तीनों वित्त मंत्रियों ने अंतरिम बजट पेश किया तो उन्होंने इस परंपरा को तोड़ दिया।
यह 2004 का अंतरिम बजट था। उस समय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी, जो ‘इंडिया शाइनिंग’ के चुनावी नारे के साथ चुनाव लड़ने जा रही थी। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के वित्त मंत्री जसवंत सिंह ने तब अंतरिम बजट में ‘अंत्योदय अन्न योजना’ की घोषणा की थी। इसका लाभ देश के उन 2 करोड़ परिवारों तक पहुंचना था, जो गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करते थे।
इसके अलावा उस साल के अंतरिम बजट में बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान और उत्तराखंड में एक-एक एम्स खोलने की घोषणा की गई थी। वहीं, जवानों का महंगाई भत्ता 50 फीसदी बढ़ाया गया।
यह 2014 का बजट था। उस समय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार का दूसरा कार्यकाल ख़त्म हो रहा था। इस सरकार को भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन, निर्भया केस आंदोलन और ‘वन रैंक, वन पेंशन’ के मुद्दे से निपटना पड़ा। जबकि देश के चुनावी माहौल में ‘मोदी लहर’ एक फैक्टर बन चुकी थी।
इस बीच जब वित्त मंत्री पी।चिदंबरम ने अंतरिम बजट पेश किया तो सरकार ने ‘वन रैंक, वन पेंशन’ को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी। इसके अलावा छोटी कारों, मोटरसाइकिलों और स्कूटरों से लेकर वाणिज्यिक वाहनों और मोबाइल हैंडसेट तक सभी पर उत्पाद शुल्क कम कर दिया गया।
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी शुरुआत में अरुण जेटली के पास रही। हालाँकि, जब 2019 में अंतरिम बजट पेश करने की बात आई, तो पीयूष गोयल के पास वित्त मंत्रालय का प्रभार था। उस समय तक विपक्षी पार्टी कांग्रेस चुनाव के बाद ‘न्याय’ योजना लाने की बात कर चुकी थी, जिसमें लोगों को ‘यूनिवर्सल इनकम’ देने की बात थी। यह कटौती पीयूष गोयल के अंतरिम बजट में पेश की गई थी।
पीयूष गोयल ने अपने बजट भाषण में ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि’ (पीएम किसान) योजना की घोषणा की। इसमें कहा गया कि 2 हेक्टेयर तक जमीन वाले किसानों को हर साल 6,000 रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी। इसे 1 दिसंबर 2018 से लागू किया गया था। इससे सरकार को चुनाव से ठीक पहले इसकी पहली किस्त जारी करने में सुविधा हुई।
इसके अलावा इस बजट में ‘प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन’ योजना भी लाई गई। इस योजना में असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को 60 वर्ष की आयु के बाद पेंशन का प्रावधान किया गया। इसके साथ ही सरकार ने चुनाव में अकुशल श्रमिकों का उपयोग करने का काम किया। वहीं, वेतनभोगी वर्ग की जरूरतों को पूरा करने के लिए आयकर में मानक कटौती 40,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दी गई। वहीं 5 लाख रुपये तक की आय पर पूरी टैक्स छूट दी गई।
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